लेख

साहस, समर्पण और शक्ति का संगम भारतीय वायुसेना

भारतीय वायुसेना दिवस (8 अक्तूबर) पर विशेष
– योगेश कुमार गोयल

भारतीय वायुसेना 8 अक्तूबर को अपना 93वां स्थापना दिवस मना रही है। प्रत्येक वर्ष इस अवसर पर वायुसेना अपनी शक्ति, शौर्य और तकनीकी उत्कृष्टता का अभूतपूर्व प्रदर्शन करती है। इस मौके पर आयोजित भव्य एयर शो भारतीय वायुसेना की क्षमताओं और सामर्थ्य का प्रतीक बन जाता है। आसमान में वायुवीरों के करतब, फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर्स के समकालिक युद्धाभ्यास को देखकर हर दर्शक रोमांच और गर्व से भर उठता है। वायुसेना के बेड़े में शामिल राफेल, मिग-29, सुखोई-30 एमकेआई, तेजस जैसे अत्याधुनिक फाइटर जेट्स भारतीय आकाश को सुरक्षित रखने की अभेद्य शक्ति प्रदान करते हैं। वहीं सारंग जैसे हेलीकॉप्टरों के शो स्टंट्स, प्रचंड और ध्रुव जैसे लाइट और एडवांस्ड हेलीकॉप्टर्स, सी-295, अपाचे, डकोटा, चेतक और जगुआर जैसी भारी मशीनें वायुसेना की बहुपक्षीय क्षमताओं का प्रदर्शन करती हैं। इन एयरक्राफ्ट की उच्च तकनीकी क्षमताएं न केवल देश की सुरक्षा की गारंटी हैं बल्कि इसे वैश्विक मंच पर सम्मान और प्रतिष्ठा भी दिलाती हैं।
भारतीय वायुसेना दिवस का मुख्य उद्देश्य केवल शक्ति प्रदर्शन नहीं है बल्कि युवाओं को इस गौरवशाली सेवा में शामिल होने के लिए प्रेरित करना भी है। एयर शो के माध्यम से युवा पीढ़ी वायुसेना की चुनौतीपूर्ण, साहसिक और सम्मानजनक भूमिका के बारे में जानती है और उनके मन में देश सेवा के प्रति उत्साह जागृत होता है। आज भारतीय वायुसेना न केवल सीमा रक्षा में सक्षम है बल्कि प्राकृतिक आपदाओं और आपातकालीन परिस्थितियों में सहायता देने में भी अग्रणी भूमिका निभाती है। यह स्थापना दिवस भारतीय वायुसेना की समर्पित सेवा, साहस और तकनीकी दक्षता का उत्सव है, जो हमें यह याद दिलाता है कि भारत के आकाश में स्वतंत्रता, सुरक्षा और गौरव का सूर्य सदैव चमकता रहेगा।
भारतीय वायुसेना में इस समय राफेल, सुखोई 30, मिराज 2000, जगुआर, तेजस, आरपीए 50, मिग-27, मिग-29 के अलावा हेलीकॉप्टर ध्रुव, चिनूक, चेतक, चीता, एमआई-8, एमआई-17, एमआई-26, एमआई-25 एचएएल लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर, एचएएल रुद्र इत्यादि अत्याधुनिक विमान शामिल हैं, जो किसी भी विकट स्थिति में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने में पूरी तरह सक्षम हैं। भारतीय वायुसेना को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सेना होने का गौरव हासिल है। देश की करीब 24 हजार किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय वायुसेना पूरी मुस्तैदी के साथ निभाती रही है और वायुसेना के बेड़े में दमदार लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों तथा अत्याधुनिक मिसाइलों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है, जिनके कारण हमारी वायुसेना अब पहले के मुकाबले कई गुना शक्तिशाली हो चुकी है। अब हम हवा में पहले के मुकाबले बहुत मजबूत हो चुके हैं तथा दुश्मन की किसी भी तरह की हरकत का अधिक तेजी और ताकत के साथ जवाब देने में सक्षम हैं।
भारत के मुकाबले चीन के पास भले ही दो गुना लड़ाकू और इंटरसेप्टर विमान हैं, भारत से दस गुना ज्यादा रॉकेट प्रोजेक्टर हैं लेकिन रक्षा विश्लेषकों के अनुसार चीनी वायुसेना भारत के मुकाबले मजबूत दिखने के बावजूद भारत का पलड़ा उस पर भारी है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक गिनती और तकनीकी मामले में भले ही चीन सहित कुछ देश हमसे आगे हो सकते हैं लेकिन संसाधनों के सटीक प्रयोग और बुद्धिमता के चलते दुश्मन देश सदैव भारतीय वायुसेना के समक्ष थर्राते हैं। भारत के मिराज-2000 और एसयू-30 जैसे जेट विमान ऑल-वेदर मल्टीरोल विमान हैं, जो किसी भी मौसम में और कैसी भी परिस्थितियों में उड़ान भर सकते हैं। मिराज-2000, मिग-29, सी-17 ग्लोबमास्टर, सी-130जे सुपर हरक्यूलिस के अलावा सुखोई-30 जैसे लड़ाकू विमान करीब पौने चार घंटे तक हवा में रहने और तीन हजार किलोमीटर दूर तक मार करने में सक्षम हैं। एक बार में 4200 से 9000 किलोमीटर की दूरी तक 40-70 टन के पेलोड ले जाने में सक्षम सी-17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट भी वायुसेना के बेड़े में शामिल हैं। चिनूक और अपाचे जैसे अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर भी वायुसेना की मजबूत ताकत बने हैं। इनके अलावा भारत के पास दुश्मन के रडार को चकमा देने में सक्षम 952 मीटर प्रति सैकेंड की रफ्तार वाली ब्रह्मोस मिसाइलों सहित कई अन्य घातक मिसाइलें भी हैं, जिनकी मारक क्षमता से दुश्मन देश थर्राते हैं।
भारतीय वायुसेना की जाबांजी के अनेक किस्से दुनियाभर में विख्यात हैं। हमारी वायुसेना चीन के साथ एक तथा पाकिस्तान के साथ चार युद्धों में अपना पराक्रम दिखा चुकी है। भारतीय वायुसेना की स्थापना ब्रिटिश शासनकाल में 8 अक्तूबर 1932 को हुई थी और तब इसका नाम था ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’। 1945 के द्वितीय विश्वयुद्ध में रॉयल इंडियन एयरफोर्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस समय वायुसेना पर आर्मी का ही नियंत्रण होता था। इसे एक स्वतंत्र इकाई का दर्जा दिलाया था इंडियन एयरफोर्स के पहले कमांडर-इन-चीफ सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट ने, जो हमारी वायुसेना के पहले चीफ एयर मार्शल बने थे। ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’ की स्थापना के समय इसमें केवल चार एयरक्राफ्ट थे और इन्हें संभालने के लिए कुल 6 अधिकारी और 19 जवान थे। आज वायुसेना में डेढ़ लाख से भी अधिक जवान और हजारों एयरक्राफ्ट्स हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् वायुसेना को अलग पहचान मिली और 1950 में ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’ का नाम बदलकर ‘इंडियन एयरफोर्स’ कर दिया गया। एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी इंडियन एयरफोर्स के पहले भारतीय प्रमुख थे। उनसे पहले तीन ब्रिटिश ही वायुसेना प्रमुख रहे। इंडियन एयरफोर्स का पहला विमान ब्रिटिश कम्पनी ‘वेस्टलैंड’ द्वारा निर्मित ‘वापिती-2ए’ था। बहरहाल, भारतीय वायुसेना ने समय के साथ बहुत तेजी से बदलाव किए हैं और काफी हद तक कमियों को दूर भी किया गया है।