कविता

हिंदी है वो शब्द जिसका है सब पर वश

डॉ. शंकर सुवन सिंह

हिंदी है वो शब्द, जिसका है सब पर वश

हिंदी है वो शब्द, जिसकी कोई नहीं है शर्त।

हिंदी विरोधी, विरोध करें और करैं न कुछ काम

आंदोलन कर दंगा करें, करैं न हिंदी सम्मान।

देश को तोड़ा न की जोड़ा

ऐसे लोगों ने ही तो हिंदी को किया बदनाम।

हुआ हिंदी का अभिवादन और नारा हुआ बुलंद

मान है सम्मान है, हिंदी पर हमे अभिमान है।

हिंदी है, उस देश की भाषा

जिस देश में बहती है गंगा जमुना की धारा।

हिंदी-हिंदुस्तान का गठबंधन है पावन

जैसे राम लक्ष्मण का हो रिश्ता पावन।

कर कुछ ऐसा जिस दर पर हो हिंदी हमेशा

हिंदी है वो शब्द जिसका है सब पर वश….