कला-संस्कृति

वर्तमान में भारतीय संस्कृति पर हिन्दी फिल्मों का बुरा प्रभाव

-विकास कुमार-
film-festival

भारतीय संस्कृति पर वर्तमान समय में हिन्दी फिल्मों का बुरा प्रभाव पढ़ रहा हैं| आजकल आने वाली लगभग सभी फिल्मों में हिन्दी फिल्मों में अश्लीलता, चरित्रहीनता आदि बातो को दर्शाया जा रहा है| जिसका हमारे देश के युवाओं पर बुरा प्रभाव पढ़ रहा है| फ़िल्म निर्माता अपने लाभ के लिये फिल्मो में अश्लीलता का अंगप्रदर्शन करवाते हैं, ताकि उनको अत्यधिक लाभ मिले| ये फिल्म निर्माता लाभ कमाने के लिये किसी भी सीमा को लांघने के लिए तत्पर रहते हैं, चाहे वह बात भारतीय संस्कृति की क्यों न हो| ये भारतीय संस्कृति की मर्यादा का लगातार उल्लंघन कर रहे हैं और हमारी देश की जनता तथा सरकार इस अपमान को आंख मूंदकर सहन कर रही है| वर्तमान समय मे जीतनी भी फिल्मे आ रही है सभी फिल्मों में अश्लीलता, चरित्रहीनता का नंगा नाच हो रहा है जिससे हमारे देश की संस्कृति तथा विशेषकर युवा वर्ग पर इसका बुरा प्रभाव हो रहा है| वर्तमान में हिन्दी फिल्मों में मुख्य अभिनेता, अभिनेत्री के चरित्र को आलसी कामचोर तथा अय्याश की तरह प्रदर्शित किया जा रहा है जबकि पहली फिल्मों में उनके चरित्र को मेहनती, कर्मठ, तथा ईमानदार दिखाया जाता था| आजकल की अभिनेत्रियां लाभ कमाने तथा लोकप्रय होने के लिये अपने अंग प्रदर्शन करके बढ़ा गर्व महसूस करती है और उन्हें यह लगता है की यदि उन्होंने अपना अंग प्रदर्शन नही किया तो वे समाज में लोकप्रिय नहीं हो सकती है| हमारे युवा इन फिल्मो को देख कर उनसे उन सभी बातो को सीख रहे हैं जो उनके जीवन के लिये घातक है और उनकी मानसिकता को कमजोर करती है| जिनसे उनका जीवन अंधकार की और अग्रसर हो रहा है| वहीं दूसरी और महिलायें नारी सुरक्षा की बात करती है तो बताइये नारी सुरक्षा किस प्रकार सम्भव है| इस प्रकार की फिल्मों पर सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने चाहिये तथा इस प्रकार की फिल्मो पर रोक लगानी चाहिए| effect of films on indian culture