राष्ट्रीय पोषण सप्ताह (1-7 सितम्बर) पर विशेष
– योगेश कुमार गोयल
भारत में प्रतिवर्ष लोगों को स्वस्थ जीवनशैली के लिए संतुलित आहार सुनिश्चित करने हेतु प्रेरित करने के उद्देश्य से एक से सात सितम्बर के बीच ‘राष्ट्रीय पोषण सप्ताह’ मनाया जाता है। भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत खाद्य और पोषण बोर्ड प्रतिवर्ष एक विशेष थीम के साथ इसका आयोजन करता है, जो पूरे सप्ताह के दौरान होने वाली गतिविधियों और कार्यक्रमों की दिशा निर्धारित करती है। 2025 के राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का विषय है ‘बेहतर जीवन के लिए सही भोजन करें’ जो समग्र कल्याण को बढ़ावा देने और कुपोषण को रोकने के लिए सभी आयु समूहों के लिए संतुलित आहार और स्वस्थ खाने की आदतों के महत्व पर जोर देता है। दरअसल स्वस्थ रहने के लिए पौष्टिक और संतुलित आहार के सेवन की आवश्यकता है लेकिन आज की बिगड़ी जीवनचर्या और गलत खानपान के कारण लोगों में तरह-तरह की बीमारियां पनप रही हैं। एक स्वस्थ और संतुलित आहार हमारे शरीर के विभिन्न अंगों को पोषण प्रदान करता है और हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक होता है। पोषण सप्ताह के अवसर पर बेहतर स्वास्थ्य के लिए लोगों को शरीर को पोषण देने वाली खानपान की चीजों के बारे में जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। दरअसल स्वास्थ्य के मोर्चे पर भारत द्वारा बेहतर कार्य करने के बावजूद लोगों में सेहत को लेकर जागरूकता के अभाव के चलते रोगियों का आंकड़ा बढ़ रहा है, जो उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं पर बहुत भारी पड़ रहा है।
पोषण के महत्व को समझते हुए लोगों को खानपान, पोषण की पूर्ति और सेहत को लेकर जागरूक करने के लिए मार्च 1975 में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाए जाने की घोषणा सर्वप्रथम ‘अमेरिकन डायटेटिक्स एसोसिएशन’ द्वारा की गई थी, जिसे अब ‘न्यूट्रिशन एंड डाइट साइंस एकेडमी’ के नाम से जाना जाता है। 1980 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पोषण सप्ताह एक सप्ताह के बजाय पूरे एक माह तक मनाया जाने लगा लेकिन 1982 में निर्णय लिया गया कि इसे पूरे एक महीने के बजाय सितम्बर महीने के पहले सप्ताह में ही मनाया जाएगा। तभी से एक से सात सितम्बर तक ‘राष्ट्रीय पोषण सप्ताह’ मनाया जा रहा है। पोषण सप्ताह के अवसर पर लोगों को शरीर को पोषण देने वाले फल, सब्जियों और अन्य पौष्टिक खाद्य सामग्रियों को आजमाने के लिए प्रेरित किया जाता है। कुपोषण का मनुष्य के स्वास्थ्य और विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादकता में कमी और आर्थिक पिछड़ेपन की समस्या भी उत्पन्न होती है।
पोषण स्वास्थ्य और कल्याण का केन्द्र बिंदु है, जो कार्य करने के लिए शक्ति एवं ऊर्जा प्रदान करता है और तंदुरुस्त एवं बेहतर महसूस करने में भी मददगार होता है। पर्याप्त पोषण का सेवन करने वाले व्यक्ति अधिक कार्य करते हैं जबकि खराब पोषण प्रतिरक्षा में कमी, बीमारी के जोखिम को बढ़ाने, शारीरिक एवं मानसिक विकास को क्षीण करने तथा कार्यक्षमता में कमी पैदा करने का कार्य करता हैं। अच्छे पोषण का उत्पादकता, आर्थिक विकास तथा अंततः राष्ट्रीय विकास पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है और अच्छा पोषण लोगों को स्वस्थ बनाए रखते हुए स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण भी करता है। इसीलिए नियमित शारीरिक गतिविधियों के साथ अच्छे पोषण को अच्छे स्वास्थ्य की आधारशिला माना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पोषण का संबंध शरीर की आवश्यकतानुसार आहार के सेवन को माना गया है और कुपोषण को अपर्याप्त या असंतुलित आहार द्वारा खराब पोषण के रूप में परिभाषित किया गया है।
अच्छे पोषण से स्वस्थ बच्चे बेहतर तरीके से सीखते हैं लेकिन आज के दूषित खानपान और फास्टफूड वाली जीवनशैली में कुपोषण खासकर विकासशील देशों की प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। एक अनुमान के अनुसार दुनियाभर में एक तिहाई से भी ज्यादा बच्चों की मृत्यु में कुपोषण का बड़ा योगदान है और पूरी दुनिया में हर तीन कुपोषित बच्चों में से एक भारत में है। भारत को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए 8 मार्च 2018 को पोषण अभियान भी शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य खासतौर से 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं तथा स्तनपान कराने वाली माताओं की पोषण स्थिति में सुधार करना था और वर्ष 2022 के अंत तक देश से कुपोषण खत्म करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन पोषण अभियान फंड के इस्तेमाल में जिस तरह की उदासीनता देखी जाती रही है, उसे देखते हुए यह लक्ष्य हासिल करना अभी दूर की कौड़ी प्रतीत होता है। नीति आयोग की चौथी प्रगति रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि देश के 23 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों ने तो इस मद में आधे से भी कम फंड का इस्तेमाल किया। यदि हम वाकई देश को कुपोषण मुक्त राष्ट्र का दर्जा देना चाहते हैं तो उदासीनता की इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना होगा।
हमारे भोजन में रंग और खुशबू देने वाले रासायनिक पदार्थ जैसे कुछ ऐसे तत्व भी होते हैं, जो पोषक तत्व नहीं होते लेकिन कार्बाेज, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज लवण, पानी इत्यादि प्रमुख पोषण तत्व हैं। यदि ये पोषण तत्व हमारे भोजन में उचित मात्रा में विद्यमान न हों, तो हमारा शरीर अस्वस्थ हो जाएगा। भोजन के वे सभी तत्व, जो शरीर में आवश्यक कार्य करते हैं, पोषण तत्व कहलाते हैं। ये आवश्यक तत्व जब हमारे शरीर की आवश्यकतानुसार सही अनुपात में उपस्थित होते हैं, तब उसे सर्वाेत्तम पोषण या समुचित पोषण की संज्ञा दी जाती है लेकिन जब पोषक तत्व शरीर में सही अनुपात में विद्यमान नहीं होते या उनके बीच में असंतुलन होता है तो वह कुपोषण कहलाता है यानी अधिक पोषण या कम पोषण दोनों को ही कुपोषण कहा जाता है। कम पोषण का अर्थ है आहार में किसी एक या एक से अधिक पोषण तत्वों की कमी और अधिक पोषण का अर्थ है एक या अधिक पोषक तत्वों की भोजन में अधिकता।
शरीर में पोषक तत्वों की अधिकता और कमी दोनों ही समान रूप से हानिकारक हैं, शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए भोजन में उचित मात्रा में आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति होनी चाहिए। पोषक तत्वों के संतुलन और असंतुलन को इसी से समझा जा सकता है कि जब कोई व्यक्ति एक दिन में ऊर्जा खपत से अधिक ऊर्जा ग्रहण करता है तो वह वसा के रूप में शरीर में एकत्र हो जाती है, जिससे व्यक्ति मोटापे का शिकार हो सकता है। पौष्टिक भोजन स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण आधारशिला है और अच्छे पोषण के लिए जरूरी है कि फास्ट फूड के बजाय घर में बने पारंपरिक और पौष्टिक आहार के सेवन को ही प्राथमिकता दें, मुख्य आहार के स्थान पर स्नैक्स का सेवन करने से बचें, चीनी और अस्वस्थ प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित मात्रा में करें, खाने से पहले फल-सब्जियों को अच्छी तरह से धोएं और यथासंभव कच्चे फल-सब्जियों का सेवन करें क्योंकि पकाने से कई पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, कम से कम प्रसंस्करण आहार के साथ ताजा भोजन अवश्य करें।