कविता

हम राजा हैं

हम राजा हैं

 तुम घोड़ा बन जाओ भैया,
 मैं बैठूंगी पीठ पर।
 कपड़े वपडे नहीं बदलना,
 बैठूँ नई कमीज़ पर।

धीरे- धीरे नहीं मटकना,
बहुत तेज चलना तुम।
जैसे वन में राजा होता,
तुम भी हो जाना गुम।

किसी झोपड़ी में जाकर हम,
रात वहीं काटेंगे।
और झोपड़ी वाले के संग,
दुख सुख हम बाँटेंगे।

फिर बोलेंगे हम राजा हैं,
महल हमारे आओ।
मंत्री को बोलेंगे इसको,
सौ मुहरें दिलवाओ।