चंद्र मोहन
लो जी शादियों का मौसम आ गया. लोगों को पति -पत्नी के लिए ठीक से वर वधु की ढूंढ करनी होती है. कई शादी एजेंसीज इस कम मेँ तत्परता से लगी नजर आती हैँ.
नई उम्र के नौजवान और युवतियाँ अपने कार्य स्थल मेँ ही मित्रता कर, एक दूसरे को पसंद करने लगते हैँ. कोई कोई तो ‘लिव इन’ मेँ भी रहने लगते हैँ. आपस मेँ इतनी घनिष्ठता होने के बावजूद भी तलाक और दूसरी समस्या भी हो जाती है.
घूम फिर कर एक ही बात सामने आती है कि चाहे व्यवस्थित शादी हो या प्रेम विवाह – मान्यता यही है कि जोड़ियाँ तो भगवान ऊपर ही बनाता है.
चलिए इसी पर सोच विचार कर लेते हैँ. आप क्या मानते हैँ?
“जोड़ियाँ ऊपर वाला बनाता है”, यह एक कहावत है जिसका मतलब है कि कुछ रिश्ते पहले से तय होते हैं लेकिन इसे सच मानना या न मानना लोगों की अपनी मान्यता पर निर्भर करता है. कई लोग मानते हैं कि रिश्ते निभाने के लिए समझ, प्यार और आपसी तालमेल की ज़रूरत होती है और ये केवल किस्मत से नहीं बनते। कुछ लोगों का मानना है कि ये कर्मों का फल है जबकि कुछ इसे संयोग और अपनी पसंद का नतीजा मानते हैं.
इस कहावत के पक्ष में तर्क:
नियति और कर्म: यह विचार है कि पिछले जन्मों के कर्म तय करते हैं कि इस जन्म में आपकी जोड़ी कैसी होगी.
अटूट बंधन: कुछ रिश्तों को इतना मजबूत माना जाता है कि वे किसी भी बाधा को पार कर लेते हैं जो इस बात का संकेत है कि यह ऊपरवाले की इच्छा है.
इस कहावत के विरुद्ध तर्क:
इंसान की भूमिका: कई लोगों का मानना है कि रिश्ते बनाने और निभाने में इंसानों की अपनी भूमिका होती है.वे अपने कर्मों से अपने रिश्तों को आकार देते हैं.
समझ और प्रयास: एक सफल रिश्ते के लिए आपसी समझ, संवाद, और एक-दूसरे के प्रति सम्मान बहुत ज़रूरी है। यह केवल किस्मत से नहीं होता बल्कि दोनों साथियों के प्रयासों से बनता है.
व्यक्तिगत पसंद: आजकल बहुत से लोग प्रेम और समझ के आधार पर शादी करते हैं, न कि किसी पूर्व-निर्धारित योजना के आधार पर.
संक्षेप में, “जोड़ियाँ ऊपर वाला बनाता है” यह एक दार्शनिक विचार है. कुछ इसे भाग्य और नियति मानते हैं, वहीं अन्य इसे मानव प्रयास और आपसी समझ का नतीजा मानते हैं. यह एक ऐसा विश्वास है जो अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग अर्थ रखता है.
“ऊपर वाले की जोड़ियां” (विवाह और संबंध) कितनी सही हैं, यह एक व्यक्तिगत और सामाजिक मान्यताओं का विषय है जिस पर लोगों की अलग-अलग राय है. कुछ लोग मानते हैं कि जोड़ियां ऊपर वाला बनाता है और इसे एक दैवीय व्यवस्था मानते हैं, जबकि अन्य लोग इस पर सवाल उठाते हैं और व्यक्तिगत पसंद व सामाजिक मान्यताओं को अधिक महत्व देते हैं.
धार्मिक दृष्टिकोण –
कुछ धार्मिक मान्यताओं में विवाह को एक पवित्र बंधन माना जाता है और यह विश्वास कि भगवान सभी जोड़ियां बनाता है, बहुत प्रचलित है.
सामाजिक दृष्टिकोण –
समाज में विवाह के तरीकों और आदर्शों को लेकर अलग-अलग विचार हैं. जाति, धर्म और परंपरा जैसी सामाजिक संरचनाएं भी लोगों की राय को प्रभावित करती हैं.
व्यक्तिगत दृष्टिकोण –
व्यक्ति की सोच, अनुभव और मूल्यों के आधार पर, वह रिश्तों को अपनी नजर से देखता है. कुछ लोग इसे अपने जीवन का एक स्वाभाविक और महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं जबकि कुछ के लिए यह जटिल या चुनौतीपूर्ण हो सकता है.
विरोधाभासी राय –
कई बार, जो लोग मानते हैं कि जोड़ियां ऊपर वाला बनाता है, वे भी इन जोड़ियों के विरुद्ध जाते हैं जैसे कि जाति या धर्म से बाहर विवाह का विरोध करना. यह एक विरोधाभासी दृष्टिकोण को दर्शाता है. जहां एक तरफ दैवीय व्यवस्था पर भरोसा करने का दावा किया जाता है, वहीं दूसरी तरफ सामाजिक मान्यताओं को प्राथमिकता दी जाती है.
“ऊपर से बनी जोड़ियाँ” का महत्व मुख्य रूप से नियति, विश्वास और विवाह संस्था के प्रति गहरे सम्मान में निहित है. यह वाक्यांश एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विश्वास को दर्शाता है कि रिश्ते ईश्वर द्वारा पहले से ही तय किए जाते हैं.
इसका महत्व निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है –
नियति और भाग्य में विश्वास:
यह धारणा इस बात पर जोर देती है कि विवाह केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि एक पूर्व-निर्धारित संबंध है जिसे दैवीय शक्ति (ईश्वर/भगवान) ने बनाया है. यह विश्वास लोगों को जीवन साथी चुनने में भाग्य की भूमिका को स्वीकार करने में मदद करता है.
पारिवारिक और सामाजिक बंधन:
भारतीय संस्कृति में, जहाँ अक्सर व्यवस्थित विवाह होते हैं, यह अवधारणा परिवारों को एक-दूसरे के साथ जुड़ने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करती है। यह विश्वास रिश्ते को सामाजिक और पारंपरिक समर्थन देता है और इसे केवल व्यक्तिगत पसंद से परे ले जाता है.
स्थिरता और प्रतिबद्धता:
“ऊपर से बनी जोड़ी” का विचार पति-पत्नी के बीच संबंध को एक पवित्र और अटूट बंधन बनाता है. यह विश्वास जोड़ों को रिश्ते में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह रिश्ता ईश्वर की इच्छा से बना है और इसे बनाए रखना उनका कर्तव्य है.
आध्यात्मिक महत्व:
कई हिंदू परंपराओं में, विवाह को एक जन्म का नहीं, बल्कि जन्मों-जन्मों का बंधन माना जाता है.यह वाक्यांश इस आध्यात्मिक दृष्टिकोण को पुष्ट करता है जिससे रिश्ते में गहराई और पवित्रता आती है.
मानसिक शांति: यह विश्वास लोगों को अपने जीवन साथी के चुनाव को लेकर मानसिक शांति देता है, यह मानकर कि जो हुआ वह सर्वश्रेष्ठ था और इसमें कोई दैवीय योजना शामिल थी.
संक्षेप में, “ऊपर से बनी जोड़ियाँ” का महत्व आस्था, समर्पण और रिश्ते की पवित्रता में है जो भारतीय समाज में विवाह की नींव को मजबूत करता है.
चंद्र मोहन