कविता

कविता – कितना अच्छा होता

कितना अच्छा होता कि

हवा अपनी ही दुनिया में बहती

न वह आँधी का रुप लेती

न ही कोई घर बेघर हो पाता ।

 

कितना अच्छा होता कि

नदी अपने में शांत बहती

न बाढ़ का रुप धरती

न किसी को अनाथ होना होता ।

 

कितना अच्छा होता कि

धरती अपने में मस्त रहती

न वह कभी भी हिलती

न भयानक भूकम्प हमें झेलना पड़ता ।

 

कितना अच्छा होता कि

लोग अपनी ही दुनिया में रहते

न किसी को टंगड़ी मारते

न किसी के फटे में टांग अड़ाते ।

 

कितना अच्छा होता कि

अच्छा हमेशा अच्छा होता

यही बात तो नहीं होती है

और अघटित हमें झेलना पड़ता है ।

 

मोतीलालchild-in-a-trolley