बच्चों का पन्ना

वही सफलता पाता है

पीपल मेरे पूज्य पिताजी,

तुलसी मेरी माता है|

बरगद को दादा कहने से,

मन पुलकित हो जाता है|

 

बगिया में जो आम लगा है,

उससे पुश्तैनी नाता,

कहो बुआ खट्टी इमली को,

मजा तब बहुत आता है|

 

घर में लगा बबूल पुराना,

वह रिश्ते का चाचा है|

“मैं हूँ बेटे मामा तेरा,”

यह कटहल चिल्लाता है|

 

आंगन में अमरूद लगा है,

मंद मंद मुस्कराता है|

उसे बड़ा भाई कह दो तो,

ढेरों फल टपकाता है|

 

यह खजूर कितना ऊंचा है,

नहीं काम कुछ आता है|

पर उसको मौसा कह दो ,

मीठे खजूर खिलवाता है|

 

अब देखो यह गोल मुसंबी,

इसका पेड़ लजाता है|

पर इसका मीठा खट्टा फल,

दादी सा मुस्काता है|

 

जिन लोगों का पेड़ों से,

घर का रिश्ता हो जाता है|

पेड़ बचाने की मुहीम में,

वही सफलता पाता है|