कितना अच्छा होता अगर
दुनिआ में इनसान नहीं होते
चारो तरफ जंगल ही जंगल होता
पानी ही पानी होता
चिड़िया अपने सुर में गाते
सारे अपने धुन में जीते
हवा अपने मन से बहता
पानी अपने मन से बहता
कभी कहीं पे कान फटने वाला
डी जे नहीं होता
बारात नहीं होता की बारदात भी नहीं होते
चिड़िया घर नहीं होता पर चिड़िया
अपने घर में होते।
कितना अच्छा होता अगर
धरती पे इनसान नहीं होते।
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