
झूठ बोलते बोलते,सच को झुठलाते गये |
क्योकि लोगो की जवां पर ताले पड गये ||
थक गये राहो में,चलना है मुश्किल |
क्योकि उनके पाँवो में छाले पड़ गये ||
कर लेते हम प्यार,करना है मुश्किल |
क्योकि लोगो के दिल काले पड गये ||
दूभर है जिन्दगी,काटना है मुश्किल |
क्योकि शुद्ध हवा के लाले पड गये ||
नफरतो के जालो से,निकलना है मुश्किल|
क्योकि बंद दिलो में भी जाले पड़ गये ||
रस्तोगी को भी लिखना है बड़ा मुश्किल |
क्योकि उसकी कलम में छाले पड़ गये ||
आर के रस्तोगी
मो 9971006425
डॉ.मधुसूदन जी ,
नमस्कार
प्रंशसा के लिये धन्यवाद.| आपका आशीर्वाद मिलता रहेगा तो मै लिखता रहूँगा |
जानकार यह बड़ी ख़ुशी हुई आप मेरी रचनाये पढ़ते है |
राम कृष्ण रस्तोगी
नपी तुली कविता, और उसकी लय भरी प्रवाही पंक्तियाँ प्रभावित करती हैं।
कवि को बधाई।
आपको पढता हूँ, सदा टिप्पणी नहीं दे पाता।
रस्तोगी जी लिखते रहिए।
मधुसूदन