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अलविदा 2025 : बदलाव,बहस और उम्मीदों का साल !

डॉ घनश्याम बादल

जैसा कि हर साल होता है, एक और साल विदाई के कगार पर खड़ा है। 2025 भी अपनी स्मृतियों और समय के रेत पर अपने पद चिन्ह छोड़कर जा रहा है, फिर कभी न लौटने के लिए। अपनी सारी धरोहर 2026 की झोली में डालकर 2025 काल के गर्त में खो जाएगा लेकिन उसने जो जो किया या सहा वह सब इतिहास में दर्ज हो जाएगा।

2025 केवल एक साधारण कैलेंडर वर्ष नहीं रहा बल्कि यह ऐसे घटनाक्रमों का साक्षी बना जिनका असर राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाज और जनमानस पर लंबे समय तक दिखाई देगा। अंतरराष्ट्रीय मंचों से लेकर देश के गाँवों तक, वाद विवाद, संवाद, निर्णय, टकराव, सौहार्द्र , उपलब्धियाँ और प्रयोग, इसने खुशी के साथ-साथ कभी न मिटने वाले घाव हर 2025 देकर अपनी एक अलग ही छाप छोड़ी है ।

अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम पर निगाह डालें तो रूस और यूक्रेन का टकराव जारी रहा इसराइल ने हमास की कमर तोड़ दी मगर लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. नेपाल में जैन जी आंदोलन ने ओली सरकार का तख्ता पलट कर कुछ बड़े संकेत दिए. वहां सुशीला जोशी अब राजकाज देख रही हैं । वहीं बांग्लादेश में भी शेख हसीना को वहां के कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी। पाकिस्तान में ऑपरेशन सिंदूर में मुंह की खाने के बावजूद आसिम मुनीर का रुतबा सातवें आसमान पर है लेकिन इमरान की जनता पर पकड़ अभी भी बनी हुई है और शहबाज शरीफ एक कठपुतली प्रधानमंत्री की तरह सरकार चला रहे हैं मगर इन सब घटनाक्रमों से अलग 2025 में डोनाल्ड ट्रंप के ‘टैरिफ टेरर’ ने दुनिया भर को हिला कर रखा. ब्राज़ील, चीन और भारत पर सबसे ज्यादा 50% टैरिफ लगने के बावजूद भारत की जीडीपी जबरदस्त तरीके से बढ़ी। आतंकवाद का कहर और उसके विरुद्ध कार्रवाई भी जारी रही पहलगाम हमले की परिणिति ऑपरेशन सिंदूर के रूप में सामने आई। अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भी जबरदस्त टकराव हुआ। ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत, चीन और कुछ एशियाई देशों पर जबरदस्त टैरिफ बढ़ाने की घोषणा ने वैश्विक व्यापार को झकझोर दिया। इससे भारत सहित कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं के निर्यात और मुद्रा बाज़ारों पर दबाव भी बना।

इसी वर्ष लाल सागर और फारस की खाड़ी में समुद्री मार्गों पर अस्थिरता के कारण कई देशों को अपने व्यापारिक रास्ते बदलने पड़े। ऊर्जा आपूर्ति बाधित होने से कच्चे तेल की कीमतों में उतार–चढ़ाव देखा गया।

आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक अभियान के तहत भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सहयोग से “ऑपरेशन सिंदूर” को अंजाम दिया जिसे सीमा-पार आतंकी नेटवर्क के खिलाफ एक निर्णायक कार्रवाई के रूप में देखा गया। इस ऑपरेशन ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत आतंकवाद के मुद्दे पर अब केवल कूटनीतिक विरोध तक सीमित नहीं रहेगा।

आर्थिक दृष्टि से विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर भारत के राष्ट्रीय परिदृश्य के हिसाब से भी 2025 घटना प्रधान वर्ष सिद्ध हुआ। कई योजनाओं का पुनर्गठन और राजनीतिक संकेत देश के भीतर 2025 का सबसे चर्चित घटनाक्रम रहा जैसे मनरेगा का पुनर्गठन कर उसे विकसित भारत “जी-राम-जी (ग्रामीण आजीविका एवं रोजगार गारंटी योजना)” के रूप में प्रस्तुत किया जाना। विपक्ष के कड़े विरोध और हंगामा के बीच सरकार ने इसे केवल नाम परिवर्तन नहीं बल्कि डिजिटल ट्रैकिंग, परिसंपत्ति निर्माण और कौशल-आधारित रोजगार से जोड़ने का प्रयास बताया हालांकि विपक्ष ने इसे “पुरानी योजना को नए पैकेट में पेश करने” की संज्ञा दी।

संसद के शीतकालीन सत्र में इस बदलाव को लेकर तीखी बहस प्रदर्शन और वॉक आउट तक हुए। । ग्रामीण रोजगार, बजट आवंटन और राज्यों की भूमिका जैसे सवालों ने राजनीतिक विमर्श को धार दी।

इसी वर्ष चुनावी सुधार, एक देश–एक चुनाव और प्रशासनिक पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर भी सरकार और विपक्ष आमने-सामने रहे जिससे 2025 राजनीतिक रूप से बेहद सक्रिय वर्ष साबित हुआ। विशेष गहन पुनरीक्षण एस आई आर ने भी हलचल मचाए रखी बिहार में 65 लाख से ज्यादा वोट कट गए और अब बंगाल तथा उत्तर प्रदेश के साथ उत्तरी पूर्वी राज्यों में यह जारी है । ममता बनर्जी का विरोध 2025 में विशेष रूप से दर्ज किया गया। चुनाव आयोग विपक्ष के निशाने पर रहा तो सरकार का हाथ उसकी पीठ पर लगातार दिखाई दिया.

आर्थिक घटनाक्रम में महंगाई, डिजिटल अर्थव्यवस्था और दबाव सुर्खियों में रहे।

2025 में महंगाई नियंत्रण सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी रही। खाद्य पदार्थों और ईंधन की कीमतों में वैश्विक अस्थिरता का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ा। सोने चांदी जैसी कीमती धातुओं के भाव एक ही वर्ष में रॉकेट की स्पीड से बढ़े और रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंचे।

हालाँकि डिजिटल भुगतान प्रणाली (UPI) ने भी नया रिकॉर्ड बनाया। स्टार्टअप और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में निवेश बढ़ा। जीएसटी की दरों में सुधार से व्यापार एवं निवेश में रहता मिलती दिखाई दी। बावजूद 50% टैरिफ की मार झेलने के भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं में बना रहा लेकिन मध्यम वर्ग और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की सुस्ती वर्ष की बड़ी आर्थिक सच्चाई रही।

2025 में सामाजिक स्तर पर युवाओं में रोजगार को लेकर बढ़ती बेचैनी, डिजिटल युग में निजता और डेटा सुरक्षा व महिलाओं की सुरक्षा और कार्यस्थल पर समानता, शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़े विवाद, ऑनलाइन धोखाधड़ी के बढ़ते मामले और मानसिक स्वास्थ्य पर खुली चर्चा छाए रहे। ।

खेलों के मोर्चे पर 2025 भारत के लिए उत्साहजनक रहा। क्रिकेट में भारत की एशिया कप जीत ने देशभर में जश्न का माहौल बनाया। युवा खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने यह भरोसा दिलाया कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य सुरक्षित हाथों में है।

इसके अलावा हालांकि इस बीच साउथ अफ्रीका से टेस्ट क्रिकेट मैच की श्रृंखला हारने का ग़म भी साथ रहा। 2026 में होने वाले 2020 विश्व कप के दल की घोषणा में जब शुभमन गिल और यशस्वी जायसवाल के नाम देखने को नहीं मिले तो साफ संकेत मिला कि अब नाम नहीं प्रदर्शन ही आपका चयन की कसौटी है। शतरंज में गुकेश का जलवा कायम रहा तो क्रिकेट में वैभव सूर्यवंशी और शेफाली वर्मा भविष्य की आशा के रूप में दिखाई दिए।

एथलेटिक्स और बैडमिंटन में भी भारतीय खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय पदक जीते

महिला क्रिकेट खिलाड़ियों ने भारत को विश्व कप जितवाया तो स्क्वैश का वर्ल्ड कप भी भारत की झोली में आया। इन सफलताओं ने खेलों में नई प्रेरणा दी.

फिल्म और सांस्कृतिक जगत में कंटेंट की निर्णायक वापसी हुई। 2025 में फिल्म जगत में बड़ा बदलाव दिखा। बड़े बजट की फिल्मों के साथ-साथ सामाजिक यथार्थ, इतिहास और राजनीतिक पृष्ठभूमि पर बनी फिल्मों और वेब सीरीज़ को दर्शकों का भरपूर समर्थन मिला लेकिन हिंसा से भरपूर अंडरवर्ल्ड की फिल्म ‘धुरंधर’ की रिकार्ड तोड सफलता कई सवाल भी खड़े करती है। ओ टी टी पर हिंसा और सेक्स तथा अश्लीलता का वर्चस्व संस्कृति एवं संस्कार पर प्रहार भी का भी संकेत है । क्षेत्रीय सिनेमा ने राष्ट्रीय मंच पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई, पर सेंसरशिप, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कंटेंट की जिम्मेदारीइन मुद्दों पर भी साल भर बहस चली।

साल 2025 को यदि एक वाक्य में परिभाषित किया जाए, तो यह कहा जा सकता है ,यह वर्ष फैसलों, टकरावों और स्पष्ट संदेशों का साल रहा।

डॉ घनश्याम बादल