जगमगाते दीओं की रात क्या आती है कि वो लेकर आती है ढेर सारी खुशियां और उत्साह …हर कोई इस रोशनी के त्यौहार से लबरेज नज़र आता है…हर किसी यही चाहत रहती है कि ये त्यौहार हम रोज मनाते रहे भई रोशनी , प्रकाश का जो त्यौहार है…दीपावली के दूसरे दिन ही होती है गोवर्धन पूजा…जिसे देशभर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है ।दीवाली के दूसरे दिन भी दिए जलाए जाते हैं और घर का हर कोना रोशन हुआ नज़र आता है…भई इस दिन होती है घऱों में गोवर्धन पूजा…इस दिन गोवर्धन पूजा के साथ साथ अन्नकूट की भी पूजा होती है…गोवर्धन पूजा के साथ ही अन्नकूट का भी बड़ा ही महत्व रहता है । इसी दिन सम्पन्न होते हैं अन्नकूट, मार्गपली और बलि पूजा उत्सव ।
हर त्यौहार अपने साथ लेकर आता है ढेर सारी खुशियां … परिवार,समाज , देश और दुनियां में ये खुशियां बरकरार रहें इसके लिए भी कामनाएं की जाती हैं …दीवाली के दूसरे दिन की जाती है गोवर्धन पूजा… गोवर्धन पूजा का ये पर्व भी जुड़ा है हमारी धार्मिक आस्था और सर्व के भले की कामना पर…कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पर्व मनाया जाता है…इसी दिन बलि पूजा, अन्नकूट और मार्गपाली उत्सव मनाए जाते हैं …अन्नकूट और गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद व्दापर युग से आरम्भ हुई…इस दिन गाय ,बैल पशुओं को स्नान करा के उनकी पूजा की जाती है और हाथ से मिठाईयां खिलाई जाती हैं…और फिर इनकी आरती भी उतारी जाती है…पूजा करने के लिए एक नियम यह भी है कि गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है…जल , मौली, रोली चावल , दही और तेल का दीपक जलाकर इनकी पूजा और अराधना की जाती है और इसके बाद की जाती है… गोबर के बनाए गए पर्वत की परिक्रमा …कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को भगवान श्री कृष्ण को नैवेद्य और भोग नित्य पदार्थों के अलावा अन्न से बने कच्चे और पक्के भोग जिनको हम अर्पित करते हैं वो हैं भगवान श्रीकृष्ण…अन्नकूट जिसका मतलब है अन्न का ढेर ….भागवत पुराण में आता है कि जो व्यक्ति इस दिन पूजा को पूरे परिवार ,मित्रों के साथ करता है …उसका घर हमेशा अन्न और धन से भरा रहता है …उस घर में कोई कमी नहीं आती…
दीपावली की अगली सुबह की जाती है गोवर्धन पूजा…लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं…इस दिन का हमारे जीवन में खास महत्व है …इस त्यौहार का भारतीय लोक जीवन में अहम महत्व हैं…गोवर्धन जो कि नाम से ही स्पष्ट है गो धन …गाय वो धन है जो हमे मीठा दूध तो देती ही हैं साथ ही इसके दूध के बनाए जाते है मीठे पकवान…वहीं इसका बछड़ा खेतों में अनाज उगाने में काफी मददगार रहा है …हम गाय को मां का दर्जा देते हैं …गाय को देवी लक्ष्मी मां का रूप माना गया है…जैसे देवी लक्ष्मी मां हम सबको सुख समृद्धि प्रदान करती है…उसी तरह गौ मात भी अपने दूध से हमें स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती है…गौ के प्रति श्रद्धा भाव प्रकट करने के लिए गोवर्धन पूजा की जाती है …ब्रज में तो दूध का अर्घ्य देने का भी नियम है…अन्नकूट या गोवर्धन पूजा का ये पर्व है तो बड़ा ही प्राचीन है…मगर जब श्रीकृष्ण ने अवतार धारण किया तो तभी से व्दापर युग में इसका आरम्भ हुआ …भगवान श्रीकृष्ण ने ही गोवर्धन पूजा शुरू की…ब्रज वासी तो इस त्यौहार को बडी ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं …इस त्यौहार का धार्मिक महत्व तो है ही साथ ही ये त्यौहार हमारी प्रकृति से भी जुड़ा हुआ है…गोवर्धन पूजा हमें संदेश देती है कि हमें अपनी प्रकृति को कैसे संभाल कर रखना है…प्रकृति से प्रेम करना है जिससे कि हम पृकति के नजदीक रहे और उसे प्रेम करें… क्योंकि इससे ही हमारा होता है भरण पोषण….प्राकृतिक संसाधनों को संभाल कर रखें और इनकी देवताओं के सामान पूजा करें।
भगवान हमें जिस हाल में रखे उसी हाल में रहना है और खुशी खुशी जीवन यापन करना है…हमें निरतंर काम करते जाना और फल की इच्छा नहीं रखनी चाहिए…जो कर्तव्य हमें भगवान ने सौंपा है उसे पूरी तनदेही से निभाना चाहिए…इन्द्र को इस बात का अहंकार हो गया था कि वो बारिश करवाते हैं …तब भगवान कृष्ण ने इन्द्रदेवता को एहसास करवाया कि वो ऐसा करके कोई कृपा नहीं करते…ये तो उनका कर्तव्य है जो भगवान ने उन्हें सौंपा है …इन्द्रदेवता के अहंकार को तोड़ने के लिए भगवान कृष्ण ने अवतार धारण करके आए…इस दिन भगवान कृष्ण ने इन्द्र की पूजा को बंद करके उसके स्थान पर गोवर्धन की पूजा का प्रारम्भ करवाया था श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को पूछा कि वो गोवर्धन पूजा के दिन इन्द्रदेवता की पूजा क्यों करतें है तो इस पर ब्रजवासियों ने कहा कि इन्द्रदेवता पर ही हमारी खेती निर्भर है इन्द्र देवता ही वर्षा करके उनके खेतों में अन्न पैदा करते है और उनके पशुओं को चारा मिलता है इस शंका को दूर करते हुए …गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा …खुद श्रीकृष्ण ने गोवर्धन रूप धारण कर ये पूजा स्वयं ग्रहण की ,जिससे इन्द्रदेव कुपित हो गए थे और इन्द्र देवता ने मुस्लाधार वर्षा की …और श्रीकृष्ण ने सारे लोगों गोप गोपियों, पशु पक्षियों को बचाने के लिए…उनके प्राणों की रक्षा की और इस मुस्लाधार वर्षा से बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने अपनी सबसे छोटी ऊंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया और लोगों को इस मुस्लाधार वर्षा से निजात दिलवाई…और इन्द्र के अहंकार को तोड़ा…श्रीकृष्ण के स्मरण के लिए गोवर्धन पूजा का ये दिन रखा गया होता है खास…समस्त ब्रजवासी सात दिन गोवर्धन पूजा करतें हैं और उनकी शरण में रहतें हैं …ब्रजवासियों पर एक बूंद तक नहीं गिरी थी…ब्रहमा जी ने जब इन्द्र को बताया कि पृथ्वी पर श्री कृष्ण ने अवतार ले लिया है और तुम्हारा उनसे वैर लेना उचित नहीं है…तो श्री कृष्ण के अवतार की बात जानकार वे बड़े लज्जित हुए और श्री कृष्ण से क्षमा याचना मांगी…श्री कृष्ण ने सातवे दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखकर …ब्रजवासियों को कहा कि वो हर वर्ष गोवर्धन पर्व को मनाएंगे अन्नकूट का ये पर्व मनाने से आपके घर में धन धान्य से परिपूर्ण रहेंगे…तभी से लेकर आज तक इस धार्मिक पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जा रहा है ।
अन्नकूट जो शब्द से ही स्पष्ट है अन्न का ढेर। हर साल मनाए जाने वाले अन्नकूट पर्व की वल्लभ कुल के सम्प्रयायों के मंदिरों में बड़ी धूम रहती है …इस सम्प्रदाय में तो मंदिरों में बड़े बड़े आयोजन किए जाते हैं और इसकी शुरूआत दशहरे से ही हो जाती है …इन 21दिनों में अलग अलग तरह के पकवान बनाए जाते हैं …हर दिन भगवान को भोग लगाकर सभी को बांट दिया जाता है…अन्नकूट का ये आयोजन गोवर्धन पूजा के लिए ही किया जाता है …भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन भक्ति , शक्ति , रहस्य , चमत्कार का ये पर्व शुरू किया था …माना जाता है कि इस दिन कृष्ण के साक्षात् दर्शन होते हैं …गोवर्धन में दीवाली के दूसरे दिन श्रद्धालु कन्हैया के रंग में रंगने के लिए ब्रज जाते हैं …ये पर्व हमें प्राकृति की रक्षा करने का भी संदेश देता है…श्री कृष्ण प्राकृति से बेहद लगाव था …इन्द्र के अहंकार तोड़ने के पीछे यही मक्सद था कि ब्रजवासी प्राकृति से प्रेम करें और अपने पर्यावरण को बचाएं ..उसकी रक्षा करें…
आज के दिन ब्रज में दूध का अर्घ्य दिया जाता है गोवर्धन पूजा का नियम है कि इस दिन गोवर्धन पूजा जरूर करनी चाहिए जिस भी तरह से आप पूजा करें श्री कृष्ण खुश हो जाते हैं ,भगवान श्री कृष्ण खुद आ कर आपकी अराधना , पूजा को स्वीकार करते हैं ,लोग अपने गोधन की पूजा करते हैं और गोवंश की सुरक्षा करने का प्रण लेते हैं ..मंदिरों में गोवर्धन का प्रतिक्रमा बनाकर पूजा तो की ही जाती है …साथ ही परिक्रमा लगाई जाती है …सब्जियों और अन्न को मिलाकर अन्नकूट बनाया जाता है ।भगवान को भोग लगाकर सभी को प्रसाद बांटा जाता है …इस पर्व को मनाने से गाय का तो कल्याण होता है…इससे पुत्र , पौत्रादि की सुख प्राप्ति होती ही है..कार्तिक महीने में जप , होम , अर्चना करता है उसका फल गोवर्धन पूजा से जरूर मिलता है।
कहा जाता है कि जो गोवर्धन पूजा के दिन खुश रहता है वो सारा साल खुश रहता है …गोवर्धन , अन्नकूट से आपके घर भरे रहें … अन्न और धन से आपके घर भरे रहें और आप खुशहाल जीवन जिए और श्रीकृष्ण जी की आप सभी पर कृपा बनी रहे ।