इतना झुके कि घुटने टेक कर भारत तोड़ने पर आमादा ? / प्रवीण तोगडि़या

1971 में भारत ने सहयोग देकर बांग्लादेश को पाकिस्तान के चंगुल से मुक्त कराया, उस बांग्लादेश ने वहां के हिन्दुओं की क्या दुर्दशा की, वे सारी सत्य कहानियाँ सबको विदित है। वस्तुतः अखंड भारत में होने के नाते पाकिस्तान हो या बांग्लादेश, भारत ही थे। दुर्भाग्य से कुछ तत्कालीन नेताओं ने राजनीति कर और कुछ लोगों ने अनशन कर भारत के टुकड़े करा दिये। पाकिस्तान में सनातनी हिन्दुओं की, सिखों की बुरी स्थिति सभी जानते हैं; बांग्लादेश भी कुछ पीछे नहीं हिन्दुओं की कत्ल करने में! वहाँ से खदेड़े गए हिन्दू पश्चिम बंगाल, आसाम व अन्य भारतीय राज्यों में आज भी निर्वासित जीवन गुजार रहे हैं, जब कि वहाँ से जबरदस्ती भारत में घुसे जेहादी घुसपैठिए भारत के नागरिक के अधिकार पाकर मत भी डाल रहे हैं। इन जेहादियों ने आसाम में कई जिलों में पाकी और बांग्लादेशी हरे झंडे फहराए, हम सबने टी वी पर देखे हैं!

अब इतने से भी दिल नहीं भरा कि भारत की सरकार और आसाम की सरकार मतों के लिए झुक-झुक कर इतनी झुकी कि भारत की जमीन बांग्लादेश को देने जा रही है?जब मैं यह लिख रहा हूँ, तब भारत के अर्थविद् प्रधानमंत्री बांग्लादेश पहुंच भी गए हैं, अपना शाकाहारी खाना थोड़े समय के लिए त्याग कर बांग्लादेश की हिलसा मछली खाने की उनकी बातें मीडिया में चाव से दिखाई भी जा रही हैं! विषय हिलसा मछली नहीं! मछली के लिए झुकना या ना झुकना, यह किसी व्यक्ति का अपना निर्णय हो सकता है; किन्तु अपने देश की तकरीबन 600 एकड़ जमीन बांग्लादेश को बहाल करने की बातें छुप-छुप कर करना- क्या यह किसी का निजी मामला है?हर एक छोटे-छोटे विषय पर टेढ़े, चिढ़े हुए कटाक्ष करने वाली या अचानक बढ़ी हुई बारिश का भी दोष संघ पर और हिन्दुओं पर मढ़नेवाली उनकी ’पार्टी‘ इस विषय पर मौन है। यह ’केलकुलेटेड‘ मौन यही दर्शाता है कि दाल में जरूर कुछ काला है। (या, यूँ कहे कि मछली में राई कुछ ज्यादा ही है!)

आसाम के करीमगंज और ढुबरी इन 2 जिलों की कुल 600 एकड़ से अधिक जमीन बांग्लादेश को देने की पूरी तैयारी भारत सरकार ने की है! ऐसा कहा जाता है- इसी विषय में 4 सितम्बर को विश्व हिन्दू परिषद ने आसाम बन्द का आह्वान किया था और भारत के सेकुलर कहे जाने वाले मीडिया तक ने स्वीकार किया कि यह बन्द सम्पूर्ण यशस्वी रहा! किसी भी राज्य में ऐसे बन्द तभी यश पाते हैं, जब उस राज्य की बहुसंख्य जनता उस विषय से, मन से, दिल से और प्रत्यक्ष जुड़ी हुई हो! और क्यों नहीं! आसाम के सीधे सादे लोग अब तक बहुत भुगत चुके हैं! आये गए दिन जेहादी हमले झेलना कोई लड्डू खाने की (या मछली खाने की) बात नहीं। उसी बांग्लादेश से जुड़े हुजी जैसे जेहादी संगठन खुलेआम आसाम में हुए जेहादी हमलों की जिम्मेदारी लेते हैं; लेकिन फिर भी जेहादियों पर नियंत्रण लाने के लिए बांग्लादेश पर दबाव डालने की जगह उन्हें भारत की जमीन दी जा रही है?किससे पूछकर इतना बड़ा निर्णय लिया जिससे भारत का भूगोल बदलेगा?भूमि अधिग्रहण के लिए-जो केवल भारत के लिए सीमित है-भी भारत के चुने हुए जनप्रतिनिधियों द्वारा सम्मत किया हुआ कानून आवश्यक होता है, फिर भारत की 600 एकड़ से भी अधिक जमीन किसी और देश को देने के लिए किस कानून की आवश्यकता नहीं?भारत की जनता को इस विषय में क्यों नहीं विश्वास में लिया गया? दबाव आया तो लोकपाल बिल के लिए भी जनमत बातें होती है; भारत को फिर एक बार तोड़कर भूगोल बदलकर, आसाम की जनता से उनकी जमीन, उनका इतिहास छीनकर बांग्लादेश को देने में भारत की जनता को क्या पूछा गया खुलेमें?तेरी भी चूप और मेरी भी चूप?क्यों यह रेवड़ियां दी जा रही हैं बांग्लादेश को?जिताने के लिए मत देनेवाले घुसपैठी भेजें इसलिए?या और कुछ?

हमारी सरकार सबसे बात कर सकती हैं-कश्मीरी अलगाववादियों से, बांग्लादेश और आईएसआई के सहयोग से भारत पर हमले करने वाले उल्फा से और ना जाने किस-किस से। लेकिन हिन्दुओं से, भारतवासियों से विचार-विमर्श करने की आवश्यकता नहीं। इन्हें जो भारत की जमीन बांग्लादेश को दिए जा रहे हैं? कश्मीर से मार-मार कर खदेड़े गए पंडितों, सिखों को अभी तक उनकी खोयी जमीन, घर तो छोड़ ही दो, केवल एक सम्मान का जीवन और कश्मीर में मत और मालमŸाा के सम्पूर्ण अधिकार तक यह सरकार नहीं देती, आसाम के कार्बी आंगलॉन्ग वनवासियों को जेहादियों ने खदेड़कर निर्वासित बना दिया, अब तक 1 लक्ष से अधिक लोग निर्वासित कैम्प में सड़ रहे हैं; क्या उन्हें जमीन दी?इतनी बड़ी मेहरबानी बांग्लादेश पर क्यों जो भारत की जमीन तोड़कर दे रहे हैं?

आसाम नीलांचल का एक सुरम्य, सुन्दर प्रदेश है जहाँ हमारी देवी कामाख्या निवास करती हैं। तीस्ता नदी का जल-झुके बांग्लादेश के सामने! त्रिपुरा से अगवा कर बांग्लादेश में मारे जा रहे भारतीय-झुके बांग्लादेश के सामने। ब्रह्मपुत्र का जल-झुके बांग्लादेश ओर चीन के सामने! हुजी-झुके बांग्लादेश के सामने! कश्मीर-झुके पाक के सामने! इतने झुके कि अब घुटने टेक दिए! घुटने टेककर हाथ ऊपर कर क्या दुआएं माँंगेंगे? भारत के सारे दुश्मनों को सलामत रखें? टी.वी.-मीडिया को भी इस विषय में कुछ पड़ी नहीं जो हीरो वरशिप को और हिन्दुओं को गालियाँ देने को सेकुलर जर्नालिज्म समझते हैं?हमारा देश फिर एक बार छुप-छुप कर तोड़ा जा रहा है और आसाम बन्द के बावजूद सरकारें भारत की सीमाएं बदलने जा रही हैं? इनके विद्वान, सलाहकार-जिन्होंने हिन्दुओं को गालियाँ देने का और समाज के लिए कुछ अच्छा करने वालों को बुरा भला कहने का ही ठेका ले रखा है- कह भी देंगे कि नहीं-नहीं, ऐसा कुछ नहीं, केवल ’डिमार्केशन ऑफ एन्क्लेव्स‘ हो रहा है। अंग्रेजी बोलने से क्या सत्य बदलता है?भारत की 600 एकड़ से अधिक भूमि बांग्लादेश को दी जाने की योजना बन चुकी है- यह मान्य भी नहीं करेंगे? सारा आसाम जानता है-पूर्ण भारत को जानकारी नहीं, इस खुशी में हैं सरकारें? शर्म नहीं आती देश तोड़ते हुए?अपनी निजी जागीर समझकर रखा है भारत देश को, जो किसी भी बाँट दे?

घुटने टेके हैं, अब मत्था भी रगड़ेंगे, ये भारत तोड़ने की योजना बनानेवाले और फिर माथे के दाग को दिखाकर दार-उल -इस्लाम वालों से डाक्टरेट लेंगे? भारतीयों को सत्य जानने का अधिकार है कि आसाम की इतनी भूमि बांग्लादेश को क्यों दी जा रही है? भारत की जनता की इसे सम्मति है?कब ली?किसने ली और किसने दी ? प्रधानमंत्री ने तय किया होगा ; परन्तु भारतीयों ने जेहादियों के सामने कभी घुटने नहीं टेके हैं। एक हजार वर्ष का इतिहास गवाह है! अब भी नहीं देने देंगे! एक इंच भारत भूमि किसी और देश को!

5 COMMENTS

  1. आदरणीय डॉ. तोगडियाजी सही बात कही आप ने मीडिया को सिर्फ हिन्दू विरोधी बाते ही प्रसारित करने की आदत है ? सही बात करने की नहीं साया उनके अकओंको ये सब पसाद नहीं आयेंगा

  2. मेरे विचार से इन सब बातो के प्रमाडिक प्रचार की उचित व्यवस्था के बारे में भी हमें सोचना चाहिए तभी आम जनमानस इन ज्वलंत प्रश्नों को जानकर इनके विरोध में खड़ा हो पायेगा

  3. भाई का द्वेष करते परदेसी को करते सलाम स्वतंत्र भारत में भी कैसा प्रधान मंत्री ऐसा गुलाम ?

  4. क्या इस्पे कोई केसकिया हे कोर्ट में या देश सोता ही रहेगा ,कोंग्रेस को गुजरात में नहीं उधेर सत्याग्रह करना चाहिए |

  5. आदरणीय तोगड़िया जी, ek समय था जब हम कहते थे कि इन नेताओं का बस चले तो ये देश को भी बेच दें| अब इसकी भी शुरुआत हो चुकी है|
    मनमोहन सिंह और असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने असम की भूमि बंगलादेश को ऐसे दान कर दी, जैसे यह ज़मीन भारतवासियों की नहीं, कांग्रेस के बाप की जागीर है|

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