कृषि  मेँ नवाचार – किसान और खेती हेतु नयी क्रांति का प्रसार 

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चंद्रमोहन

 परम्परागत  तरीके से अलग से कुछ नया  सोचना और उस पर अमल करना. लीक से हट कर नयी पद्धति  को अपना कर आकर्षक परिणाम का मिल जाना नवाचार का पहला कदम है. 

किसी भी काम मेँ चाहे वह खेती – बाड़ी ही क्यों ना हो,

नवाचार की अपनी एक खास भूमिका रहती है. 

इसी महत्वपूर्ण भूमिका की वजह से ही नवाचार हमेशा अग्रणी रहा है. यहीं से नव क्रांति की शुरुआत होती है.

तकनीक और मशीनीकरण, 20वीं सदी के मध्य में शुरू हुआ, खासकर हरित क्रांति के दौरान.

कृषि का इतिहास लगभग 12,000 साल पहले शुरू हुआ जब मानव ने पौधों और जानवरों को पालतू बनाना शुरू किया जिससे खानाबदोश जीवनशैली से स्थायी कृषि जीवनशैली में बदलाव आया। 

कृषि का विकास नवपाषाण युग (लगभग 10,000 ईसा पूर्व) में हुआ जिसे कृषि क्रांति भी कहा जाता है. 

माना जाता है कि कृषि का जन्मस्थान उपजाऊ अर्धचंद्राकार क्षेत्र था जो पूर्वी भूमध्यसागरीय तट से लेकर फ़ारस की खाड़ी तक फैला हुआ था. 

इस क्षेत्र में लोग सन, छोले, दाल, मटर और छिलके वाली जौ जैसी फ़सलें उगाते थे. 

मिस्र और मेसोपोटामिया के लोगों ने नदी के प्रवाह को नियंत्रित करने और फसलों के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सिंचाई प्रणालियों का उपयोग किया.

भारत में कृषि-

भारत में कृषि का सबसे पुराना साक्ष्य उत्तर-पश्चिम भारत में मेहरगढ़ नामक स्थान पर मिलता है जिसकी तिथि लगभग 7000 ईसा पूर्व है. 

भारतीय उपमहाद्वीप में लोगों ने जल्द ही जीवन को स्थापित कर लिया और कृषि के लिए औजारों और तकनीकों का विकास किया. 

मिट्टी में पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए फसल चक्र का उपयोग किया जाने लगा. 

1400 ईस्वी में ब्रिटिश कृषि क्रांति ने नई सब्जियाँ उगाने के तरीकों में फसल विज्ञान और कृषि प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाया. 

कृषि का मशीनीकरण-

1600-1800 ईस्वी में कृषि के मशीनीकरण से अधिक फसल उत्पादन संभव हुआ. 

हरित क्रांति-

1960 के दशक में उच्च उपज वाले बीजों (HYV) का प्रयोग शुरू हुआ, जिससे सिंचाई और रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग बढ़ा. 

कृषि का विकास विश्व के सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन में महत्त्वपूर्ण कारक रहा है.

1960 के दशक में, भारत में हरित क्रांति के दौरान, उच्च पैदावार वाले बीजों, उर्वरकों और सिंचाई तकनीकों का उपयोग करके कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई. 

पिछले 70 वर्षों में, बीजों, उर्वरकों और फसल सुरक्षा उत्पादों में नवाचार ने कृषि बाजार को नया आकार दिया है और दुनिया भर में अरबों लोगों के जीवन को बदल दिया है. 

कृषि में मशीनीकरण-

कृषि में मशीनीकरण से भी उत्पादन में वृद्धि हुई है, जिससे काम आसान और समय की बचत हुई है. 

1996-97 से कृषि सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर औसतन 1.75% प्रति वर्ष रही है जबकि आवश्यक दर 4 प्रतिशत है. 

राष्ट्रीय कृषि नवाचार परियोजना-

कृषि अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास प्रणाली को नवोन्मेषी मॉडलों के माध्यम से स्पष्ट विकास और व्यावसायिक परिप्रेक्ष्य प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय कृषि नवाचार परियोजना (एनएआईपी) की शुरुआत हुई. 

कृषि में नवाचार के प्रकार-

कृषि में नवाचार में बीज की गुणवत्ता सुधारना, पौध संरक्षण और मशीनीकरण जैसे तकनीकी परिवर्तन शामिल हैं. 

कृषि नवाचार प्रणाली-

कृषि नवाचार प्रणाली कृषि और संबंधित क्षेत्रों में सहायक संस्थानों और नीतियों के साथ-साथ अभिनेताओं (व्यक्तियों, संगठनों और उद्यमों) का एक नेटवर्क है जो मौजूदा या नए उत्पादों, प्रक्रियाओं और संगठन के रूपों को सामाजिक और आर्थिक उपयोग में लाता है. 

कृषि में नवाचार के लाभ-

कृषि में नवाचार से खाद्य सुरक्षा में सुधार हुआ है, उत्पादन बढ़ा है, और किसानों की आय में वृद्धि हुई है. 

आधुनिक कृषि तकनीकें-

आज, किसान ड्रोन, स्मार्ट सेंसर, और डेटा विश्लेषण जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं.

चंद्रमोहन

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