आज का युग सोशल नेटवर्किंग साइट्स का युग है। या यूं कहें कि आज विज्ञान और तकनीक का युग है।सच तो यह है कि हम एआइ चैटबाट के युग में सांस ले रहे हैं। हमारे देश में अभिव्यक्ति की आजादी सबको प्रदान की गई है, लेकिन पिछले कुछ समय से देश और समाज के कुछेक लोगों ने तकनीक और अभिव्यक्ति की आजादी का बहुत ही ग़लत उपयोग किया है। विशेषकर यू ट्यूबर्स-नैतिकता और मर्यादा को तांक पर रखकर कुछ भी ऊल-जुलूल इन माध्यमों पर बेरोकटोक परोस रहे हैं। यू-ट्यूबर्स और फेसबुक पर कंटेंट प्रस्तुतीकरण का तरीका बहुत ही अजीबोगरीब व ग़लत हो गया है। फेसबुक, यूट्यूब पर ज्यादा से ज्यादा लाइक्स, शेयर और कमेंट्स पाने के लिए यूट्यूबर्स और फेसबुक संचालक अपनी मर्यादाएं भूल रहें हैं और उन्हें समाज और देश से कोई भी सरोकार नहीं रहा है। यह ठीक है कि आज का जमाना टैक्नोलॉजी(तकनीक) का है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि इनके प्रस्तुतीकरण में मर्यादाएं, नैतिकता आखिर क्यों तार-तार हो रही हैं? नैतिकता, आदर्श और मूल्य नाम की तो जैसे आज कोई चीज़ बची ही नहीं है। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर सार्वजनिक रूप से कुछ भी कह देना और बात-बात पर विवाद खड़े कर देना, क्या पत्रकारिता है ? कुछ लोग इसे ‘बोल्डनेस'(साहस, स्पष्टतया) करार देते हैं, तो कुछ लोग इसे ‘फ्रैंकली’ अपनी बात रखना तक कहते हैं, लेकिन सार्वजनिक मंचों पर बात कहने या रखने का भी आखिर कोई तरीका होता है, मर्यादा होती है, नैतिकता होती है, मूल्य और आदर्श होते हैं। बहरहाल, यहां पाठकों को बताता चलूं कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनातनी(युद्ध) के बाद इंटरनेट और न्यूज पर इन दिनों ट्रैवल यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा का नाम बहुत वायरल हो रहा है। गौरतलब है कि हरियाणा के हिसार की रहने वाली ज्योति को पुलिस और भारतीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पाकिस्तानी जासूस होने के इल्जाम में गिरफ्तार किया गया है। यहां पाठकों को यह भी बताता चलूं कि हिसार की रहने वाली ज्योति अपने यूट्यूब चैनल(ट्रेवल विद जो) पर ट्रैवल वीडियोज बनाती हैं और उन्हें कुछ संदिग्ध पाकिस्तानी ऑफिशियल्स के साथ संबंधों को लेकर गिरफ्तार किया गया है। जानकारी के अनुसार ज्योति पर आरोप है कि अपने वीडियोज के अलावा, ज्योति इंडियन आर्मी से जुड़ी संवेदनशील जानकारी अपने पाकिस्तानी कॉन्टैक्ट्स तक पहुंचाती थीं तथा इसमें लोकेशन डिटेल्स भी शामिल होती थीं। यह भी जानकारी मिलती है कि ज्योति के यू-ट्यूब वीडियोज में भी पाकिस्तान को पॉजिटिव तरीके से प्रमोट किया गया है। खबरों के अनुसार ज्योति मल्होत्रा पाकिस्तान से वापस आने के बाद कश्मीर गई थीं और वहां पर रास्तों, रेलवे ट्रैक और अन्य चीजों के वीडियोज शेयर किए थे। यू-ट्यूब पर करियर बनाने वाली ज्योति व्यूज, लाइक्स और शेयर के चक्कर में साजिश का हिस्सा बन गई। दरअसल, वो भारत के खिलाफ आइएसआइ (पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी) की गहरी साजिश का हिस्सा हो गई। वह भारत के खिलाफ ‘डिजिटल वॉर’ में शामिल बताई जा रही है। शायद यही कारण है कि ज्योति की गिरफ्तारी के बाद अब भारत में उसके खिलाफ जांच जारी है और उसे रिमांड पर लिया गया है। दरअसल , जांच एजेंसियां यह जानना चाहती हैं कि ज्योति मल्होत्रा के पाकिस्तान दौरे पर जो खर्च हुए उसमें उसकी किसने मदद की? सवाल उठना लाजिमी है, क्योंकि उसके पाकिस्तान दौरे पर बेहिसाब पैसे खर्च हुए जो उसकी आमदनी से ज्यादा थे। हालांकि, ज्योति मल्होत्रा के बारे में क्या सच है और क्या झूठ है, यह सब तो गहन जांच पड़ताल के बाद में ही सबके सामने आ पाएगा।बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि आज यू-ट्यूबर्स देश की सुरक्षा की परवाह किए बगैर जानकारियां दूसरे देशों को साझा कर देते हैं और यह देश के लिए कभी भी एक बड़ा खतरा बन सकता है। बहरहाल, पाठकों को बताता चलूं कि भद्दे कमेंट्स (गाली-गलौज) तथा सैक्स संबंधी सवालों के उल्लेख को लेकर पिछले दिनों कुछ यू ट्यूबर्स के विरुद्ध मामले कोर्ट तक पहुंचे। आज विभिन्न यूट्यूबर्स सस्ती लोकप्रियता के चलते ऐसे ऐसे विडियो बेपरवाह पोस्ट कर देते हैं, जिनका कोई ठौर-ठिकाना तक नहीं होता। कंटेंट इतना अश्लील,भद्दा होता है कि क्या कहें? व्यूज और लाइक्स के साथ पैसा कमाने के चक्कर में ऐसे यूट्यूबर्स देश की सुरक्षा तक से खिलवाड़ कर बैठते हैं,जो बहुत ही चिंतनीय विषय है। आज सच के नाम पर यू-ट्यूब पर झूठ का पुलिंदा परोसा जाता है,जिस पर कोई रोक-टोक नहीं दिखती। बवाल मचता है तो ऐसे कंटेंट को या तो सार्वजनिक मंचों से हटा लिया जाता है अथवा माफी मांगकर काम चला लिया जाता है, लेकिन क्या कंटेंट को हटा देना और माफी मांग लेना ही इसका सही हल कहा जा सकता है? इस पर चिंतन-मनन की आवश्यकता है। सच तो यह है कि सच्ची खबर और फेक न्यूज तथा व्यूज में भी तो फर्क होता है। इन यू-ट्यूबरों के चैनलों पर आज न तो कंटेंट काम का मिलता है और न ही ये विश्वसनीयता और प्रामाणिकता पर ही खरे उतरते हैं। जो मन में आया, वही ऊल-जलूल कंटेंट सार्वजनिक मंचों पर जब चाहे डाल दिया जाता है। ख़बरें बतातीं हैं कि पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार ज्योति मल्होत्रा 3 बार पाकिस्तान जा चुकी है तथा उसने अपनी जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड यात्रा की व्यवस्था तथा बहुत सी जानकारियां दर्शकों के साथ साझा की हैं। ज्योति मल्होत्रा ही नहीं, पिछले दिनों से अन्य कई यूट्यूबर्स के नाम भी सामने आए हैं, जिन पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप लगे हैं। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि आज यू-ट्यूबर्स ने स्वयं को लोकप्रियता के शिखर पर स्थापित करने के लिए नैतिकता, आदर्शों और मर्यादा का गला घोंट कर रख दिया है।रातों-रात स्टार बनने तथा पैसे कमाने की चाहत इन यू-ट्यूबरों को ऐसे गर्त में धकेल रही है, जो किसी भी लिहाज से, मसलन देश की सुरक्षा के लिहाज से, हमारे देश की सनातन संस्कृति और मूल्यों के लिए ठीक नहीं ठहराया जा सकता है। हमें यह बात अपने जेहन में रखनी चाहिए कि राष्ट्रीय सुरक्षा सबसे ऊपर है और राष्ट्र और समाज से बढ़कर कुछ भी नहीं। हमारे देश की संस्कृति की पूरे विश्व में आज भी खास पहचान है और हमारे मूल्यों और आदर्शों को आज पूरे विश्व में अनुशरण किया जाता है, ऐसे में जब हमारे यहां से ऐसे ऐसे कंटेंट सार्वजनिक मंचों पर परोसे जाएंगे तो हम दूसरों से भला क्या उम्मीद कर सकते हैं ? पाठक जानते हैं कि यू-ट्यूब और फेसबुक सार्वजनिक मंच हैं और आज संपूर्ण विश्व इन मंचों से जुड़ा हुआ है। कोई भी पोस्ट इन मंचों पर पोस्ट की जाती है तो उसके दूरगामी प्रभाव होते हैं, इसलिए यह बहुत ही जरूरी है कि इन मंचों पर प्रामाणिक और विश्वसनीय जानकारी ही पोस्ट की जाए और देश की सुरक्षा का हमेशा ध्यान रखा जाए। वास्तव में नैतिकता का दायरा कभी भी नहीं लांघा जाना चाहिए। अभिव्यक्ति की आजादी का यह मतलब तो कतई नहीं है कि कुछ भी ऊल-जुलूल बेरोकटोक परोस दिया जाए। आज ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ यू ट्यूबर्स ने नकारात्मकता और अश्लील और भद्दे कंटेंट परोसने का जैसा ठेका ले रखा है। यह ठीक है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता या वाक स्वतंत्रता किसी व्यक्ति या समुदाय द्वारा अपने मत और विचार को बिना प्रतिशोध, अभिवेचन या दंड के डर के प्रकट कर पाने की स्थिति होती है तथा भारतीय संविधान वाक-स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य की प्रत्याभूति देता है, लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि इस स्वतंत्रता पर राज्य द्वारा युक्तियुक्त निर्बन्धन इन बातों के संबंध में लगाए जा सकते हैं (क) मानहानि, (ख) न्यायालय-अवमान, (ग) शिष्टाचार या सदाचार, (घ) राज्य की सुरक्षा, (ङ) विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, (च) अपराध-उद्दीपन, (छ) लोक व्यवस्था, (ज) भारत की प्रभुता और अखंडता(16वां संविधान संशोधन 1963 से जोड़ा गया)। बहरहाल, पाठक जानते होंगे कि ध्रुव राठी हो, रणवीर इलाहबादिया हो या पूर्वा मखीजा हो, इन सबके मामले कहीं न कहीं अदालतों तक पहुंचें, क्यों कि नकारात्मक व ऊल-जलूल कंटेंट को परोसा गया। यह ठीक है कि आज तकनीक का युग है, लेकिन तकनीक का कभी भी ग़लत व नकारात्मक इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का भी। कहना ग़लत नहीं होगा कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर उच्छृंखलता हर हाल में नामंजूर है। हमें यह चाहिए कि हम हमारे देश के संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों का पूरी तरह से ध्यान रखें। यहां पाठकों को बताता चलूं कि रणवीर इलाहाबादिया से जुड़े मामले में अश्लीलता के आरोपों पर भी सुप्रीम कोर्ट ने बेहद संतुलित लेकिन धारदार-सख्त टिप्पणी करते हुए यह स्पष्ट किया था कि न तो अश्लीलता के लिए कोई गुंजाइश छोड़ी जानी चाहिए और न ही इसे अभिव्यक्ति की आजादी की राह में आने देना चाहिए। गौरतलब है कि कुछ समय पहले रणवीर इलाहाबादिया को पॉडकास्ट जारी रखने की इजाजत देते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि वह नैतिकता और अश्लीलता की सीमा को लांघने की गलती न करें। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि किसी को भी अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी की भावनाओं को आहत करने, देश और समाज से सौहार्द-सद्भावना को खण्डित करने, बेवजह नफरत, द्वेष एवं घृणा का माहौल बनाने का कोई भी अधिकार नहीं है। अभिव्यक्ति की आजादी की भी अपनी हद और सीमाएं हैं।एआइ चैटबाट और तकनीक के इस युग में नियमों, आदर्शों, हमारे सामाजिक प्रतिमानों और नैतिकता तथा मर्यादाओं का पालन बहुत ही जरूरी व आवश्यक है।
सुनील कुमार महला