राजनीति

विविध आयामों में उभरते भारत की तस्वीर 

डॉ. सुधाकर कुमार मिश्रा 

20वीं सदीं को ‘ अमेरिकी सदीं ‘ कहा जाता हैं, उसी प्रकार ‘ 21वीं सदीं को भारत की सदीं ‘ कहा जाता है। भारत वैश्विक इतिहास में ‘ सोने की चिड़िया’ के नाम से जाना जाता था । इसी के सापेक्ष 21वीं सदीं में भारत का महत्व सामाजिक  क्षेत्रों ,आर्थिक क्षेत्रों ,राजनीतिक क्षेत्रों एवं अन्य विविध क्षेत्रों में उन्नयन कर रहा है। भारत विविध आयामों में बढ़त बना रहा है. इस तरह वास्तव में 21वीं सदीं भारत की  सदीं होने जा रही है।

भारत का मौलिक आभार उदारवाद, लोकतांत्रिक समाजवाद के सिद्धांत, अंतर्राष्ट्रीयवाद, क्षेत्रीय संप्रभुता का सम्मान, राष्ट्रों के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप ना करने की नीति, वैश्विक स्तर पर राष्ट्र- राज्यों का समादर करना एवं क्षेत्रीय स्तर पर पड़ोसियों को सामान समभाव से देखना है। भारत की विचारधारा’ वेदांत के भारतीय दर्शन के सार तत्व पर आधारित’ ,आध्यात्मिक मूल्यों को समाहित करना एवं वैज्ञानिक प्रत्यय के आधार पर समाज एवं राष्ट्र के मूल्यों एवं आदर्शों की परख करना है। भारत वैश्विक स्तर के ‘ शक्ति संरचना  प्रतिदर्श ‘ के लिए ‘ गुटनिरपेक्षता की नीति’ का समर्थक रहा  हैं जिससे किसी राष्ट्र – राज्य के ‘ दबाव कारक’ से मुक्त रहें। वर्तमान सरकार के शासकीय कार्यों की उपादेयता के कारण, शासकीय व्यवस्था में स्थिरता के कारण, शासकीय निकायों में पारदर्शिता के द्वारा  मजबूत अर्थव्यवस्था की गतिशीलता को बनाए रखने के कारण निवेशकों के लिए भारत ‘ पसंदीदा गंतव्य’ बन चुका है।

यूपीआई भारतीय प्रौद्योगिकी की अभिनव देन है जिसने डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में वैश्विक बदलाव ला दिया है। यह वैश्विक स्तर का सबसे तेज एवं सबसे अधिक अनुप्रयोग किए जाने वाली ‘ वास्तविक समय भुगतान प्रणाली’ हो चुकी है। वैश्विक स्तर पर होने वाले भुगतान का 50% भारत में यूपीआई के द्वारा होता है। 30 जून, 2025 तक यूपीआई पर 18.39अरब डॉलर  से अधिक लेन- देन हुए, जिसका कुल मूल्य 24 लाख  करोड़ रुपए से अधिक रहा है। यूपीआई प्रत्येक दिन 64 करोड़ से अधिक रुपए का भुगतान करता है जो  वीजा(VISA )  के दैनिक भुगतान से अधिक है। भारत में डिजिटल भुगतान का 89% यूपीआई के माध्यम से होता है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष( आईएमएफ) ने  यूपीआई को वैश्विक स्तर की सबसे तेज एवं उन्नत भुगतान प्रणाली के रूप में मान्यता दी है। यूपीआई तीव्र व उन्नत प्रौद्योगिकी के माध्यम से विश्व के  सात देशों तक पहुंच चुका है जिसमें सिंगापुर ,भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस ,मॉरीशस एवं  यूएई देश शामिल है।

 भारत विश्व का वृहद लोकतंत्र है, एवं यह “लोकतंत्र की जननी” होने का गौरव प्राप्त किया है। भारत की आबादी 140 करोड़ है. इस आबादी के लिए ऊर्जा अति महत्वपूर्ण है। अक्षय ऊर्जा के उत्पादन में  तीव्र वृद्धि हुई है एवं देश  इस क्षेत्र में अग्रणी उत्पादक हो चुका है। भारत की अक्षय ऊर्जा मार्च 2014 में 76.37 गीगावॉट थी, जो जून, 2025 तक 226.79 गीगावॉट हो चुकी है। भारत की ऊर्जा क्षमता में ‘ तीन गुना’ वृद्धि हुई है। इस ऊर्जा क्षमता में सौर ऊर्जा क्षमता 110.9 गीगावॉट ,पवन ऊर्जा की 1.3 गीगावॉट एवं अन्य अक्षय स्रोतों की भी महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है। 2025 की पहली छमाही में भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन में 25% एवं पवन ऊर्जा उत्पादन में 29% की वृद्धि दर्ज की है। अक्षय ऊर्जा का कुल बिजली उत्पादन में हिस्सा 22.2%  हो गया है। अक्षय ऊर्जा क्षमता में भारत वैश्विक स्तर पर चौथे स्थान पर है, पवन ऊर्जा में चौथा एवं सौर ऊर्जा में तीसरा है। भारत में 2030 के लिए 500 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य रखा था जिसे 2025 में ही आधा पूरा कर लिया है।

 भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। यह जापान एवं विकसित अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़कर वैश्विक स्तर की’ चौथी अर्थव्यवस्था’ हो चुका है। शासकीय व्यवस्था के समग्र पहल से निरंतर सुधार एवं आर्थिक मजबूती के चलते भारत 2030 तक  विश्व की ‘ तीसरी आर्थिक महाशक्ति’ बनने की ओर अग्रसर है। यह प्रगति भारत की मजबूत जीडीपी वृद्धि, बड़े घरेलू बाजार, युवा जनसंख्या एवं संरचनात्मक सुधारो के द्वारा संभव हो रही है। सरकार की नीतियों, संघीय सरकार के आर्थिक सुधारो ,डिजिटलाइजेशन एवं आत्मनिर्भर भारत के पहल से आर्थिक विकास को मजबूती मिली है। यह सकारात्मक पहल निवेश, नवाचार, नवोन्मेष  एवं रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण कारक हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, अगले 5 वर्षों के दौरान भारत का विकास दर लगभग लगभग 6.3% रहने की उम्मीद है। रेटिंग अभिकरण S&P ने भी अनुमान लगाया है कि जीडीपी में यह  समृद्धि जारी रहती है तो 2030 में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिकी (अर्थव्यवस्था) बन जाएगा। भारत की जीडीपी 2025 – 26 में लगभग 7.8% की उच्च वृद्धि दर पर रहने की उम्मीद है। इस मजबूत वृद्धि का श्रेय सेवा क्षेत्र, निर्माण, विनिर्माण व कृषि जैसे क्षेत्रों में उच्च प्रदर्शन को जाता है।

वर्ष 2025 तक भारत की चिकित्सा सेवा में व्यापक सुधार एवं विस्तार हुआ है।  मेडिकल मेडिकल की संख्या 387 से बढ़कर 808 हो गई हैं जिससे स्नातक स्तर की सीटों में 141% एवं स्नातकोत्तर मेडिकल सीटों की संख्या में 144%  की सीटों में वृद्धि हुई है। भारत ‘ मेडिकल टूरिज्म’ में विश्व में प्रमुख गंतव्य बन चुका है। विदेश में इलाज के लिए जाने वाले भारतीयों की संख्या एक मिलियन हो गई है जबकि बेहतर चिकित्सा के लिए 2 मिलियन विदेशी मरीज आ रहे हैं। इस वृद्धि के पीछे भारत में सस्ती एवं अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधा, विशेषज्ञ चिकित्सकों  की उपलब्धता एवं बेहतर स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास है। भारत ने मेडिकल टूरिज्म में विश्व के शीर्ष देशों  में स्थान दर्ज किया है।

भारत वैश्विक स्तर पर दवा उत्पादन के मामले में तीसरे सबसे बड़े देश के रूप में स्थापित है। यह दुनिया की कुल ‘ जेनेरिक दवाओं’ का लगभग 20% उत्पादन करता है और लगभग हर तीसरी दवा दुनिया को भारत से मिलती है । भारत का ‘ जेनेरिक दवाओं’ का उद्योग वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत ‘ जेनेरिक दवाओं’ के उत्पादन एवं निर्यात में वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण उपादेयता है। भारत की दवाएं उच्च गुणवत्ता वाली होने के साथ-साथ सस्ती भी होती हैं जो खास तौर पर कम विकासशील एवं विकासशील देशों के लोगों के लिए ‘ जीवनरक्षक ‘ साबित हुई है।

भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ‘ यूनिकॉर्न देश ‘ है । भारत स्टार्टअप एवं नवोन्मेष के मामले में संयुक्त राज्य अमेरिका एवं चीन के पश्चात ‘ तीसरे स्थान’ पर है। सरकार ने 2016 में ‘ स्टार्टअप इंडिया’ पहल शुरू किया था, जिसने स्टार्टअप के लिए कई सुधार, वित्त प्रबंधन, क्रियाशीलता एवं आसान व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए लागू किया। इन  पहलों के कारण 2023 तक भारत में’ स्टार्टअप’ की संख्या 90 000 से अधिक हो चुकी   है। 2025 तक स्टार्टअप की संख्या बढ़कर 1.59 लाख हो गई है । भारत 2025 तक 118 यूनिकॉर्न पैदा कर संसार में सबसे बड़ा’ यूनिकॉर्न देश’ बन गया है। भारत के ‘ स्टार्टअप इकोसिस्टम’ ने डिजिटल इंडिया, आधार, यूपीआई जैसे डिजिटल नवोन्मेष के माध्यम से एक सशक्त आधार बनाया है, जो वैश्विक बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा कर रहा है।

                                   वैश्विक स्तर पर भारत हर क्षेत्र में उभरती शक्ति है. इस ने आर्थिक क्षेत्र ,ऊर्जा के क्षेत्र एवं स्टार्टअप क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार किया है। भारत अपने शासकीय उपादेयता एवं राजनीतिक स्थिरता के कारण ‘ वैश्विक स्तर का महत्वपूर्ण गंतव्य’ होता जा रहा है। इन  उपादेयता से वैश्विक स्तर के निवेशक भारत में निवेश के लिए उत्सुक हैं। सरकार के सकारात्मक पहल से यूपीआई भारतीय प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आमूल- चूल बदलाव कर रहा है। इसके कारण भारत भुगतान के क्षेत्र में ‘ वैश्विक मंच ‘ बन चुका है। ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण      ‘ आत्मनिर्भर भारत ‘ बनने की ओर अग्रसर है । भारत अपनी नीतियों में सुधार करके तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक हो चुका है। वैश्विक स्तर पर भारत स्थिर एवं उच्च वृद्धि वाला अर्थव्यवस्था बन चुका है। विकसित अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़कर यह विश्व की ‘ चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था’ हो चुका है। यह  अन्य क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय वृद्धि कर रहा है। वैश्विक स्तर पर यह विकासशील देशों का नेतृत्व कर रहा है। बदलते परिवेश में भारत को विश्व के नेतृत्व गंभीरता से ले रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय संगठनों एवं वैश्विक मंचों पर उभरता भारत मानव कल्याण के लिए उपयुक्त एवं सशक्त मंच हो चुका है जो ‘विश्व गुरु’ एवं ‘ विकसित भारत ‘ की अवधारणा को निश्चित प्राप्त करेगा।

डॉ. सुधाकर कुमार मिश्रा 

सहायक आचार्य एवं राजनीतिक विश्लेषक