मानव जीवन में विज्ञान की महत्ता

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (28 फरवरी) पर विशेष

योगेश कुमार गोयल

            विज्ञान ने आज हमारे जीवन को बेहद आसान और सुविधाजनक बना दिया है। युवाओं की आज के समय में विज्ञान के प्रति कितनी रूचि है, इसी पर देश का भविष्य निर्भर करता है। युवाओं के साथ-साथ समाज के हर वर्ग के दिलोदिमाग मेें विज्ञान के प्रति ज्यादा से ज्यादा रूचि जागृत करने के लिए ही प्रतिवर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। दरअसल इस दिवस के जरिये बच्चों को विज्ञान को बतौर कैरियर चुनने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है ताकि देश की आने वाली पीढ़ी विज्ञान के क्षेत्र में अपना उल्लेखनीय योगदान दे सके और देश प्रगति के मार्ग निरन्तर आगे बढ़ता रहे। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार के लिए राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा भारत में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में नामित करने के लिए वर्ष 1986 में भारत सरकार को कहा गया था और सरकार द्वारा इसे स्वीकृति प्रदान किए जाने के बाद से 28 फरवरी 1987 से प्रतिवर्ष इसी दिन भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में एक महान कार्यक्रम के रूप में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता रहा है। यह दिवस भारत के महान् वैज्ञानिक भौतिक शास्त्री सर सी. वी. रमन की खोज ‘रमन प्रभाव’ को सदैव याद रखने और विश्व पटल पर विज्ञान के क्षेत्र में भारत का नाम रोशन करने वाले इस वैज्ञानिक को सम्मान देने के लिए उनकी स्मृति में मनाया जाता है। दरअसल सर सी वी रमन भौतिकी विज्ञान के क्षेत्र में पहले ऐसे भारतीय थे, जिन्होंने भारत में ऐसे आविष्कार पर शोध किया था।

            पश्चिम बंगाल के कोलकाता में इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस में 1907 से 1933 तक सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन ने कार्य किया था। उस दौरान उन्होंने भौतिकी के कई बिन्दुओं पर शोध किया था, जिसमें से ‘रमन प्रभाव’ (प्रकाश के फैलने पर प्रभाव, जब विभिन्न वस्तुओं के द्वारा उसे गुजारा जाता है) उनकी महान सफलता और खोज बनी, जो न केवल विज्ञान जगत में लोकप्रिय हुआ बल्कि पूरी दुनिया ने उनकी इस खोज को सराहा। सर सी वी रमन की यह खोज 28 फरवरी 1928 को दुनिया के सामने आई थी, जिसके बाद पूरी दुनिया में उनकी इस खोज ने तहलका मचा दिया था। उनके इसी बड़े आविष्कार के लिए वर्ष 1930 में उन्हें भौतिकी के क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा माना जाने वाला ‘नोबेल पुरस्कार’ दिया गया था। वे एशिया के ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने का गौरव हासिल हुआ था। ‘रमन प्रभाव’ खोज के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार के अलावा भी अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने के पश्चात् भारत लौटने पर उन्होंने कहा था कि मेरे जैसे न जाने कितने ही रमन सुविधाओं और अवसरों के अभाव में यूं ही अपनी प्रतिभा गंवा देते हैं, जिससे केवल उनका ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष का नुकसान है, जिसे हमें रोकना होगा।’’ वर्ष 2013 से अमेरिकन केमिकल सोसायटी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय ऐतिहासिक केमिकल लैंडमार्क के रूप में ‘रमन प्रभाव’ को नामित किया गया।

            देश में अन्य क्षेत्रों के अलावा विज्ञान के क्षेत्र में भी महिलाओं के योगदान के मद्देनजर उन्हें सम्मान देने के उद्देश्य से इस बार राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम रखी गई ‘विज्ञान के क्षेत्र में महिलाएं’ (वूमेन इन साइंस)। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की वर्ष 1999 से लेकर पिछले वर्ष तक की थीम पर नजर डालें तो वर्ष 1999 का विषय था ‘हमारी बदलती धरती’। इसी प्रकार वर्ष 2000 का विषय था ‘मूल विज्ञान में रूचि उत्पन्न करना, 2001 का ‘विज्ञान शिक्षा के लिए सूचना तकनीक’, 2002 का ‘पश्चिम से धन’, 2003 का ‘जीवन की रूपरेखा – 50 साल का डीएनए और 25 वर्ष का आईवीएफ’, 2004 का ‘समुदाय में वैज्ञानिक जागरूकता को बढ़ावा देना’, 2005 का ‘भौतिकी को मानना’, 2006 का ‘हमारे भविष्य के लिए प्रकृति की परवरिश करें’, 2007 का ‘प्रति द्रव्य पर ज्यादा फसल’, 2008 का ‘पृथ्वी ग्रह को समझना’, 2009 का ‘विज्ञान की सीमा को बढ़ाना’, 2010 का ‘दीर्घकालिक विकास के लिए लैंगिक समानता, विज्ञान और तकनीक, 2011 का ‘दैनिक जीवन में रसायन’, 2012 का ‘स्वच्छ ऊर्जा विकल्प और परमाणु सुरक्षा’, 2013 का ‘अनुवांशिक संशोधित फसल और खाद्य सुरक्षा’, 2014 का ‘वैज्ञानिक मनोवृत्ति को प्रोत्साहित करना’, 2015 का ‘राष्ट्र निर्माण के लिए विज्ञान’, 2016 का ‘देश के विकास के लिए वैज्ञानिक मुद्दों पर सार्वजनिक प्रशंसा बढ़ाने के लक्ष्य’, 2017 का ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकलांग व्यक्तियों के लिए’, 2018 का ‘एक सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ तथा वर्ष 2019 का राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का विषय ‘लोगों के लिए विज्ञान और विज्ञान के लिए लोग’ था।

            राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का सबसे बड़ा उद्देश्य लोगों को हमारे दैनिक जीवन में विभिन्न वैज्ञानिक आविष्कारों की महत्ता से परिचित कराना होता है, इसके अलावा वैज्ञानिक सोच रखने वाले लोगों को अवसर उपलब्ध कराना तथा उन्हें उनके कार्य के लिए प्रोत्साहित करना भी इसका अहम उद्देश्य है। विज्ञान के विकास के लिए नई तकनीकों को लागू कर विज्ञान और प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाने जैसे उद्देश्य राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के आयोजन में निहित हैं। विज्ञान के जरिये ही वैज्ञानिकों ने नई-नई तरह की तकनीकों का आविष्कार किया है और वैज्ञानिकों ने इन खोजों के जरिये मानव जीवन को बहुत बेहतर बना दिया है। इसी विज्ञान के जरिये हम रोबोट, कम्प्यूटर इत्यादि बनाने में सफलता प्राप्त करने के अलावा अंतरिक्ष तक में पहुंच गए हैं और असंभव दिखने वाले कार्यों को भी विज्ञान की मदद से ही संभव बनाते रहे हैं। विज्ञान की मदद से ही बनाई गई प्रतिदिन बहुत सारी तकनीकों और वस्तुओं का इस्तेमाल हम अपने दैनिक क्रियाकलापों में करते भी हैं। ऐसे में हम सभी के लिए हमारे जीवन में विज्ञान के महत्व को समझना बेहद जरूरी है। हमारा समाज 21वीं सदी में जिस प्रकार अंधविश्वासों के साये में जीता है, ऐसे में विज्ञान की महत्ता समझते हुए समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करते हुए इन अंधविश्वासों के निर्मूलन की जिम्मेदार हम सबकी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,858 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress