गजल

गजल:बेच रहे तरकारी लोग- श्यामल सुमन

प्रायः जो सरकारी लोग

आज बने व्यापारी लोग

 

लोकतंत्र में बढ़ा रहे हैं

प्रतिदिन ये बीमारी लोग

 

आमलोग के अधिकारों को

छीन रहे अधिकारी लोग

 

राजनीति में जमकर बैठे

आज कई परिवारी लोग

 

तंत्र विफल है आज देश में

भोग रहे बेकारी लोग

 

जय जयकार उन्हीं की होती

जो हैं अत्याचारी लोग

 

पढ़े लिखे भी अब सडकों पर

बेच रहे तरकारी लोग

 

मानवता को भूल, धर्म पर

करते मारामारी लोग

 

चमन सुमन का जल ना जाए

शुरू करें तैयारी लोग