कविता

  इसी देश में 

      इसी देश में कृष्ण हुये हैं,

      इसी देश में राम।

      सबसे पहिले जाना जग ने,

      इसी देश का नाम।

      इसी देश में भीष्म सरीखे,

      दृढ़ प्रतिज्ञ भी आये।

      इसी देश में भागीरथजी,

      भू पर‌ गंगा लाये।

      इसी देश में हुये कर्ण से,

      धीर- वीर धन‌ दानी।

      इसी देश में हुये विदुर से,

      वेद ब्यास से ज्ञानी।

      सत्य अहिंसा प्रेम सिखाना,

      इसी देश का काम।

      इसी देश में वीर शिवाजी,

      सा चरित्र भी आया।

      छत्रसाल जैसा योद्धा भी,

      भारत ने उपजाया।

      संरक्षण सम्मान सहित है,

      शरणागत को देता।

      जिसकी रक्षा में यह भारत,

      लगा जान तक‌ देता।

      इसी देश में मात पिता हैं,

      होते तीरथ धाम।

      इसी देश में हर बेटी है,

      दुर्गा की अवतारी।

      सावित्री सीता की प्रतिमा,

      भारत की हर नारी।

      वचन दिया तो उसे निभाने,

      सिर भी कटवा देते।

      भरत भूमि के वीर पुत्र हैं,

      इस धरती के बेटे।

     यहाँ भुगतना पड़ा दुष्ट को,

      पापों का परिणाम।

      इसी देश में कौशल्या सी,

      मातायें जनमी हैं।

      मातु यशोदा देवकी माँ की,

      यही कर्म भूमि है।

      ध्रुव प्रहलाद सी दृढ़ प्रतिग्य,

      भारत  माँ की संतानें।

      महावीर गौतम गाँधी भी,

      जनमें भारत माँ ने।

      मनुज धर्म की रक्षा के हित,

      हुये घोर संग्राम।

      दया धर्म ईमान सचाई,

      हमने कभी ना छोड़ी।

      प्रेम अहिंसा पर सेवा की,

      डोर हमेशा जोड़ी।

      किसी पीठ पर धोखे से भी,

      वार किया ना हमनें।

      सदा सामने खड़े हुये हम,

      युद्ध भूमि में लड़ने।

      भले हानियाँ लाख उठाईं,

      सहे दुखद अंजाम।