गणेश जी गाँधीवादी हैं ………………

2
318
चुनावी कम्प्यूटर में चुनाव आयोग का कड़ाई वायरस क्या आया सारा आपरेटिंग सिस्टम ही करप्ट हो गया कोई विंडो खुली नज़र नहीं आ रही की जिससे अन्दर बाहर  किया जा सके | बेचारी चुनावी   इंजीनियरिंग की वाट ! लगी पड़ी है | शराब,गांजा,भांग,रूपए,पैसे,का सॉफ्टवेयर,और लाठी-डंडे-बन्दूकी बाहुबल का हार्डवेयर ठीक वैसे ही बेकार पड़ा है जैसे  लंका जलते वक़्त कुम्भकरण पड़ा था | इस ह्रदय विदारक मौके पर यदि कोई गब्बर सिंह जैसी संवेदनशील और करूण आत्मा होती तो चीख कर दर्द के साथ कह पड़ती…… कितनी न इंसाफी है ? पर हमारे मुंह से तो आवाज़ ही नहीं निकल रही है | हम इस उदारीकरण के युग में इतने स्वार्थी हो गए है की हमें किसी के सपनो की कोई फ़िक्र ही नहीं रह गयी है| किसी के दिल की सिसकियों के कोई वास्ता ही नहीं रह गया है | जिनके ऊपर चुनाव आयोग का ये पहाड़ टूटा है, वो बेचारे नेतागण, गणेश जी के सामने,गणतंत्र की दुहाई देते हुए, दोनों जून चार, अगरबत्ती जला कर, आठ बार बस यही दोहराते है कि….. हे विनायक हमारे रंग बिरंगे स्वप्नों की रक्षा अब तुम ही कर सकते हो | हमारे तो सारे सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर करप्ट हो गए है | अब तुम ही बताओ इस करप्ट सिस्टम के बल पर हम करप्शन का सिस्टम कैसे चलेंगे | आप ही कोई रह दिखाइए विनायक ……
नेताओं से गणेश जी का बड़ा ही सूक्ष्म रिश्ता है | गणेश जी भी गाँधीवादी हैं क्योंकि गणेश जी की तोंद है| आपका दिमाग पी.टी. उषा की तरह दौड़ लगाने लगा हम जानते है और अब तक उसने कई ऐसे लोगों के  नाम की धर-पकड़ भी कर ली होगी जो तोंद विहीन  गांधीवादी है| तो इस पर बड़ी ही विनम्रता के साथ मैं कहना चाहता हूँ कि आप कद्दू है और आपका दिमाग भी कद्दू है,बौखालिए मत  कद्दू गाली नहीं होती,उपाधि होती है जो भारत की मेहनतकश जनता को दी जाती है ,क्योंकि कद्दू  और मेहनतकश जनता दोनों की ही माँ धरती होती है | पर तोंद वाला प्रश्न तो छुट ही गया आखिर तोंद गयी कहाँ ? सर मत खुजाइए जवाब ये है कि जिन गांधीवादी नेताओं के पास तोंद नहीं है उन्होंने उसे स्विस बैंक में जमा कर दिया है | तोंद लाद कर चलने में इन्कमटैक्स विभाग की नज़र पड़ सकती है | इन्कमटैक्स विभाग शनिदेव है इसकी नज़र में आने के बाद धैया या साढ़े साती का प्रसाद मिलना बिल्कुल तय  है | मुझे गुप्त पुराण पड़ने से पता चला है कि नेताओं के तोंद में लक्ष्मी जी का वास है | गुप्त पुराण से  एक गुप्त बात और पता चली है कि शनि देव लक्ष्मी जी के भाई हैं और लक्ष्मी जी  गणेश जी कि कथित माँ | इसका मतलब शनिदेव गणेश जी के मामा हुए| लक्ष्मी जी गणेश जी को बहुत प्यार करती है आखिर माँ जो ठहरी,शनि देव गणेश जी को उनसे भी ज्यादा प्यार करते है  डबल माँ …..मामा जो ठहरे |
भारत की राजनीती की तरह मामला परिवारवाद के जाल में फँसता चला जा रहा है बिलकुल हमारी व्यवस्ता,हमारे लोकतंत्र की तरह उलझता जा रहा है,तो लाओ सुलझा दे | वैसे भी उलझी हुई चीज को सुलझा हुआ मान लेना आप लोगों की आदत हो गयी है | खैर फिर से आपको याद दिलाते चलें की गणेश जी ने कभी किसी का क़त्ल नहीं किया,वो फल फूल खाने वाले गजमुख है |वो गाँधीवादी है | गाँधीवादी है तो नेता होंगे ही…समझता नहीं है यार …आज़ादी के 66 साल बाद भी |गाँधी मतलब  नेता होता है |तो ये सिद्ध होता है कि गणेश जी नेता हैं | लक्ष्मी जी भी गांधीवादी हैं गाँधी जी तो लक्ष्मी जी के ह्रदय में बसे होते है |आपने हरे-हरे नोट पर गाँधी जी कि तस्वीर तो देखी ही होगी |
चूंकि गणेश जी नेता है उन्होंने बेचारे नेताओं की पीरा समझी और अपने प्रभाव से शादियों के लगन में तेजी कर दी ताकि बेचारे नेताओं को अपनी बात कहने का मौका तो मिले ,उन बेचारों को चुप रहने कि आदत नहीं होती न ….और चुनोव में तो उन्हें चुप कराने का जो षड़यंत्र चुनाव आयोग ने किया है वो अति निर्मम पाप है| खैर  गणेश जी के आशीर्वाद से शादियाँ खूब हैं सभी दल के नेता अनजानी शादी  में अब्दुल्ला दीवाना की तरह चुनावी डांस कर रहे है | लड़के लड़की के जयमाल का मंच ” सर्व पार्टी सम्भाव” का पावन तीर्थ बन चुका है | मंच का अपना कोई रंग नहीं है जो पार्टी आशीर्वाद देने के लिए चढ़ती है मंच का रंग अपने हिसाब से कर लेती है |मुंह से आशीर्वाद की जगह आश्वासन और वादों  के बोल फूटते है, अब इतनी भीड़ वाला मौका कैसे गवाएं |आखिर मेहमान भी वोटर होता है |
अबकी चुनाव आयोग के कड़ाई के मौसम में गणेश जी के विशेष जर्क से नेताओं के लिए शादियों की झड़ी लगना उतना ही शुभ है जितना डूबते हुए के लिए तिनका होता है |
लेकिन बेचारे लड़के-लड़की वालों के लिए इन नेताओं का आना वैसे ही है  जैसे किसी छोटी सी नव में सांड और भैंसे का चढ़ बैठना |क्योंकि नेता जी अपने पूरे लव लश्कर के साथ पहुँचते है दावत भी उड़ाते हैं पर उपहार देते वक़्त कान में फुसफुसा कर कह देते है ”चुनाव आयोग सब देख रहा है …..कुछ देंगे तो हमारे खाते में लिख लेगा ” इतना कहते-कहते दो चार वादे मीठे शब्दों में घोल के कानों में पिला देते है …
चुनाव के पहले चरण में ही पप्पू की शादी है पर शादियों के चुनावी सभा बनने से पप्पू डर गया है उसने आपनी शादी चुनाव तक पोस्टपोन का दी है | और  अपनी पप्पी को समझा कर  हुए कह दिया है की पहले वोट डाल ले फिर वर माला डालेंगे ……तवो ये वाक्य उतने ही डर के साथ बोल रहा था जितने डर के साथ रामगढ़ की महिलायें अपने बच्चों से कहती है कि बच्वो जडली सो जा नहीं तो गब्बर आ जाएगा,पप्पी भी चुनाव तक शादी को एक अबोध बच्चे कि तरह भूलने को तैयार है |
Previous articleमहान स्वतंत्रता सेनानी जनरल शाह नवाज खान
Next articleचुनावी काले धन के जनकल्याण
अनुराग अनंत
बाबासाहेब भीम राव अम्बेडकर केंद्रीय विश्विद्यालय,लखनऊ से जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग से परास्नातक की पढाई , मूल निवासी इलाहाबाद, इलाहाबाद विश्विद्यालय से स्नातक, राजनीतिक जीवन की शुरूवात भी वहीँ से हुई. स्वंतंत्र लेखन व साहित्य लेखन में रत हूँ . वामपंथी छात्र राजनीति और छात्र आन्दोलन से सीधा जुड़ाव रहा है. छात्र संघर्षो और जन संघर्षों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेता रहा हूँ और ज्यादा कुछ खास तो नहीं पर हाँ इंसान बनने की प्रक्रिया में सतत लिप्त हूँ. अपने सम्पूर्ण क्षमता और ज्ञान से उन लोगों की आवाज़ बुलंद करना चाहता हूँ जिनकी आवाज़ कुचल दी गयी है या फिर कुचल दी जाती है सत्ता और जनता के संघर्ष में मैं खुद को जनता का सिपाही मानता हूँ । ( मोबाइल :-09554266100 )

2 COMMENTS

  1. गण तंत्र को ‘गन’ तंत्र बनाने से रोकने के लिए गणराजा गणपति से प्रार्थना है!!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,310 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress