कविता

आज़ादी के पहले अनगिनत शहीद हुए

-जावेद उस्मानी- india

आज़ादी के पहले अनगिनत शहीद हुए
कड़ी राहों से हँसते हुए गुज़रे हम सब के लिए
कि हमारे लिए ज़रूरी थी आज़ादी हमारी !
आज़ादी के बाद शहीद हुए हमारे गांधी
कि हम नव-आज़ाद लोगों को शायद
ज़रूरत न थी उस रहबरी की अब
कि वह रोकती मनचाही आज़ादी हमारी !
आज़ादी के साथ, इधर मुल्क से ग़ुलामी गयी
उधर हमारे सोचने समझने की आज़ादी गयी
हम पहले भी ग़ुलाम थे अब भी ग़ुलाम ठहरे
पा कर भी छिनी है जैसे आज़ादी हमारी !
अपनी ही ग़ुलामी से, जंग का जुनूं लाएं कहां से
अब रहबरी को इक नया गांधी आये कहां से ?