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आरती श्री भागवत भगवान की।
वेदव्यास जी रचित महा पुराण की।।
श्री कृष्णा जी का ही यह है विग्रह।
सब संतन भक्तों का है यह अनुग्रह।।
ऐसी अध्भुत परम विज्ञानं की।
आरती श्री भागवत भगवान की।।
सत्रह पुराण रचित व्यास उदास थे।
नारद जी के वह गए पास थे।।
बोले महर्षि से बात निज भान की।
आरती श्री भागवत भगवान की।।
मेरे मन में नहीं आनंद मिला है।
प्रभु प्रेम का नहीं पुष्प खिला है।।
कथा तब सुनाई सचिदानंद ज्ञान की।
आरती श्री भागवत भगवान की।।
प्रभु लीलाओं का सुमिरन कीजे।
भक्त संतों का वर्णन कीजे।।
मिट जाएगी सब तपन प्राण की।
आरती श्री भागवत भगवान की।।
व्यास जी ने हरी का ध्यान लगाय।
चित में परम आनंद था छाय।।
रचना की थी अठारवे पुराण की।
आरती श्री भागवत भगवान की।।
दोहा :
वासुदेव सूत देवकी का है लाला।
यसुदा छैया नन्द गोपाला।।
(यसुदा छैया गिरधर गोपाला )
वासुदेव सूत देवकी का है जाया ।
यसुदा छैया नन्द नंदन कहलाया ।।