संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर मोदी ने कॉंग्रेस की बखिया उधेड़ी

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विजय सहगल    

संविधान की 75वी  वर्षगाँठ पर विशेष चर्चा की शुरुआत पर जहां बायनाड  से सांसद कॉंग्रेस की प्रियंका गांधी, लोकसभा मे अपने प्रथम सम्बोधन मे कोई विशेष प्रभाव नहीं छोड़ सकी लेकिन इस अवसर पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शांत, और संयमित शुरुआत करते हुए अपना  आक्रामक रुख अख़्तियार करते हुए कॉंग्रेस द्वारा स्वतन्त्रता के बाद से संविधान मे अनेकों संशोधनों  के साथ, छेड़-छाड़ और मन मुताविक बदलाव पर कॉंग्रेस और नेहरू परिवार की बखिया उधेड़ कर उनके कारनामों का कच्चा चिट्ठा खोल दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा मे सम्बोधन को सुनकर, जहां सत्ता पक्ष के लोगो ने मेजे थपथपाते हुए अपनी खुशी जाहिर की, वही कॉंग्रेस के सदस्यों सहित राहुल गांधी बगले झाँकते नज़र आये।

14 दिसंबर 2024 को संविधान पर विशेष चर्चा का समापन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां एक ओर सभी देश वासियों के लिये ही नहीं अपितु विश्व के सभी लोकतान्त्रिक नागरिकों के लिये उत्सव का दिन करार दिया। संविधान निर्माताओं के योगदान की सराहना की। एक घंटे छप्पन मिनिट के अपने भाषण मे नरेंद्र मोदी ने विभिन्न सदस्यों द्वारा अपने विचार प्रकट करने पर धन्यवाद ज्ञपित किया। देश के कोटि कोटि नागरिकों को बधाई देते हुए भारत के लोकतन्त्र को विश्व की के लोकतंत्र की जननी बताया। मोदी ने राजर्षि पुरषोत्तम दास टंडन, डॉ राधा कृष्णन, बाबा साहब अंबेडकर, जो संविधान सभा के सदस्य थे, के कथनों को  उद्धृत करते हुए कहा कि  भारत भूमि मे लोकतन्त्र हमारे संस्कार और सांस्कृति मे हजारों वर्षों से है। अपनी उपलब्धियों पर चर्चा करते हुए उन्होने  महिला शक्ति के देश के हर क्षेत्र मे योगदान का उल्लेख करते हुए नारी शक्ति वंदन अधिनियम को लाकर महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की, आज भारत की महिला राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मु  के निर्वाचन को सुखद संयोग बतलाया। भारत को विश्व की तीसरी आर्थिक ताकत का उल्लेख करते हुए संविधान की 100वी वर्षगांठ पर भारत को विकशित राष्ट्र का संकल्प दोहराया।

मोदी ने देश की विभिदता मे एकता की  मुख्य  भावना  को संविधान की मूल भावना बताया। धारा 370 एवं 35ए भारत की एकता मे मुख्य रुकावट थी जिसे समाप्त कर उनकी सरकार ने देश की एकता को अपनी प्राथमिकता बतलाया। देश के आर्थिक विकास के लिये एक देश एक टैक्स के रूप मे जीएसटी को लागू किया। एक देश एक राशन कार्ड के माध्यम से अपनी जीविका के देश के विभिन्न क्षेत्रों मे जा रहे  गरीबी रेखा के लोगो को कहीं भी राशन की सुविधा संविधान ने सुलभ कराई। इसी तरह आयुष्मान कार्ड के माध्यम से एक देश एक हेल्थ कार्ड की योजना से गरीबी रेखा के नीचे के परिवार को देश मे कहीं भी इलाज की सुविधा संविधान मे उपलब्ध हुई। मोदी ने अपनी सरकार की उपलब्धियों मे विजली के लिये एक देश एक ग्रिड, डिजिटल पेमेंट, गाँव गाँव तक ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से इंटरनेट, नयी शिक्षा नीति के माध्यम से मातृ भाषा को बढ़ावा, काशी तमिल संगमम, तेलगु संगमम के माध्यम से देश की एकता मजबूत करने के सार्थक प्रयास बतलाए।

प्रधानमंत्री मोदी ने अफसोस जताते हुए उल्लेख किया कि जब देश संविधान की 25वीं वर्षगांठ मना रहा था तब कॉंग्रेस ने 1975 मे आपातकाल लगा कर देश के संविधान का  गला घौंटने की नाकामयाब कोशिश की। संवैधानिक व्यवस्थाओं को समाप्त करने का कुत्सित प्रयास किया।  विरोधियों को गिरफ्तार कर देश को जेलखाना बनाया गया। नागरिकों के अधिकारों और प्रेस के स्वतन्त्रता को समाप्त करने के घिनौनी कोशिश इन्दिरा गांधी ने की। उन्होने कॉंग्रेस के इस पाप को उसके माथे का कलंक बतलाया जो धुलने वाला नहीं। भारत के संविधान निर्माताओं के प्रयासों को आपातकाल मे मिट्टी मे मिलाने की कोशिश की गयी। वहीं दूसरी ओर भाजपा  की अटल सरकार ने संविधान की 50वीं वर्षगांठ को सारे देश मे एकता, जनभागीदारी, सांझेदारी का संदेश दिया था। उन्होने बताया कि उनकी पार्टी ने गुजरात मे  संविधान की 60वीं सालगिरह पर देश मे पहली बार संविधान की प्रति को हाथी की पालकी मे रख स्वयं मुख्यमंत्री के नाते हाथी के बगल मे पैदल चल कर संविधान के महात्म्य को जनसाधारण के सामने प्रदर्शित किया। संविधान की शक्ति का सामर्थ्य बतलाते हुए उन्होने उन जैसे साधारण व्यक्ति को देश का सबसे बड़ा उत्तरदायित्व एक, दो बार नहीं तीसरी बार देकर उनके  स्नेह, आशीर्वाद को सराहा।

संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर आये उतार चढ़ाव का उल्लेख करते हुए मोदी ने इस यात्रा मे कॉंग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने मे कोई कोर कसर न छोड़ने के तथ्यों पर प्रकाश डाला ताकि नयी पीढ़ी भी इन तथ्यों से अवगत हो सके। उन्होने इन 75 वर्षों मे इस परिवार के 55 वर्षों की कुविचार, कुरीति और कुनीति की लगातार चल रही परंपरा का उल्लेख करते हुए इस परिवार द्वारा संविधान को दी गयी चुनौतियों का उल्लेख किया। 1947 से 1952 तक जब कोई निर्वाचित सरकार नहीं थी, एक अस्थाई, तदर्थ सरकार थी। नेहरू की अन्तरिम सरकार ने 1951 मे एक अधिनियम के माध्यम से अभिव्यक्ति की आजादी पर कुठराघात किया। ये संविधान निर्माताओं का अपमान था। इसी दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा कि यदि संविधान उनके रास्ते के बीच मे आ जाय तो हर हाल मे संविधान मे परिवर्तन करना चाहिये!! इतना ही नहीं तब के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, आचार्य कृपलानी और जय प्रकाश नारायण की इस विषय पर स्पष्ट चेतावनी को नेहरू ने दर किनार कर दिया। संविधान संशोधन का खून कॉंग्रेस के मुंह मे ऐसा लगा कि कॉंग्रेस ने अपने लगभग छह दशक के कार्यकाल मे 75 बार संविधान संशोधन किया। 1971 मे कॉंग्रेस की इन्दिरा गांधी के कार्यकाल मे संविधान मे किए संशोधन के अनुसार  कानून मे किसी भी बदलाव पर न्याय पालिका उसमे हस्तक्षेप नहीं कर सकती थी। ये न्यायपालिका के क्षेत्र मे सीधा हस्तक्षेप था जो संविधान मे प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन था, मूल भावना के विरुद्ध था।

1975 मे तब की प्रधानमंत्री ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश पर उनके चुनाव को अवैध बतलाते हुए असंवैधानिक बताया तब उन्होने अपनी कुर्सी बचाने के लिये देश मे  आपात काल लगा दिया और लाखो राजनैतिक विरोधियों को जेल मे डाल दिया। 1975 मे मे ही  39वे संविधान संशोधन के माध्यम से कॉंग्रेस की तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, अध्यक्ष के पदों पर निर्वाचन के विरुद्ध किसी भी सक्षम न्यायालय मे जाने से ही रोक लगा दी, विडंवना ये थी कि इस कानून को पिछली तारीख से प्रभावी बनाया। ये इन्दिरा गांधी द्वारा अपनी सत्ता और निजी स्वार्थ के लिये संविधान का मखौल उड़ाने जैसा था। उनके लिये सरकार के प्रति वफादार न्यायपालिका की संकल्पना उनकी रीति और नीति थी। यही कारण था कि सुप्रीम कोर्ट मे इन्दिरा गांधी के विरुद्ध निर्णय देने वाले न्यायाधीश एच आर खन्ना की  वरिष्ठता को अनदेखा कर  उनसे जूनियर न्यायाधीश को सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया। मोदी यहीं नहीं रुके, उन्होने राजीव गांधी के  एक मुस्लिम तलाक़शुदा वृद्ध महिला शहबानों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्राप्त हुए चंद रुपए के गुजारा भत्ता देने के निर्णय को एक अधिनियम के माध्यम से पलट कर मुस्लिम कट्टर पंथियों के सामने घुटने टेक कर वोट बैंक की खातिर तुष्टि करण नीति को बढ़ावा दिया। ये संविधान की आत्मा पर एक और घिनौनी चोट थी।

श्रीमती सोनिया गांधी पर हमले के तहत अपरोक्ष रूप से उन्होने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन के उस कथन  को उद्धृत किया जिसमे उन्होने स्वीकार किया कि पार्टी अध्यक्ष सत्ता का केंद्र है, सरकार पार्टी के प्रति जबावदेह है!! ये कथन हतप्रभ करने वाला था कि कैसे पीएमओ के उपर एक गैर संवैधानिक राष्ट्रीय सलाहकार परिषद को बैठा दिया। मोदी ने नेहरू परिवार की चौथी पीढ़ी पर संविधान का मखौल उड़ाने का आरोप लगते हुए कहा कि भारत की जनता द्वारा चुनी गयी सरकार के मंत्रिपरिषद द्वारा सर्वसम्मति से लिये गए निर्णय को एक अहंकारी व्यक्ति ने मत्रिमंडल के निर्णय को पत्रकारों के सामने फाड़ कर कचरे के डिब्बे मे फेंक दिया। दुर्भाग्य ये कि मंत्रिपरिषद ने भी उस अहंकारी व्यक्ति द्वारा फाड़े गए निर्णय को बापस ले लिया। कॉंग्रेस ने सदा संविधान की अवमानना की, संविधान के महत्व को कम किया। उन्होने आरक्षण, एकसमान नागरिक संहिता पर भी प्रकाश डाला और उसके महत्व का उल्लेख किया। मोदी ने कॉंग्रेस पर आरोप लगते हुए कहा कि जो पार्टी अपने संविधान को नहीं मानती वो देश के संविधान को क्यों और कैसे मानेगी।

विजय सहगल 

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