कविता

कविता : धिक्कार

विभूति राय प्रकरण की नजर एक छोटी सी कविता

-लीना

धिक्कार

थू- थू की हमने

थू- थू की तुमने

जिसे मिला मौका

गाली दी उसने

ऐसे संस्कारहीनों को

हटाओ

नजर से गिराओ।

पर धिक्कारते धिक्कारते

भूल गए हम

अपनी भी धिक्कार में

वैसी ही भाषा है

वैसे ही संस्कार

जिसके लिए तब से

उगल रहे थे अंगार।।