कविता

नव उल्लास लिए नववर्ष के रंग..

भावनाओं का समुंद्र

आकांक्षाओं की नाव,

मस्ती के हिचकोले

प्रेम की पाठशाला।

उम्मीदों के लहराते पंख,

बिजली की चमक,

विश्वास का समर्पण,

चाहत का उजियारा।

फूलों की डगर,

भंवरों की हंसी ठिठोली,

खिलखिलाती कलियां,

सूदूर जगमगाता अंबर|

हंसती गाती रहे यारों की टोली,

भरी रहे खुशियों की झोली,

नव उल्लास लिए नववर्ष के रंग,

नाचें गाएं आओ ‘नवीन’ के संग|