प्रभु से प्रार्थना

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कर दी बड़ी बर्बादी,देश हुआ बड़ा बेहाल।
कोरोना के जाल से प्रभु हमको निकाल।।

चुनाव की रैलियां रोज है होती,
भीड़ बिन मास्क इकठ्ठा है होती।
नेता सभी सत्ता के लालची हो गए,
कोरोना नियम सब बेकार हो गए।
चलते है सब नेता अपनी ही चाल,
नेताओ के जाल प्रभु हमे निकाल।
कोरोना के श्राप से प्रभु हमे निकाल।।

नेता सभी सत्ता के हो गए हैं गुलाम,
भ्रष्टाचार का हाथ लिए इन्होंने थाम।
वादा जो करते कभी पूरा नहीं करते,
चुनाव के बाद कभी मुड़ा नही करते।
भोली जनता को इन्होंने कर दिया है कंगाल।
प्रभु हमे इन नेताओ के जाल से हमे निकाल।।

पहले तो नेताओ ने लॉक डाउन है लगाया,
फिर लाखों लोगों को भी पैदल है चलाया।
कितने दुकानदारों के बंद हो गए है धंधे,
निकले अपने घरों से पड़े थे उन्हें डंडे।
फिर भी नही सुधरा हमारे देश का हाल।
प्रभु अब इन आफतो से हमको निकाल।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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