कविता साहित्‍य

कैसे कहूँ

frndsबड़ी मुश्किल से मौका मिला दिल को सुकून मिला

बरसों की एक आज मुलाक़ात हुई

दूर बैठे देखता रहा ..

करीब इतना बैठा की मन नही भरा

कुछ मन में कशिश रह गई

तेरे होंठो को छूने की तडप रह गई

मौसम ,कुछ खास था

यांदो की जज्बात था

तुम ,अकेली थी

पर ,डर का अहसास था

नजरो को पढ़ा जी भर कर

पर ,उलास -उमंग का कुछ ख़ास था आज का दिन गांवली ……..

जीवन का कुछ ख़ास था बहुत कुछ कह गई तू नजरो से …

मेरी नजर ने एतबार किया

महफ़िल में मै ..

तेरा गुनहगार हुआ

चलते -चलते आज तेरी गलियों में फिर ” साहिल” ….

प्यार का अहसास हुआ ……