कविता साहित्‍य

 स्वामी विवेकानन्द जी की पुण्य-स्मृति मे – श्रद्धांजलि 

Swami_Vivekanandभारत-भू पर हुए अवतरित, एक महा अवतार थे ।
थी विशेष प्रतिभा उनमें, वे ज्ञानरूप साकार थे ।।
तेजस्वी थे, वर्चस्वी  थे , महापुरुष  थे  परम  मनस्वी ।
था व्यक्तित्व अलौकिक उनका, कर्मयोग से हुए यशस्वी ।।
भारत के प्रतिनिधि बनकर वे, अमेरिका में आए थे ।
जगा गए वे जन जन को , युग-धर्म बताने आए थे ।।
सुनकर उनकी अमृतवाणी , सभी  विदेशी चकित  हुए ।
सभी प्रभावित हुए ज्ञान से , अनगिन उनके शिष्य हुए ।।
भारत की संस्कृति का झंडा,  तब जग में लहराया था ।
अपने गौरव, स्वाभिमान का , हमको पाठ पढ़ाया था ।।
आस्था, निष्ठा, आत्मज्ञान और ब्रह्मज्ञान को कर उद्घाटित ।
सब में  वही आत्मा है , मानव-सेवा को  किया  प्रचारित ।।
आए थे ‘नरेन्द्र’ बन कर  जो , वही महा-ऋषि सिद्ध  हुए ।
दे ‘विवेक’ ‘आनन्द’ जगत को ,”विवेकानन्द” प्रसिद्ध हुए ।।
शकुन्तला बहादुर