मजबूत होते भारत-कुवैत द्विपक्षीय संबंध

सुनील कुमार महला

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ऐतिहासिक कुवैत यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूती मिली है।चार दशक से अधिक समय में इस खाड़ी देश(कुवैत) की यात्रा करने वाले नरेंद्र मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो वर्ष 1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद यह यात्रा 43 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली कुवैत यात्रा थी। भारत और कुवैत के संबंध हमेशा से ही मैत्रीपूर्ण रहे हैं और वर्ष 1961 में जब कुवैत अंग्रेजी शासन से आजाद हुआ, तब भारत उसके साथ संबंध बनाने वाले शुरुआती देशों में शामिल था। कहना ग़लत नहीं होगा कि लंबे समय बाद भारत के प्रधानमंत्री की कुवैत यात्रा से भारत का पश्चिमी एशियाई जुड़ाव और अधिक सुनिश्चित तथा मजबूत हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी और कुवैत के अमीर शेख नवाफ अल-अहमद अल-जाबेर अल- सबा की बातचीत से यह उजागर हुआ है कि भारत और कुवैत कूटनीतिक और आर्थिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए हमेशा तत्पर और तैयार हैं।

 इस यात्रा के दौरान भारत के प्रधानमंत्री मोदी को कुवैत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ मुबारक अल-कबीर’ से सम्मानित किया जाना दोनों देशों के पारस्परिक सम्मान का सूचक है। वास्तव में यह कदम दोनों देशों के रिश्तों की गहराई और महत्व को दर्शाता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि दोनों देशों के बीच आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, परस्पर सौहार्द और सहयोग की भावना इनके बीच गहरी रणनीतिक साझीदारी का रास्ता खोलते हैं। कहना ग़लत नहीं होगा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कुवैत यात्रा आर्थिक संबंधों के साथ ही सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण रही। वास्तव में, अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने ऐसे अनेक लोगों से मुलाकात की जिन्होंने भारत-कुवैत संबंधों को मजबूत करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इनमें अब्दुल्ला अल-बारून भी शामिल हैं, जिन्होंने एक अनुवादक के रूप में भारतीय महाकाव्यों ‘रामायण’ एवं ‘महाभारत’ का अरबीभाषियों के लिए अनुवाद किया है।

सच तो यह है कि भारत के प्रधानमंत्री की हालिया कुवैत यात्रा ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के एक नए युग की शुरुआत की है। इस दौरान दोनों देशों के बीच हुए समझौते और रणनीतिक सहमतियां पूरे क्षेत्र की स्थिरता के लिहाज से भी अहम हैं। महत्वपूर्ण है कि कुवैत यात्रा के दौरान भारत और कुवैत के बीच रक्षा, खेल, संस्कृति और सौर क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को निश्चित ही और अधिक मजबूती और प्रगाढ़ता प्रदान करेंगे। गौरतलब है कि कुवैत भारत का प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता रहा है और आज भी है। आंकड़े बताते हैं कि कुवैत, भारत का छठा सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता है, जो देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को तीन प्रतिशत तक पूरा करता है।

 यहां यह कहना ग़लत नहीं होगा कि इससे यह आपूर्ति सुरक्षित होने के साथ ही खाड़ी क्षेत्र में भारत की समग्र ऊर्जा सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी। साथ ही साथ, कुवैत के साथ रक्षा सहयोग भारत की ‘ऐक्ट बेस्ट नीति’ को भी निश्चित ही मजबूती प्रदान करेगा। आज कुवैत में बहुत से भारतीय निवास करते हैं और वहां की सामाजिक संरचना में भारतीयों का स्थान प्रवासियों के रूप में बहुत ही महत्वपूर्ण है। भारतीयों ने कुवैत को इंजीनियरिंग व शिक्षा, मेडिकल समेत अनेक क्षेत्रों में अपना महत्वपूर्ण और अहम् योगदान दिया है।कुवैत भी बरसों-बरसों से भारत का एक महत्वपूर्ण ऊर्जा सप्लायर रहा है, जबकि अनेक भारतीय विशेषज्ञ और भारतीय श्रमशक्ति कुवैत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इसी बीच, कुछ समय पहले ही कुवैत नेशनल रेडियो द्वारा साप्ताहिक हिंदी रेडियो कार्यक्रम की शुरुआत किया जाना निश्चित रूप से यह दर्शाता है कि कुवैत के लिए प्रवासी भारतीय कितने महत्वपूर्ण और अहम् हैं। इतना ही नहीं, गत जून में कुवैत की एक इमारत में आग लगने से हुई भारतीयों की मौतों के बाद कुवैत ने जिस तरह का सहयोग दिया, वह भी दोनों देशों के मजबूत संबंधों को ही दर्शाता है।

अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने प्रवासियों को बेहतर वाणिज्यिक सेवाओं और श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा का सकारात्मक व ठोस आश्वासन दिया है, जो विदेशों में अपने नागरिकों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। निश्चित ही इससे कुवैत में प्रवासी भारतीयों के आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होगी। यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि पीएम मोदी की इस ऐतिहासिक दो दिवसीय कुवैत यात्रा के दौरान भारत और कुवैत ने संबंधों को ‘रणनीतिक साझेदारी’ तक बढ़ाने पर सहमति जताई है और  रक्षा क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को नियमित बनाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह और भी अधिक महत्वपूर्ण है कि ऊर्जा सहयोग को बढ़ाने के उद्देश्य से दोनों पक्षों ने इस बात पर जोर दिया है कि वे अपने-अपने देशों की कंपनियों को तेल और गैस के अन्वेषण तथा उत्पादन, रिफाइनिंग, इंजीनियरिंग सेवाओं, और ‘पेट्रोकेमिकल’ उद्योगों में सहयोग बढ़ाने के लिए समर्थन प्रदान करेंगे।

अंत में, यही कहूंगा कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा ने निस्संदेह कुवैत व भारत के संबंधों को ऊंचाइयों पर पहुंचाने का काम किया है।उनकी यह यात्रा निश्चित ही खाड़ी क्षेत्र में एक जिम्मेदार साझेदार के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करेगी। सच तो यह है कि भारतीय प्रधानमंत्री का कुवैत दौरा भारत और खाड़ी देशों के बीच बढ़ते संबंधों की यात्रा में एक अहम मील का पत्थर साबित होगा। यह दौरा कूटनीति, व्यापार और समुदाय संवाद की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है जो भारत और कुवैत के द्विपक्षीय रिश्तों को जहां एक ओर मजबूती प्रदान करेगा वहीं दूसरी ओर यह दोनों देशों के बीच भविष्य में सहयोग की रूपरेखा भी तय करेगा।

सुनील कुमार महला

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