कविता

कविता/की जब मैंने दुख से प्रीत

कल क्या होगा, इस चिंता में

रात गई आँखों में बीत।

होठों पर आने से पहले,

सुख का प्याला गया रीत।

आशाओं का दीप जला

ढूँढा, न मिला जीवन संगीत।

किस्मत भी जब हुई पराई,

फूट पडा अधरों से गीत।

साथी सुख तन्हा छोड़ गया जब,

दर्द मिला बन मन का मीत।

हर सुख से खुद को ऊपर पाया,

की जब मैंने दुख से प्रीत।

की जब मैंने दुख से प्रीत।!

– डा0 सीमा अग्रवाल