व्यंग्य

न्यू तोता-मेना लव स्टोरी

शहरीकरण के सीमेंटवन में बेवक्त चल बसे संबंधों का सांय-सांय करता श्मशानी सन्नाटा और इस सन्नाटे में मुद्रास्फीति के नाखूनों पर विदेशी-निवेश की नेलपॉलिश लगाए बैठी मिस मंहगाई अपने प्रेमी के इंतजार में बैठी समय काटने के लिए अपने ही नाथून चबा रही है। अचानक ट्रेफिक जाम के चक्रब्यूह को पार कर के छलांग लगाता हुआ जींस-शर्ट में सुशोभित उसका भूमिगत प्रेमी खर्चा उसके सामने मुस्कराता हुआ खड़ा हो जाता है। मिस मंहगाई ने पता नहीं किस शेरनी का दूध पिया है कि जलूस,धरने और बड़ी-से-बड़ी रेलियों और महारैलियों से इसे कतई डर नहीं लगता। खर्चे को आने में थोड़ी देर हो गई थी। इसलिए मिस मंहगाई का मूड अर्थ-व्यवस्था की तरह थोड़ा उखड़ा हुआ था। उसने नॉनस्टाप झिड़कना शुरू किया और एक आदर्श प्रेमी की तरह सिर झुकाए खर्चा शास्त्रीय नाराजगी से ओतप्रोत मिस मंहगाई का प्रवचन सुपर-डुपर विनम्रताभाव से सुनता रहा। खर्चे की ये प्राचीनतम आदत है। जब भी गुस्से के चेनल से कहीं झगड़े का लाइव टेलीकास्ट होता है तो वह बड़ी तसल्ली से खामोशी का चुइंगम चबाता हुआ इसके मज़े लेता है। शायद उसे खानदानी हस्बैंड कॉंप्लेक्स है। यूं भी अच्छे नस्ल का कोई भी पति झगड़ालू क्षणों में पत्नी के न मुंह लगता है और न मुंह लगाता है। फिर यह बेचारा तो अभी हंसबैंडशिप के अंडर ट्रायल पीरियड में ही चल रहा है। वह मंहगाई का मूड बदलने के लिए कहता है- डॉर्लिंग याद है कभी इस देश को लोग सोने की चिड़िया कहा करते थे। आज भ्रष्टाचार के पिंजरे में कैद है वो घायल चिड़िया। बजट के बाज ने एक-एक करके उसके सारे पंख नोंच डाले हैं। हूं….. मुझे किसी चिड़िया से क्या लेना-देना। मैं तो आज भी सोना बाथ ही लेती हूं। बल खाती हुई मंहगाई बोली। देखो मेरी रेशमी त्वचा में गोरेपन का निखार। कितना फेयर एंड लवली है। सब सोना बाथ का ही तो कमाल है। गोरे इस देश से जाते-जाते गोरापन मुझे ही तो गिफ्ट में दे गए हैं। नेता,अफसर,कारोबारी सभी मेरे इस गोरेपन के लस्कारे पर फिदा हैं। मुझे नज़र न लग जाए इसलिए हर कोई कालेधन का डिठोना मुझे लगाने को लपलपाता रहता है। यूं भी अगर खानदान वजनदार हो तो उसकी इज्जत सब जगह होती है। तुम तो जानते ही हो कि विश्वबैंक मेरा मायका है। इसलिए ही तो सब मेरी इज्जत करते हैं। मंहगाई ने अभद्र सज्जनता के साथ अपना गुणगान किया। वो सब तो ठीक है मगर मैं देख रहा कि एक मुस्टंडा चौबीस घंटे साये की तरह तुम्हारे पीछे लगा रहता है। कौन है वो टपोरी। और तुमने उसे इतना सिर क्यों चढ़ाया हुआ है। मंहगाई ठुनकते हुए बोली- अरे वो..वो तो मेरा बॉडीगार्ड है-भ्रष्टाचार। जबतक वो मेरे साथ है मुझे कोई छू भी नहीं सकता। कई बार दिलजलों और सिरफरों ने मेरे रास्ते में आरोप-प्रत्यारोप और जांच के कांटे बिछाए मगर हर बार मेरा ये गबरू बॉडीगार्ड मुझे सुरक्षित निकाल लाया। अरे मैं-तो-मैं अपनी सरकार भी उसकी बहादुरी पर फिदा है। सुना है सरकार उसे इस बार बहादुरी का मेडल भी देने जा रही है। क्यों नहीं दे। जब भी सरकार मुश्किल की हॉट सीट पर बैठती है मेरा ये हेंडसम बॉडीगार्ड ही तो सरकार के लिए लाइफ-लाइन साबित होता है। सदाबहार….भ्रष्टाचार। भ्रष्टाचार का हाथ हमेशा सरकार के साथ। आज की सियासत का यही महा-मेगा-मंत्र है। पर मेरे डियरेस्टतम मजनू तुम को टेंशन नहीं लेने का। तुम को हम दिल से लाइक करता है। मैं बढ़ूंगी तो तुम भी बढ़ोगे। हमारा-तुम्हारा सात जनम पुराना लफड़ा है। आज भी है और कल भी रहेगा। तू मेरा तोता.. मैं तेरी मेना..बोलो है ना। हमारे-तुम्हारे मिलन पर ये मवाली जनता हमें ताड़ती है। अपुन का मूड बिगाड़ती है। मगर सरकार का बड़प्पन देखो वो ऐसे रंगीन-हसीन सीन पर मस्त-मस्त होकर अपनी आंखें बंद कर लेती है। ठीक वैसे ही जैसे मुहल्ले में डकैती पड़ने पर पड़ोसी तो जाग जाते हैं मगर थानेवाले फटाफट सो जाते हैं। बड़े लोग कभी ओछी बातों में नहीं उलझते। सरकार के लोग सचमुच बहुत बड़े हैं। इनके कारण ही तो हम दोनों आजतक जिंदा खड़े हैं वरना पब्लिक तो कभी का ऑनर किलिंग के नाम पर अपुन को खल्लास कर चुकी होती। सरकार का सिर पर हाथ और कमर में एक-दूसरे का हाथ लिए मंहगाई और खर्चमण्यम् राजधानी की एक पांचसितारा बार में प्रवेश कर गए। ब़ॉडीगार्ड भ्रष्टाचार ऑन ड्यूटी अपनी निजी चुस्ती-फुर्ती के साथ गेट पर हमेशा की तरह तैनात हो गया।