भारत की अर्थव्यवस्था चौथे नंबर पर लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं

संजय सिन्हा

भारत ने अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में एक कीर्तिमान हासिल किया है। वस्तुतः एक इतिहास रचा है भारत ने। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने बताया है कि भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए यह उपलब्धि हासिल की है। अब भारत की अर्थव्यवस्था चार बिलियन डॉलर की हो चुकी है। बता दें कि अर्थव्यवस्था के आकार के मामले में इस समय भारत से आगे केवल अमेरिका, चीन और जर्मनी रह गए हैं। अनुमान यह भी जताया गया है कि अगले ढाई से तीन साल में भारत जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। भारत की इस तेज रफ्तार वृद्धि के पीछे निर्माण क्षेत्र की ताकत को सबसे प्रमुख माना जा रहा है। केंद्र सरकार ने पिछले 11 वर्षों में निर्माण क्षेत्र में लगातार पैसा झोंका है। सड़क मार्ग, रेल परिवहन, पोर्ट निर्माण और आवासीय भवनों के निर्माण को केंद्र सरकार ने अपनी नीतियों के केंद्र में रखा है। इसका लाभ कोर सेक्टर के स्टील, सीमेंट, बिजली, तेल सहित औद्योगिक सेक्टर के 50 बड़े क्षेत्रों को मिला है। इससे इसके साथ जुड़े अन्य सेक्टरों में भी तेज वृद्धि देखी गई है।

केंद्र सरकार ने देश में लगातार निवेश का माहौल बेहतर बनाए रखा है। इसका असर हुआ है कि विदेशी निवेशकों ने यहां निवेश को अपनी प्राथमिकता बना रखा है। इससे देश के अनेक क्षेत्रों में पर्याप्त निवेश प्राप्त हुआ है और इससे इन सेक्टरों को बढ़ाने में वित्तीय मदद मिली है। अभी जिस तरह के वैश्विक माहौल बने हैं, उसमें आगे भी भारत में निवेश की संभावनाएं बेहतर बनी रह सकती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने हथियारों के निर्माण को अपनी प्राथमिकता में रखा है। इसका यह असर हुआ है कि भारत आज दुनिया में हथियार आयातकों के साथ-साथ हथियारों का बड़ा निर्यातक भी बन चुका है। आज भारत के ब्रह्मोस, आकाश और अन्य आयुध निर्माण की खरीद करने वाले दर्जनों देश की सेवाएं ले रहे हैं। इससे भी भारत की धमक पूरी दुनिया में बढ़ी है। केंद्र सरकार के इस कदम ने भारत को न केवल हथियारों का निर्यातक बनाया है बल्कि इसके जरिए भारत को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भी प्राप्त हुई है। 

जिस तरह भारत ने मोबाइल निर्माण के सेक्टर में अपनी ताकत दिखाई है, अब उस ने दुनिया का दूसरा सबसा बड़ा मोबाइल उत्पादक और निर्यातक देश होने  का सम्मान हासिल किया है। स्मार्ट चिप के निर्माण और सोलर पैनल के निर्माण के क्षेत्र में भी भारत लगातार अपनी बढ़त बना रहा है। आने वाले समय में भारत चिप निर्माण के क्षेत्र में भी दुनिया की चुनिंदा शक्तियों में शामिल हो जाएगा। आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों के मुताबिक निर्माण को अपनी ताकत बनाने का असर साफ दिखने लगा है। भारत अब निर्माण के मामले में लगातार आगे बढ़ रहा है लेकिन अब भारत को औद्योगिक विकास के चौथे चरण के लिए तैयार होना चाहिए जहां ऑटोमेशन की सबसे बड़ी भूमिका होगी। अमेरिका, चीन, ताइवान और अन्य यूरोपीय देशों के मामले में अपने उत्पादों की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उसे सर्कुलर इकॉनमी का अगुवा भी बनना पड़ेगा। इस समय भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती ऑटोमेशन के कारण बेरोजगार हुए लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की होगी। इसके लिए सरकार को एक तरफ कामगर आबादी को तकनीकी दक्ष बनानी होगी, वहीं श्रम आधारित रोजगार भी बनाए रखने होंगे। यह उपलब्धि कृषि और निर्माण क्षेत्र में भारी निवेश करके ही हासिल किया जा सकता है।  सुब्रमण्यम ने नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की मीटिंग के बाद यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारत के लिए अभी माहौल अच्छा है। देश की आर्थिक स्थिति मजबूत है। सुब्रमण्यम ने मीडिया को बताया, ‘अभी हम दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। हमारी अर्थव्यवस्था 4 ट्रिलियन डॉलर की है।’

सुब्रमण्यम ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आंकड़ों का हवाला दिया। आईएमएफ के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था जापान से बड़ी हो गई है। उन्होंने आगे कहा, ‘सिर्फ अमेरिका, चीन और जर्मनी ही भारत से आगे हैं। अगर हम योजना के अनुसार काम करते रहे, तो अगले 2.5-3 सालों में हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे।’

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि वे चाहते हैं कि ऐपल कंपनी आईफोन अमेरिका में ही बनाए, भारत में नहीं। इस पर सुब्रमण्यम ने कहा कि टैरिफ क्या होगा, यह कहना मुश्किल है लेकिन अभी भारत में चीजें बनाना सस्ता है। सुब्रमण्यम ने यह भी बताया कि सरकार एक बार फिर अपनी संपत्तियों को किराए पर देगी या बेचेगी। इसे एसेट मोनेटाइजेशन कहते हैं। इसका दूसरा दौर अगस्त में शुरू होगा। इससे सरकार को और पैसे मिलेंगे जिससे देश का विकास होगा।

फिच रेटिंग्स ने साल 2028 तक भारत की औसत वार्षिक वृद्धि क्षमता का अनुमान बढ़ाकर 6.4 प्रतिशत कर दिया है। रेटिंग एजेंसी ने नवंबर 2023 में इसके 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। फिच ने पांच साल के संभावित सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अनुमानों को अपडेट करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने 2023 की रिपोर्ट के समय की हमारी अपेक्षा से अधिक मजबूती से वापसी की है। इससे वैश्विक महामारी के झटकों के कम प्रतिकूल प्रभाव के संकेत मिलते हैं।यूएन ने भी दिए अच्छे संकेत।

भारत की अर्थव्यवस्था इस समय तेजी से बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था न केवल चीन बल्कि अमेरिका और यूरोप को भी पीछे छोड़ देगी। इस के साथ अर्थव्यवस्था के मामले में भारत पहले स्थान पर होगा।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था इस साल 6.3% की दर से बढ़ेगी। यह दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा है। चीन की अर्थव्यवस्था 4.6%, अमेरिका की 1.6%, जापान की 0.7% और यूरोप की 1% की दर से बढ़ने का अनुमान है। जर्मनी की अर्थव्यवस्था में तो 0.1% की गिरावट आ सकती है।

संजय सिन्हा

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