कविता साहित्‍य

अयोध्या में

ayodyaसरयु बहती थी अयोध्या में

आज भी बहती है

रहते थे लोग वहाँ

आज भी रहते हैं

गलियाँ और सड़कें

वहाँ तब भी थी

आज भी हैं

मंदिर से घंटी

और मस्जिद से अजान

तब भी सुनाई देती थी

आज भी सुनाई देती है ।

 

बावजूद इनके

आज कहीं दिखता नहीं

राम का मंदिर

न बाबरी मस्जिद

दोनों के बीच का प्रेम

डूब गया सरयु में

जबकि राम-रहीम के लोग

एक साथ उसी माटी में

खेलते-कुदते बड़े हुए थे

आज रहीम को भागना पड़ा है

और राम डूब गये हैं सरयु में

मलबे की माटी ढोते-ढोते ।