सबरीमालाः नेताओं का भौंदूपन

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

नए सर्वोच्च न्यायाधीश रंजन गोगोई को मेरी बधाई कि उन्होंने सबरीमाला मंदिर के मामले में लगाई गई याचिकाओं को तत्काल सुनने से मना कर दिया है। ये याचिकाएं इसलिए लगाई गई थीं कि 18 अक्तूबर से केरल के इस मंदिर में हर उम्र की महिलाओं का प्रवेश प्रारंभ होनेवाला है। सभी महिलाओं के प्रवेश का फैसला सर्वोच्च न्यायालय ने 28 सितंबर को किया था। इन याचिकाओं को यदि तुरंत सुन लिया जाता तो याचिकाकर्ताओं को आशा थी कि शायद रजस्वला स्त्रियों का मंदिर-प्रवेश स्थगित हो जाता। लेकिन केरल की मार्क्सवादी  सरकार के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने यह घोषणा कर दी है कि वे अदालत के फैसले को लागू करके रहेंगे। अभी तक सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश पर रोक है, क्योंकि वे रजस्वला हो सकती हैं। यह रुढ़ि कितने अंधविश्वास और दुराग्रह पर आधारित है, यह हम पहले लिख ही चुके हैं लेकिन इस विषय पर दुबारा इसीलिए लिख रहे हैं कि इस मामले में हमारे प्रमुख राजनीतिक दलों का रवैया कितना कायराना है। ज्यों ही यह फैसला आया था, भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने इसका स्वागत किया था लेकिन अब ये दल ही केरल के हिंदू वोट हथियाने के लिए नायर-समाज को उकसा रहे हैं। अदालत के फैसले के विरुद्ध वे महिलाअेां के प्रदर्शनों का समर्थन कर रहे हैं। केरल की मार्क्सवादी सरकार के विरुद्ध उन्हें यह हथियार हाथ लग गया है। वे कहते हैं कि मार्क्सवादी तो नास्तिक होते हैं। वे आयप्पा के नैष्ठिक ब्रह्मचर्य को कैसे समझेंगे ? वे लोग यह नहीं समझा पा रहे कि किसी रजस्वला स्त्री को देखते ही उस नैष्ठिक ब्रह्मचारी का ब्रह्मचर्य कैसे भंग हो सकता है ? और फिर वह तो सिर्फ पत्थर की मूर्ति है। मुख्यमंत्री विजयन ने इस मांग को रद्द कर दिया है कि केरल सरकार इस फैसले पर पुनर्विचार की याचिका अपनी तरफ से अदालत में लगाए। अब केरल की भाजपा पांच दिन की ‘सबरीमाला बचाओ’ यात्रा निकाल रही है। केरल कांग्रेस अपने ढंग से इस पाखंड का समर्थन कर रही है, क्योंकि इन दोनों पार्टियों का लक्ष्य एक ही है। इन दोनों पार्टियों के केंद्रीय नेता भौंदुओं की तरह बगलें झांक रहे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress