राजनीति

जेन – जी के बहाने जेन – पी की सक्रियता 

डॉ वेद प्रकाश

      विगत दिनों नेपाल में सत्ता पलट को लेकर हुई हिंसा और उपद्रव के तुरंत बाद भारत में विपक्ष के बड़े नेता एवं कुछ अन्य लोग सक्रिय हो गए हैं। भारत के लेह और कुछ अन्य स्थानों पर हिंसात्मक प्रदर्शन कुछ लोगों द्वारा देश को अस्थिर करने के प्रयासों की ओर संकेत कर रहे हैं। इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से समझने की आवश्यकता है।
    नेपाल में भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और अव्यवस्थाओं से परेशान होकर वहां की जेन-जी यानी युवा शक्ति ने आंदोलन किया और नेपाल में सत्ता पलट कर दिया।  जिसे लेकर सभी देशों में चर्चा और मिली जुली प्रतिक्रियाएं चल रही है। जेन-जी के लिए कहा जाता है कि यह लगभग वर्ष 1995 से 2010 के बीच जन्मी ऐसी पीढ़ी है जो टेक्नोलॉजी फ्रेंडली होने के साथ-साथ डिजिटल उपकरणों के प्रयोग और सोशल मीडिया में सक्रिय रहती है। सर्वविदित है कि वर्ष 1990 का दशक वैश्विक पटल पर भूमंडलीकरण, बाजारवाद और तकनीक के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन और नए इंफ्रास्ट्रक्चर का समय था। परिणामत उस दौर में जन्मे बच्चे उस तकनीक से परिचित होकर विकासक्रम में आगे बढ़े।
       भारतवर्ष भिन्न-भिन्न प्रकार की विविधताओं से संपन्न बड़ा देश है। यहां परंपरा और आधुनिकता, अध्यात्म, ज्ञान- विज्ञान और तकनीक सभी एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। यहां कोई एक विचार अथवा तकनीक एकाएक सभी को समाप्त करके अपना वर्चस्व नहीं बना सकते। भारत का जेन-जी आज 25 से 30 वर्ष की आयु वर्ग में है। इस जेन- जी के भरोसे, संकल्प और भागीदारी से ही देश विकसित भारत का संकल्प लेकर चल रहा है। यह जेन-जी ही भारत में नए-नए स्टार्टअप, मेक इन इंडिया, मेड इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत को आकर दे रहा है। यह जेन- जी ही भारत की ताकत है। इसमें सृजनशीलता है, इसमें संघर्ष हैं, सपने हैं, संकल्प हैं और उन्हें पूरा करने के लिए पुरुषार्थ भी है। ये नए भारत की नींव के पत्थर हैं, जिनके लिए राष्ट्र प्रथम है। ये जितना ज्ञान-विज्ञान और तकनीक पर भरोसा करते हैं उससे कहीं अधिक भारत की ज्ञान परंपरा, संत- महापुरुष परंपरा एवं सनातन परंपरा पर इनका विश्वास है। भारत का जेन-जी न केवल अपने देश की अपितु विश्व के विभिन्न देशों में वहां की विभिन्न व्यवस्थाओं की धुरी बनता जा रहा है। आज भारत विश्व की चौथी अर्थव्यवस्था बन चुका है। आज बहुत से युवा तेजी से विश्व के बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम में अपनी भागीदारी कर रहे हैं। विज्ञान के क्षेत्र में नए-नए आविष्कार और उपलब्धियां हासिल करने वाली यह जेन- जी पीढ़ी ही है। विगत में मालदीव, म्यांमार, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश एवं नेपाल में भिन्न-भिन्न रूपों में हिंसक आंदोलन हुए। प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से पड़ोसी देशों में हुए किसी भी घटनाक्रम का प्रभाव अपने देश पर पड़ना भी स्वाभाविक है। सरकार सतर्क रहते हुए अपना काम कर रही है।
     नेपाल के घटनाक्रम के बाद से भारत की जेन-पी भी सक्रिय है। जेन-पी से अभिप्राय भारत की राजनीति में ऐसी जेनरेशन अथवा पीढ़ी से है जो परिवारवाद से जन्मी है और उसी के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। भारत भाव से दूर इनमें संघर्ष और विचार का अभाव है। यदि है भी तो केवल निहित स्वार्थों के लिए है। वर्ष 2014 से ये सत्ता से बाहर हैं। इसलिए जेन-पी देश को कमजोर करने में सक्रिय रहते हैं। वैमनस्य फैलाना इनका धर्म बन चुका है। राष्ट्र प्रथम के स्थान पर इनके लिए स्वार्थ प्रथम है। केवल विरोध और आलोचना के सहारे जेन-पी आक्रोश फैलाने का काम करते रहे हैं। पड़ोसी देशों में जैसे-जैसे हिंसक आंदोलन होते हैं वैसे-वैसे ये सक्रिय रहते हैं। इनका पूरा इकोसिस्टम है जो लोकतंत्र, संविधान और जनहितों को खतरे में बताता है। ये एक सुर में बोलते हैं- भ्रष्टाचार बढ़ गया है, आम आदमी परेशान है, बेरोजगारों में गुस्सा है, चुनाव आयोग, न्यायालय और ईडी जैसी संस्थाएं सरकार के इशारों पर काम कर रही हैं। ईवीएम में गड़बड़ी के जरिए चुनाव जीते जा रहे हैं। सरकार की योजनाएं पूंजीपत्तियों के लिए हैं। सरकार वोट चोरी कर रही है आदि नॉरेटिव चलाकर ये जन आक्रोश पैदा करने का प्रयास करते हैं। कृषि कानून व सीएए जैसे महत्वपूर्ण कानूनों के विरोध में भी जेन-पी ने पूरी सक्रियता से वैमनस्य फैलाने और सत्ता पलट की योजनाएं बनाई। उस समय ट्रैक्टर और गाड़ियां लेकर प्रदर्शनकारियों का लालकिले में घुसना और वहां उत्पात करना इस योजना की बड़ी कड़ी कहे जा सकते हैं। इन्हें न तो लोकतंत्र में विश्वास है और न ही भारत के संविधान में। ये संसद में बहस नहीं करते, संसद में बने कानून को गलत बताते हैं और संसद के बाहर सामान्य लोगों को भ्रमित करते हैं। विगत दिनों समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारत में भी नेपाल जैसे हालात होने की भविष्यवाणी की है। उन्होंने कहा कि- अगर वोटों की डकैती नहीं रोकी गई तो यहां भी जनता सड़क पर उतरकर न्याय करेगी, जैसा कि पड़ोसी देश में देखने को मिला। इसी प्रकार अपने एक ट्वीट में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि- देश के युवा लोकतंत्र को बचाएंगे,देश के छात्र संविधान को बचाएंगे, देश की जेन- जी लोकतंत्र की रक्षा करेंगे और वोट चोरी को रोकेंगे, मैं उनके साथ हमेशा खड़ा हूं। इसके साथ ही वे उत्तराखंड में भर्ती परीक्षा में पेपर लीक से लेकर देरी के खिलाफ युवाओं के मुखर हो रहे आंदोलन में उनके साथ खड़ा होने का ऐलान भी कर चुके हैं। कांग्रेस वर्किंग कमेटी भी वोट चोरी और बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर आंदोलन का निर्णय कर चुकी है। क्या इस प्रकार की टिप्पणियां व निर्णय हिंसक प्रदर्शनों के लिए उकसाने वाले नहीं हैं? हाल ही में इत्तेहाद ए मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर ने मुसलमानों के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कहा कि- मुसलमानों को सड़कों पर उतरने को मजबूर ने करें। इसके दो दिन बाद ही मौलाना तौकीर के आवाह्न पर बरेली में जुटी भीड़ ने जबरन जुलूस निकालने की जिद में पुलिस पर पथराव व फायरिंग कर दी। सड़क पर खड़े वाहनों व दुकानों में तोड़फोड़ की। कुल मिलाकर कुछ लोगों को भ्रमित करके ऊपद्रव और अशांति फैलाई जा रही है। दूसरी और कांग्रेस सांसद इमरान मसूद भी आई लव मोहम्मद के बहाने सहारनपुर और रामपुर आदि क्षेत्रों में सक्रिय हैं। बंगाल की मुख्यमंत्री भी बंगालियों के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए लगातार उकसावे वाले भाषण दे रही हैं। हाल ही की लेह हिंसा और उपद्रव भी व्यवस्थित योजना के परिणाम दिखाई दे रहे हैं। समाचारों के अनुसार इस घटनाक्रम में भी सोनम वांगचुक का भड़काऊ भाषण और विदेशी फंडिंग सामने आ रही है। इन सभी बातों से ऐसा लगता है कि जेन-पी देश को अस्थिर करने वाली ताकतों को बढ़ावा देकर सत्ता हासिल करना चाहता है। एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आर्थिक विकास को गति देने एवं जन-जन में आत्मनिर्भरता और स्वदेशी से जुड़कर आगे बढ़ने का संकल्प जगा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर जेन- पी गरीबी, बेरोजगारी और अव्यवस्थाओं के नारों के बहाने युवाओं को उकसाकर अपने स्वार्थ और महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति हेतु प्रयासरत है।
      भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था बहुत मजबूत है। हाल ही में भारत के प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि- हमें अपने संविधान पर गर्व है। भारत की जेन- जी आर्थिक महाशक्ति बनते भारत के लिए संकल्पबद्ध होकर आगे बढ़ रही है। वह सैन्य महाशक्ति बनते भारत को देख रही है। उसी के विजन और भागीदारी से इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य अनेक क्षेत्रों में आमूलचूल परिवर्तन हो रहे हैं। आज सामान्य व्यक्ति भी वैश्विक प्रतिस्पर्धा के बीच स्वदेशी के महत्व को समझ रहा है। विभिन्न योजनाएं और जीएसटी में सुधार किसानों, मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग के जीवन को बदल रहे हैं।
      दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हिंसा,आंदोलन और वैमनस्य के बीच ध्यान रखना होगा कि जेन-पी के साथ आंदोलनजीवी और उपद्रवजीवी भी जुड़े हुए हैं। इसलिए जेन-पी के भिन्न-भिन्न रूपों में देश को अस्थिर करने के प्रयासों के प्रति सजगता अनिवार्य है।
डा.वेदप्रकाश