छोटी काशी की ममता पालीवाल ने बढाया भिवानी और हरियाणा का मान,राष्ट्रपति के हाथों मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक का सम्मान

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भगवत कौशिक –गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय। गुरु-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है जिसके कई स्वर्णिम उदाहरण इतिहास में दर्ज हैं। शिक्षक उस माली के समान है, जो एक बगीचे को अलग अलग रूप-रंग के फूलों से सजाता है। जो छात्रों को कांटों पर भी मुस्कुराकर चलने के लिए प्रेरित करता है। आज शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र-निर्माण एवं शिक्षा को हर घर तक पहुंचाने के लिए तमाम सरकारी प्रयास किए जा रहे हैं। इसकी सफलता के सशक्त माध्यम शिक्षक ही हैं और शिक्षकों को वह सम्मान मिलना चाहिए जिसके वे हकदार हैं। भारत के राष्ट्रपति, महान दार्शनिक, चिन्तक, शिक्षाशास्त्री डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस को 5 सितम्बर को पूरे देश में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस बार देशभर सेे 44 अध्यापकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा जाएगा।जिनमे 9 महिला अध्यापक भी शामिल है।इसके अलावा भी 
अनेकों अध्यापक ऐसे है जो मामूली अंतर से शिक्षक पुरस्कार से वंचित रह गए।लेकिन शिक्षा के प्रति उनका समर्पण समाज के लिए प्रेरणादायक है।हमारे समाज मे ऐसे अनेक अध्यापक है जिन्होंने अपने प्रयासों से ना केवल विद्यार्थियों को सफल बनाया अपितु विद्यार्थियों के साथ साथ स्कूल एंव आसपास के वातावरण को ही बदलकर शिक्षा क्रांति लाने का काम किया है।आज शिक्षक दिवस है ऐसे मे हम सब का कर्तव्य बनता है कि हम अपने उन गुरूजनों के योगदान को याद करें जिन्होंने शिक्षा के साथ साथ बच्चों और विद्यालयों के सर्वांगीण विकास पर बल देकर ना केवल बच्चों की तकदीर बदली अपितु सरकारी स्कूलों का कायाकल्प भी करके दिखा दिया।इन अध्यापकों ने समाज मे संसाधनों का रोना रोने वाले लोगों को दिखाया कि अगर इरादे मजबूत हो और हौंसले बुलंद हो तो परिश्रम के बल पर बडी से बडी बाधा पार की जा सकती है।इन अध्यापकों की बदौलत आज कई सरकारी स्कूल बडे बडे प्राईवेट स्कूलों से शिक्षा,इंफ्रास्ट्रक्चर एंव रिजल्ट मे काफी आगे है। शिक्षा और समाज के प्रति इनके जज्बे एंव निष्ठा को हम दिल से सलाम करते है।शिक्षक दिवस के मौके पर आज हम आपको शिक्षा जगत की ऐसी ही कुछ महान हस्तियों से रुबरूब करवाते है जिन्होंने ना दिन देखा ना रात देखी और शिक्षा एव शिक्षित जगत के लिए मिशाल बन गए –


1. ममता पालीवाल

राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय भिवानी में कार्यरत बताैर गणित प्रवक्ता ममता पालीवाल की जिनका हरियाणा प्रदेश से राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चयन हुआ है। शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य के लिए इन्हें शिक्षक दिवस पर पांच सितंबर को राष्ट्रपति भवन में सम्मानित किया जाएगा। प्रवक्ता ममता पालीवाल ने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में उनका 10 वर्ष का अनुभव है।

वे वर्ष 2011 में जीजीएचएस देवराला में गणित अध्यापिका लगी थी। इसके बाद उनका प्रमोशन वर्ष 2016 में भिवानी स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में बतौर प्रवक्ता हाे गया। 

◆ टीचिंग लर्निंग मॉड्यूल ने करवाया राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयन

ममता पालीवाल का कहना है कि उनकी गणित में शुरू से ही रूचि रही है। उन्हाेंने बताया कि नेशनल ज्यूरी काे उनके टीचिंग लर्निंग मॉड्यूल यानि मैथेमेटिक्स के एजुकेशनल गेम्स बहुत पसंद आए। नेशनल ज्यूरी ने भी इनके टीचिंग लर्निंग मैटीरियल काे सबसे ज्यादा पसंद किया है और इनके द्वारा बनाए गए वीडियो भी मंगवाए हैं।

गणित में रूचि इतनी बढ़ गई कि उन्हाेंने खुद के फॉर्मूला और गेम्स बनाने शुरू कर दिए। वे रोजाना स्कूल में गणित पढ़ने-पढ़ाने, मॉडल बनाने, फॉर्मूला तैयार करने व गेम्स बनाने आदि में सात-आठ घंटे लगाती हैं। उनके पति बीर सिंह भी एक शिक्षक हैं जाे सरकारी जाॅब की तैयारी कर रहे हैं। उनका बेटा विशेष आठवीं कक्षा और बेटी दिव्यांशी चौथी कक्षा में पढ़ाई कर रही हैं।


2.मनोज कुमार लाकडा
वर्ष 2020 के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार विजेता मनोज कुमार लाकडा शिक्षा जगत की महान हस्तियों मे शामिल है।शिक्षा और शिक्षा जगत के लिए उनका अतुलनीय योगदान हमेशा समाज मे एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगा।मनोज कुमार लाकडा झज्जर जिले के गांव छुडानी रहने वाले है। 2001 में उनका चयन हिंदी अध्यापक के रूप में हुआ था। पहली नियुक्ति हिंदी अध्यापक पद पर राजकीय उच्च विद्यालय गंगवानी नूंह में हुई। इसके बाद वर्ष 2004 में ग्वाल पहाड़ी गुरुग्राम में स्थानांतरण हुआ। वर्ष 2013 सितंबर में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कार्टरपुरी गुरुग्राम में सेवाएं दी, जहां छात्रों की प्रतिभा को उभारने में योगदान रहा। मनोज के मार्गदर्शन में विद्यार्थियों ने आईसीटी के क्षेत्र में मोबाइल एप्स, विद्यालय की वेबसाइट, एजुकेशनल गेम्स में जिले का नाम रोशन किया। विज्ञान प्रदर्शनी में छात्रों द्वारा बनाए गए सोलर प्लेट समर हेलमेट मॉडल ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। स्काउट एंड गाइड, कला उत्सव, बाल रंग, लीगल लिट्रेसी और अन्य प्रतियोगिताओं में इनके मार्गदर्शन में जिला व राज्य स्तर पर छात्रों ने अनेक पुरस्कार प्राप्त किए। 

◆ बिना बिजली का मोबाइल टीवी बनाया

मनोज लाकड़ा द्वारा बिना बिजली का मोबाइल टीवी का निर्माण किया गया, जिससे हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों को आसानी से स्मार्ट कक्षा में बदला जा सकता है। यह टीवी मोबाइल से चलता है, जिसमें बिजली कनेक्शन की कोई आवश्यकता नहीं होती। अध्यापक अपने मोबाइल का प्रयोग कर आसानी से अपने विद्यार्थियों को पाठ से सम्बन्धित विडियो को दिखा सकता है और समझा सकता है। मनोज लाकड़ा ने हरियाणा के करीब 1800 विद्यालयों में इस मोबाइल टीवी को अपने जेब खर्च पर मुफ्त में उपलब्ध करवाया है, ताकि बच्चों के कक्षा कक्ष को स्मार्ट बनाया जा सके। अध्यापक मनोज कुमार लाकड़ा ने बेहद सस्ते व मात्र दस रूपये के खर्च से वीआर डिवाइस बनाकर इसका प्रयोग छात्रों को समझाने के लिए किया।

◆ छात्रों ने पीरीयोडिक टेबल ऑफ क्यूआर कोडिड बुक्स बनाई 
फिलहाल शिक्षक मनोज कुमार लाकड़ा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बजखेड़ा में कार्यरत हैं। मनोज के मार्गदर्शन में बजखेड़ा स्कूल के छात्रों ने पीरीयोडिक टेबल ऑफ क्यूआर कोडिड बुक्स और पेड़-पौधों के क्यूआर कोड तैयार किए। इनका प्रदर्शन एनसीईआरटी की ओर से आयोजित ऑल इंडिया आईसीटी और बाल मेले कोचीन (केरल) में किया। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक मनोज कुमार ने हरियाणा की शिक्षा नीति की प्रशंसा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल सरकार ने सक्षम हरियाणा कार्यक्रम के तहत शिक्षा की गुणवत्ता में निरंतर सुधार किया है। मनोज कुमार के पिता सेवानिवृत्त सूबेदार सूरत सिंह अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान रहे हैं। उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल जीतकर देश, प्रदेश और अपने क्षेत्र का नाम रोशन किया है।
◆ पेड़ों का क्यू-आर कोड लगा बनाया यादगार

उनके छात्र हिमांशु द्वारा रा.व.मा. विद्यालय बजघेड़ा में लगे हर पेड़ पौधे का क्यू-आर कोड बनाकर चिपकाया गया है, ताकि बच्चे व अभिभावकगण क्यू-आर कोड को मोबाइल से स्कैन कर उस पेड़ ले सम्बन्धित सारी जानकारी प्राप्त कर सकें। यह हरियाणा का पहला विद्यालय है, जहां हर पेड़-पौधे पर क्यू-आर कोड लगाए गए हैं। इनके मार्गदर्शन में छात्रों ने जिला व राज्य स्तरीय कला उत्सव, बाल रंग, लीगल लिट्रेसी, रमसा विज्ञान प्रदर्शनी, में संगीत, नाटक, स्किट व सांझी मेकिंग में अनेक पुरस्कार प्राप्त किए।3.हरपाल आर्य –

जिनके हौसले बुलंद होते हैं वह अपनी राह स्वंय बना लेते हैं। चाहे आंधी आए या आ जाए तूफान, कश्ती अपनी मंजिल की ओर निकाल ले जाते हैं। ऐसे ही बुलंद हौसले, बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं काकड़ौली हुक्मी के राजकीय कन्या प्राथमिक पाठशाला के एक शिक्षक व गांव बिलावल निवासी हरपाल आर्य। जो स्कूल के बाद का पूरा समय भी समाज को विकसित करने के लिए ही लगाते हैं। वह अपनी सकारात्मक सोच से युवाओं व महिलाओं की उन्नति करने सहित पर्यावरण को सुधारकर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य देना चाहते हैं। हरपाल आर्य जहां बोल हिंदुस्तान के संस्थापक हैं, और कई सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं।

◆ जिस स्कूल में गए वहीं छोड़ी छाप

हरपाल आर्य विभिन्न स्कूलों को हरा-भरा बना चुके हैं। काकड़ौली हुक्मी के राजकीय स्कूल में कार्यभार ग्रहण करने के बाद यहां का पूरा प्रांगण बदल चुका है। बदलाव के कार्यों के लिए पहचाने जाने वाले हरपाल आर्य हदौड़ी स्कूल को हरियाणा का प्रथम आईएसओ प्रमाणित विद्यालय बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने के बाद स्कूल और पूरे प्रदेश में चर्चा में आए थे।

◆ स्मार्ट-क्लास एंव तकनीकी दक्षता

बिना किसी विभागीय सहायता के स्मार्ट-क्लाॅस रूम की स्थापना और छात्रों को तकनीकी रूप से सुदृढ़ बनाने में हमेशा प्रयासरत रहने वाले हरपाल आर्य ने जुलाई-अगस्त 2020 के दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार और इंटेल इंडिया द्वारा आयोजित आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी ऑनलाइन वर्क शॉप में मेंटर के रूप में कार्य करते हुए चरखी दादरी, भिवानी और रोहतक के 80 से अधिक छात्र-छात्राओं की प्रतिभागिता करवाई।

◆ स्कूल सौन्दर्यकरण

  हरियाणा के प्रथम आईएसओ प्रमाणित सरकारी स्कूल बनाने में अहम योगदान देने वाले हरपाल आर्य अनेकों स्कूल-प्रांगण का स्वरूप बदल चुके हैं। लॉकडाउन के दौरान पूरा समय विद्यालय को देकर तीन लॉन तैयार किये हैं। विद्यालय की प्रत्येक दीवार जहां एक संदेश देती है, वहीं बच्चों को कुछ न कुछ सीखने के लिए प्रेरित करती है। विभाग एंव सामुदायिक सहयोग से विद्यालय की प्रत्येक दीवार और कक्षा कक्ष को छात्रों के अनुकूल पेंटिंग से सजाया गया है। इससे पूर्व भी हड़ौदी प्राइमरी स्कूल को जिला स्तर पर मुख्यमंत्री स्कूल सौन्दर्यकरण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने में अहम भूमिका निभा चुके हैं।

◆ लेखन कार्य

   प्रमुख राष्ट्रीय समाचार पत्रों में आलेख के अतिरिक्त पत्रिकाओं शिक्षा-दीक्षा दीप, शिक्षा-सारथी, मंथन, राजधर्म आदि पत्रिकाओं में रचनायें निरंतर प्रकाशित होती रहती हैं। सरकारी स्कूलों एंव शिक्षकों को समर्पित पत्रिका उद्घोष का संपादन कार्य भी देख रहे हैं। वर्ष 2020 में शिक्षक दिवस पर ‘हिंदी शिक्षा परिषद लंदन’ द्वारा प्रशंसा-पत्र देकर के सम्मानित किया जा चुका है।


4. अर्चना शर्मा 

भारतीय संस्कृति में शिक्षक की भूमिका समाज को सुधार की ओर ले जाने वाले मार्गदर्शक के रूप में होती है।ये शिक्षक ही होते हैं,जो एक अनगढ़े बालक को सांचे में ढाल कर उसे एक संपूर्ण इंसान बनाते हैं।एक ऐसा माली जो पौधे रूपी विद्यार्थियों को पोषित करता है,और उन्हें बेहतर मनुष्य के रूप में पल्लवित कर,संस्कार रूपी पुष्प खिलाकर, सद्गुणों की महक देता है।आज हम बाते करेंगे शिक्षिका अर्चना शर्मा जी के विषय मे जिन्होंने अध्यापन के लिए नवाचार का मार्ग चुना जिससे विद्यार्थियों में खेल-खेल में शिक्षा के प्रति रुचि जागृत हो।अभी वर्तमान में शासकीय प्राथमिक शाला खिसोरा, विकासखण्ड अकलतरा जिला जांजगीर चाम्पा छत्तीसगढ़ में सहायक शिक्षक के पद पर पदस्थ है।
जीवन के मूल्यों को समझने के लिए शिक्षक और शिक्षा के महत्व को समझना बेहद जरूरी है।घर का पूरा माहौल शिक्षामय है।पति संजय कुमार शर्मा भी शिक्षक होने के साथ एक उम्दा इंसान है,जो कि नवाचारी सोच को हमेशा प्रोत्साहित करते है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर चाम्पा जिले के अकलतरा  विकासखंड के ग्राम तरौद में 30 दिसंबर 1981 को किसान परिवार में इनका जन्म हुआ था। इनके दादा जी शिक्षक थे। इनके पिता जी सीमेंट फैक्ट्री में काम करते थे इनकी माता गृहणी है। इनकी प्रारंभिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय अकलतरा में हुआ । शिक्षका अर्चना शर्मा अंग्रेजी साहित्य में एम ए तक की पढ़ाई की है। 
शिक्षा क्षेत्र का सफरछत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर चाम्पा जिले के अकलतरा  विकासखंड  के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला तरौद में सन् 2005 में पदस्थापना हुई थी। चार वर्षों की सेवा के बाद सन् 2009 में युक्तियुक्तकरण के तहत पदस्थापना शासकीय प्राथमिक शाला बनाहिल में हुई कुछ वर्ष बाद अध्यापन व्यवस्था के तहत विकासखण्ड के विभिन्न शालाओं में कार्य करने के अवसर मिला।शिक्षिका अर्चना शर्मा जी,ने अध्यापन के लिए नवाचार का मार्ग चुना जिसके माध्यम से विद्यार्थियों के  मन में पठन पाठन के प्रति रुचि जागृत की।इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए कक्षा में साज सज्जा की फ्लेक्सि बनवाकर चिपकाई, क्रिएटिव कार्नर बनाई, प्रिंटरीच वातावरण तैयार की। खुद भी वाल पेंटिंग की ताकि कक्षा का वातावरण बच्चों को आकर्षित करे।◆ विषयवस्तु को रोचक बनाने के लिए खेलविधि

 रोलप्ले, नाट्य शैली,  क्राफ्ट वर्क, गीत ,कविता कहानी का निर्माण, स्वयं के खर्च से पाठ की समझ बनाने के लिये टी.एल.एम. का निर्माण, मोबाइल टेलीविजन( मनोज लाकरा सर जी  हरियाणा द्वारा प्रदत्त) का प्रयोग जैसी गतिविधि आधारित शिक्षा प्रदान की जिसका प्रभाव शीघ्र ही परिलक्षित भी हुआ। इस तरह अपने नवाचार के माध्यम से उनको प्रोत्साहित कर सीखने की ओर आगे बढ़ाया जिसमें सफलता मिली है।इसके अलावा शाला में होने वाले विभिन्न प्रकार के परीक्षा में बच्चों के प्रदर्शन से पालको को अवगत कराने के लाये ओपन डे का आयोजन किया जाता है।जिससे पालको एवं बच्चों को उन्होंने कहाँ पर गलतियां की एवं उनका प्रदर्शन कैसा है  इसकी जानकारी पालको को होती है।
◆ सहायता पेटी (हेल्प बॉक्स) की शुरुआत

बच्चों के बीच आपसी सहयोग की भावनाओं का विकास हो इसके लिए सहायता पेटी (हेल्प बॉक्स) की शुरुआत की जिसमें छात्रों के द्वारा पैसा जमा किया जाता एवं उनके द्वारा ऐसे  छात्रों की मदद की जाती है, जो पाठ्य सामग्री खरीदने में असमर्थ होते है एवं स्वयं के व्यय से समय समय पर बच्चों को पाठ्य सामग्री उपलब्ध करायी जाती है।◆ कोरोना काल में किया गया कार्य

वर्तमान में कोरोना महामारी के संक्रमण को देखते हुए, विद्यालय खुलने के संबंध में अनिश्चितता है | ऐसे समय में छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों की पढ़ाई अनवरत जारी करने के लिए किया गया अभिनव पहल “पढ़ई तुंहर दुआर” कार्यक्रम किसी वरदान से कम नहीं है | इस कार्यक्रम के तहत् ऑनलाइन पढ़ाई के साथ ऑफलाइन पढ़ाई के लिए कई वैकल्पिक शिक्षा व्यवस्था की शुरूआत भी की गई है | जिसका लाभ प्रदेश के सभी बच्चें प्राप्त कर रहे हैं |
 ◆देश-विदेश मे मिला सम्मान
नेशनल ह्यूमेन वेलफेयर कॉउंसिल ने शिक्षिका अर्चना शर्मा को विभिन्न प्रकार के अवार्डों जैसे प्राइड ऑफ इंडिया, इंडियाज ग्रेट लीडर्स अवार्ड, भारत श्री, प्रेरणा, शिक्षरत्न, महिला शिखर सम्मान, अवार्ड से सम्मानित किए है। अंतर्राष्ट्रीय मंच जैसे सत्यमेव जयते यूएसए के फाउंडर ओम वर्मा जी एवं यूगांडा (अफ्रीका) आदर्श शिक्षा एवं संस्कार के संस्थापक अंतर्राष्ट्रीय समाज सेवक डॉ सोडान सिंह तरार जी द्वारा कार्यों को सराहना करते हुए सम्मानित भी किये है। राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।

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