कविता साहित्‍य

नारी

indianwomen हरिश्चन्द्र से पति के हाथों,बिकी शैव्या थी सतयुग में ।
निर्वासित हुई श्री राम के द्वारा , सीता त्रेता युग में ।।
छला इन्द्र ने और अहिल्या,शापित हुई निज पति के द्वारा ।
दमयन्ती भी त्यक्त हुई थी , द्यूतपराजित नल के द्वारा ।।
पंचपती न बचा सके थे, लाज द्रौपदी की द्वापर में ।

यशोधरा को सोते में ही , त्याग गए गौतम कलियुग में।।
वर्तमान का कहना ही क्या, हुई प्रताड़ित हर पल नारी ।
निज वर्चस्व दिखाते हैं  सब, संकट नारी पर है भारी ।।

शकुन्तला बहादुर