राजनीति

मोदी के शब्द प्रभाव से बड़ी दुर्घटना टली

लखेश्वर चंद्रवंशी

Narendra Modi-Shushilkumar Modi-310यह सच है कि गत 27 अक्टूबर को नरेन्द्र मोदी की भव्य रैली के पूर्व, बिहार में पटना के रेलवे स्टेशन और रैली स्थल गांधी मैदान के आसपास कुल सात धमाके हुए जिसमें छह लोगों की मौत हो गई, जबकि 83 लोग घायल हो गए। भारतीय जनता पार्टी के बिहार इकाई के कार्यकर्ताओं ने धमाकों के बावजूद हुंकार रैली में आए लोगों को तितर-बितर नहीं होने दिया, और न ही किसी प्रकार के भय को रैली पर हावी होने दिया। यही कारण है कि मोदी के भाषण को सुनने के लिए लालायित लोग इन धमाकों के बीच बड़ी दृढ़ता से डटे रहे। मोदी को देखने के लिए पलकें बिछाए बिहार की जनता ने अपने धैर्य और अदभुत अनुशासन का परिचय दिया। धमाकों के बीच ऐसी भव्य रैली, वह भी बिना अफरातफरी के! सबकुछ अदभुत था! दुनिया देखती ही रह गई, और विरोधी पार्टियां हाथ मलते रह गए।

इधर नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में बिहार की जनता के बीच ऐसा समा बांधा, जिसे कभी भूलाया नहीं जा सकता। मोदी ने अपने भाषण में हिन्दू-मुस्लिम एकता, ईमानदारी, भारतभक्ति आदि मुद्दों को केंद्र में रखकर केंद्र सरकार और विशेषकर नीतीश कुमार की जमकर खबर ली। और बिहार की जनता को विश्वास दिलाया कि भाजपा की सरकार आने पर देश व बिहार का विकास होगा। मोदी ने चाणक्य के मूलमंत्र ‘सबको जोड़ो’ का स्मरण कराते हुए कहा कि देश को फिर जोड़ने की राजनीति करनी होगी।

जनता बड़े ध्यान से भाषण सुन रही थी और टीवी पर रैली की भव्यता को देखते लोग सोच रहे थे कि भाषण के बाद पटना में क्या होगा? सभी के मन में शंका थी कि कहीं भगदड़ न मच जाए। पर मोदी पर गहन आस्था और विश्वास रखनेवाले लाखों बिहार निवासी जनता को नरेन्द्र मोदी के एक आह्वान ने बड़ी दुर्घटना को होने से टाल दिया। मोदी ने अपने भाषण की समाप्ति के दौरान कहा कि, “मेरी एक छोटी सी प्रार्थना है। आप यहां से जाएंगे। कोई जल्दबाजी नहीं करेगा। गांव तक सलामत जाएंगे। किसी कार्यकर्ता को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। शांति से जाओगे। जल्दबाजी नहीं करोगे, और दूसरी बात, हमें शांति और एकता को बनाए रखना है। किसी भी हाल में शांति पर चोट नहीं आनी चाहिए। हिंदुस्तान में कहीं भी शांति पर चोट नहीं आनी चाहिए। ये संकल्प लेकर जाइए।”

मोदी के इस आह्वान का ऐसा असर हुआ कि लोगों ने गहन अनुशासन और धैर्य का परिचय दिया और वे अपने घरों में सुरक्षित पहुंचे। इस हुंकार रैली में यदि नरेन्द्र मोदी द्वारा अपने भाषण में इन धमाकों का जिक्र किया जाता तो शायद भगदड़ मच जाती और इससे हजारों लोगों की जान चली जातीं। पर मोदी ने स्थिति को ध्यान में रखते हुए समयोचित अपने भाषण में कहीं भी इन धमाकों का जिक्र तक नहीं किया और अंत में उन्होंने रैली में आए लोगों को शांति से घर लौटने की अपील की, जिसकी सर्वत्र प्रशंसा की जा रही है।

इधर धमाकों को लेकर राजनीति तेज हो गई। केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के अनुसार केंद्र सरकार ने नरेंद्र मोदी की पटना रैली के दौरान हमले की आशंका पर बिहार को सतर्क किया था, परन्तु बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बात से इंकार किया और कहा कि उन्हें केंद्र सरकार से रैली के दौरान किसी संभावित हमले के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली थी।

ज्ञात हो कि बिहार की राजधानी पटना में हुए इस सिलसिलेवार विस्फोटों में इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के संस्थापक सदस्यों में से एक यासीन भटकल के साथियों का हाथ माना जा रहा है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पटना से लेकर रांची तक इसकी जांच शुरू कर दी है। धमाके की साजिश के आरोप में पकड़े गए एक संदिग्ध आतंकी मोहम्मद इम्तियाज अंसारी को स्थानिक न्यायालय ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया है और ऐसा लगता है कि अतिशीघ्र अन्य अपराधियों को पकड़ लिया जाएगा।

पर चिंता की बात यह है कि पटना में इस प्रकार के आतंकी घटना को अंजाम देने की योजना क्यों बनाई गई ? ऐसा लगता है कि आतंकियों द्वारा मोदी की रैली को असफल बनाने के लिए समय, स्थान और तारीख निश्चित किया गया था। बिहार पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यह रैली आतंकवादियों के निशाने पर थी। चरमपंथियों का मकसद रैली में भगदड़ मचाना था।

आतंकियों ने अपना काम किया और रैली में आए लोगों को क्षति पहुंचाकर रैली को असफल करने का प्रयास किया। पर मोदी के आह्वान ने आतंकियों के मनसूबे पर पानी फेर दिया। भारतीय जनता पार्टी की बिहार ईकाई द्वारा आयोजित इस रैली में 7 लाख से अधिक लोग सहभागी हुए थे। आयोजन की तैयारी को देखकर इसकी भव्यता का पहले से अनुमान लगाया जा रहा था। यही कारण है कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने तैयारियों अपनी ओर से कोई कमी नहीं की। निश्चय ही भाजपा कार्यकर्ताओं की मेहनत और तैयारी ने इस हुंकार रैली को अधिक आकर्षक, भव्य और प्रशंसनीय बनाया।