गजल

गजल:पूछो तो भगवान है क्या–श्यामल सुमन

समझदार की भीड़ सामने एक सुमन नादान है क्या

मन्दिर मस्जिद गिरिजाघर में पूछो तो भगवान है क्या

 

पालनहार वही जब सबका मरते भूखे लोग कई

बेबस होकर सोच रहा मन ये उनकी सन्तान है क्या

 

दरगाहों में या मन्दिर में लाखों लोग किनारे हैं

बड़े लोग का स्वागत ऐसा मालिक का मेहमान है क्या

 

कुछ नाकाबिल लोगों को भी प्रायोजित सम्मान मिले

ऐसे लोगों को दुनिया में मिल पाती पहचान है क्या

 

होते जोड़ घटाव हमेशा पाप पुण्य परिमाणों में

सत्कर्मों से अलग बात यह लगता इक दुकान है क्या