गजल

गजल:नसीब-राघवेन्द्र कुमार ‘राघव’

तू  नहीं, बेवफा नसीब मेरा |

मैं पा सका न तुझको, क्या कुसूर तेरा |

तू बेवफा नहीं, बेवफा नसीब मेरा |

दिल की किताब को शायद मैंने पढ़ा नहीं था |

न राँझा मिला था हीर को न मजनू लैला से मिला था |

इन प्यार के किस्सों में न बांधा किसी ने सेहरा |

तू बेवफा नहीं, बेवफा नसीब मेरा |

प्यार इस जहाँ में दौलत से तोलते हैं |

प्रेम खेल यारों अमीर खेलते हैं |

मैं था गरीब यारों ये है कसूर मेरा |

तू बेवफा नहीं, बेवफा नसीब मेरा |

जब रूठा हो रब ही यारों कौन अपनाता हमें |

यादें ही मेरी दफन थीं कौन समझाता हमें |

रुखसती के क्षण में उनको सलाम मेरा |

तू बेवफा नहीं, बेवफा नसीब मेरा |

हर चीज़ बदल जाती है मौसम के साथ में |

तुम भी बदल गए किस्मत के साथ में |

मुबारक हो तुमको चमन का सितारा |

तू बेवफा नहीं, बेवफा नसीब मेरा ||