जन्नत ए ख़्वाब

माता पिता संसार के ऐसे माणिक शब्द हैं जो आलिम हैं इन अमृत समान शब्दो में जन्नत समाया हुआ हैं । यह दो शब्द उस नन्हे परिंदे के पंख होते हैं जो उन्हें विस्तृत रूप से उड़ना सिखाते हैं। क्या खूब कह गए हमारे प्रशंसक के माता पिता अपने सभी उन्मुक्तो को त्याग एक त्याग की मूरत हैं। दोनो अपने खट्टे मीठे प्यार के स्वरूपों से जाने जाते हैं एक चासनी सी मीठी तो एक विपरित परन्तु इनका स्वरूप कैसा भी हो ये उन नादान परिंदो के लोचन है। जिनसे वह नादान अपने सभी उन्मुक्तों से विमुक्त होकर सारा जहां देखता है
यह उस नन्हे से परिंदे के लिए एक एंद्रजालिक के समान होते हैं जो उनके सभी ख्वाहिशों को यथेष्ट कर देते हैं। अपने सभी ख्वाहिशों का त्याग कर अपने समस्त जीवन को उनके सभी ख्वाहिशों को परिपूर्ण करने को नेग कर देते हैं । इस स्वार्थ रूपी संसार में अगर आपको कोई निस्वार्थ प्यार करता हैं तो ओ आपके माता पिता हैं जो अपनें बच्चों के लिए अपने सभी इच्छाओ का परित्याग कर उस नन्हे से परिंदे के लिए अपनी सभी क्षमताओं को अक्स कर उनके सभी इच्छाओं को परिपूर्ण करने में अपने सभी उमंगों व अपनी चाह का त्याग कर देते हैं। परन्तु आज के तिष्य का दौर ऐसा चल रहा की बच्चें उस मां के नही हो रहे जिस मां ने अपने उदर में अपने उस अपयशी बच्चे का परिपालन किया पंरतु वे उनके उस त्याग को समझने में अयोग्य हैं और उस मां को आज के मुसर्रत संसारी लोभात्मक व अन्य कारणों से उस मां को बहिष्कृत कर दे रहा । एक मां उदर में अपने बच्चें को नौ महीने रखकर उनका संवर्द्धन करती हैं ना जाने कितने दुखों और तकलीफों से गुजरी होगी पंरतु उस मां के तकलीफों व जज्बातों को समझने में आज के बच्चें असमर्थ हैं । अपने प्राणों से अत्यधिक इहलोक में अपने बच्चो से निस्वार्थ कोई मोह की भावना रखता है तो ओ आपके माता पिता हैं । कर्ण का तो कवच विपत्ति को देखकर अपना रूप धारण करता था परंतु माता पिता सदैव अपने बच्चों के साथ एक कवच रूपी रूप में उनके साथ खड़े हैं ।
क्या खूब कहा गया हैं?

कुछ ना पा सके तो क्या गम हैं
मां बाप को पा लिया क्या यह कम हैं
थोड़े से भ्रम में क्या पायी खुद को
अस्त व्यस्त हो गए हमारे अक्स सदमे

खूब देखी दुनिया पर तुमसे बड़ा रिश्ता ना देखा
ना होंठो पर मुस्कान , न जुबा पर ख्वाहिशें दौर देखा
आंख जब खोली पहली दफा तो तुम्हे देखा
पकड़ कर उंगली तुम्हारी, तुम्ही से मां मैने चलना सीखा

Previous articleसंजॉय घोष: ग्रामीण लेखन के आधार स्तंभ
Next articleदमदार हथियार होती है कलम !
श्लोक कुमार
इनकी पहली पुस्तक का शीर्षक हैं 'हाशिये पर मुसहर' जो दलित और जातिवाद पर आधारित हैं इस किताब ने इनके जीवन की रुख को बदला और कई अवार्डो से खुद को सुशोभित किया जिनमें से इन्होंने ने एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड, मैजिक बुक ऑफ रिकॉर्ड , दिल्ली बुक ऑफ रिकॉर्ड , वर्ल्ड वाइड बुक ऑफ रिकॉर्ड विक्की कुमार को पछाड़ अपने नाम सबसे कम उम्र के लेखक बन गए जिसने दलित और जातिवाद पर किताब लिखी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,047 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress