दोहे साहित्‍य

अस्पताल बीमार

hospitalपैरों की तकलीफ से वो चलती बेहाल।

किसी ने पीछे से कहा क्या मतवाली चाल।।

 

बी०पी०एल० की बात कम आई०पी०एल० का शोर।

रोटी को पैसा नहीं रन से पैसा जोड़।।

 

दवा नहीं कोई मिले डाक्टर हुए फरार।

अब मरीज जाए कहाँ अस्पताल बीमार।।

 

भूल गया मैं भूल से बहुत बड़ी है भूल।

जो विवेक पढ़कर मिला वही दुखों का मूल।।

 

गला काटकर प्रेम से बन जाते हैं मित्र।

मूल्य गला है बर्फ सा यही जगत का चित्र।।

 

बातों बातों में बने तब बनती है बात।

फँसे कलह के चक्र में दिखलाये औकात।।

 

सोने की चाहत जिसे वह सोने से दूर।

भ्रमर सुमन के पास तो होगा मिलन जरूर।।