आम‌

mango
दोपहर में जब मम्मी सोई,
दादी करती थीं आराम|
लगा जोर से टेर लगाने,
ठेले वाला ले लो आम|

उठे दौड़कर चुन्नू आये,
छोड़े सभी हाथ के काम|
मुन्नू भी चिल्लाकर बोले,
ले लो मम्मी ले लो आम|

ठेले वाला फिर चिल्लाया,
बड़े रसीले मीठे आम|
एक बार बस खाकर देखो,
मिट जायेंगे कष्ट तमाम|

आम हमारे जिसने खाये,
उन‌का हुआ जगत में नाम|
रातों रात प्रसिद्धि पाई,
कल तक तो थे वह‌ गुमनाम|

मां बाहर आकर तब बोली,
क्यों न खुद खा लेते आम|
व्यर्थ झेलते क्यों गुमनामी,
कल होगा दुनियां में नाम|

आम यदि खा लेने से ही,
मिट सकते हों कष्ट तमाम|
अपने कष्ट मिटालो खुद ही,
खालो अपने सारे आम|

Previous articleएक या अनेक
Next articleभाजपा में पनपे मोदीवाद को झटका
प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,214 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress