‘तीस मार खान’ में चोरी-डकैती

डॉ. मनोज चतुर्वेदी

दर्शकों को अभी कुछ ही माह पूर्व फिल्म ‘दबंग’ देखने का अवसर मिला था। उस फिल्म में ‘लवंडा बदनाम हुआ’ के तर्ज पर ‘मुन्नी बदनाम हुयी’ गाना सुनने को मिला। ठीक इसी प्रकार फिल्म ‘तीस मार खान’ में ‘शीला की जवानी’ गाना ने अश्लीलता को किस ढंग से चित्रित किया है। इसे देखा जा सकता है। 50-70 के दशक में फिल्मों का निर्माण राष्ट्र निमार्ण के लिए होता था। लेकिन 90 के दशक ने बाजारवाद तथा भू-मंडलीकृत अर्थव्यस्था को प्रभावित किया है। अब फिल्म निर्माण पत्रकारिता की तरह मिशन, प्रोफेशन तथा कमीशन से चलते हुए व्यवसाय का रूप ले चुका है। निर्माता की सोच में ‘एक लगाओ तथा दस पाओ’ की रणनीति है। ऐसे समय में राष्ट्र निर्माण की कल्पना बेमानी है। फिर भी कुछ निर्माता/निर्देशक काम कर हीं रहे हैं। अभी-अभी प्रदर्शित फिल्म ‘आओ खेले हम जी जान से’ में देशभक्ति के जज्बे को देखा जा सकता है।

‘तीस मार खान’ एक मसाला फिल्म है जिसमें तरबेज मिर्जा खां (अक्षय कुमार) एक नामी-गिरामी चोर है। जिसके मित्रों में बरगार, सोडा तथा डॉलर नामक सहयोगी हैं। इसमें चोरनी कटरीना कैफ है जो हर अंजाम को बेहतर तरीके से करती है। दो दलों की लड़ाई होती हैं जो हीरे के चुराने के लिए तरह-तरह के कारनामें करते हैं।

अभी हास्य-व्यंग्य से ओत-प्रोत ‘ नो प्रॉब्लम’ फिल्म आयी है। ठीक ‘तीस मार खान’ फिल्म उसी फिल्म की रिमेक लगती है। फिल्म में तकनीकी व अन्य पक्षों में कसाव है। यह फिल्म दर्शकों कोमनोरंजन के लिए पूर्ण रूपेण प्रभावित करेगी। लगता है फराह खान जैसे निर्देशकों को चोरी-डकैती, फसाद, जालसाजी, हिंसा और भड़काऊ सेक्स के सिवा अन्य विषयों पर फिल्म निर्माण करने के विषय दिखाई नहीं पड़ते हैं। खैर यह जमाने की मांग हैं और सिनेमा तो समाज का दर्पण है जिसमें हम दिन-प्रतिदिन समाज जीवन में घटने वाली घटनाओं को देखते हैं।

कलाकार : अक्षय कुमार, अक्षय खन्ना, आर्य बब्बर, कटरीना कैफ वगैरह। निर्माता : टि्वंकल खन्ना, शिरीश कुंदर व रानी स्क्रू वाला। निर्देशक : फराह खान। संगीत : विशाल व शेखर। छायांकन : पी. एस. विनोद। कला : साबु सिरिल। लेखक : शिरीश व अशमित कुंदर।

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