कविता

तेरे आगोश में ऐ चांद !

हमारे चंद्रयान-3 मिशन ने

चखी है थोड़ी सी शीतल मिट्टी

तिलक किया है

चंदा मामा की पवित्र माटी को

फहराया है तिरंगा प्यारा 

आजादी की इस अमृत वेला में 

चांद का

किया है दीदार बिल्कुल नजदीक से

जो चरखा कात रही थी बूढ़ी अम्मा

युगों युगों से

दी है थोड़ी सी धार

उस चरखे के कच्चे मखमली सीलन भरे धागों को

मानवजाति

अब इन कच्चे धागों से

बनाएगी

मखमली सेज

इस मखमली सेज से सजदे में है

सारा हिंदुस्तान

चंदा मामा तुझसे मिलने को न जाने कितनी

सदियों तक तरसे हैं हम

सिर्फ दादी-नानी संग मिल-बैठ

तुम्हारी कहानियां सुनकर

सोये हैं तेरे आगोश में 

स्वप्नों में बुनीं हैं

तुम्हारी अनेकानेक तस्वीरें 

लेकिन 

अब तेरी पावन धरा पर बैठ

हम सुनेंगे

पृथ्वी की भी कहानी

क्यों कि पृथ्वी की कहानी शायद

आज तलक तुमसे ऐ चंदा मामा

किसी ने भी साझा नहीं की होगी

बतायेंगे तुम्हें सारा हाल-चाल

बस आप चंदा मामा

अपना आशीर्वाद हाथ

हमारे साथ बनाये रखना….!

सुनील कुमार महला