पवन शुक्ला
संकल्प अभियान केवल एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जन-जन से जुड़ने और योजनाओं को धरातल तक पहुँचाने का सशक्त प्रयास है। संकल्प का अर्थ है दृढ़ निश्चय और जब यह राष्ट्र-आंदोलन का रूप लेता है तो इसका उद्देश्य केवल आँकड़ों या घोषणाओं तक सीमित नहीं रहता, बल्कि जीवन में ठोस बदलाव लाना होता है। इस बार का आत्मनिर्भर भारत संकल्प अभियान पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती 25 सितंबर से शुरू होकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती 25 दिसंबर तक चलेगा। पहले चरण में अक्टूबर माह में प्रत्येक जिले में जागरूकता कार्यक्रम और संवाद आयोजित होंगे, जबकि दूसरे चरण में नवंबर-दिसंबर में मंडल स्तर तक गतिविधियाँ विस्तारित की जाएँगी। इन गतिविधियों में किसान-वैज्ञानिक गोष्ठियाँ, महिला उद्यमी सम्मेलन, युवाओं के लिए रोजगार मेले और प्रशिक्षण कार्यशालाएँ शामिल होंगी। भविष्य में इसे हर वर्ष ग्राम से महानगर तक सतत् कार्यक्रमों के रूप में चलाने का लक्ष्य है, ताकि यह एक स्थायी राष्ट्रीय परंपरा बने और देश की विकास-यात्रा को नया आयाम दे।
उत्तर प्रदेश इस अभियान का प्रमुख केंद्र है, जहाँ हाल ही में विकसित कृषि संकल्प अभियान के माध्यम से किसानों तक सीधी पहुँच बनाई गई। आँकड़े बताते हैं कि प्रदेश के 15 लाख से अधिक किसानों को लाभ पहुँचाया गया। इनमें से 5 लाख किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड दिए गए, 3 लाख से अधिक को नए बीज और जैविक खाद के प्रशिक्षण से जोड़ा गया और लगभग 4 लाख किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की किश्त अभियान के दौरान वितरित की गई। किसान क्रेडिट कार्ड के अंतर्गत भी 1 लाख से अधिक नए कार्ड बनाए गए। इसी दौरान एक ज़िले एक उत्पाद (ODOP) योजना से जुड़े 3 हजार से अधिक उद्यमियों को बाजार से जोड़ा गया। यह पहल केवल कृषि तक सीमित नहीं रही, बल्कि स्थानीय स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहन देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्वावलंबन की राह पर अग्रसर करने का प्रयास भी बनी।
महिलाओं के लिए संकल्प अभियानों की अपनी अलग पहचान रही है। उत्तर प्रदेश में ही इस वर्ष 27 लाख महिलाएँ स्वयं सहायता समूहों से जुड़ीं। इनमें से 10 लाख महिलाएँ खाद्य प्रसंस्करण और डेयरी उत्पादन में सक्रिय हैं, जबकि 5 लाख से अधिक महिलाएँ वस्त्र और हस्तशिल्प क्षेत्र में काम कर रही हैं। केवल 6 महीनों में महिला समूहों के उत्पादों की बिक्री 2 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो चुकी है। यह आँकड़े बताते हैं कि स्वदेशी उत्पादों और महिला श्रमशक्ति का संगम आत्मनिर्भर भारत संकल्प अभियान को गहराई और ताक़त प्रदान कर रहा है।
युवाओं के लिए यह अभियान विशेष महत्व रखता है। डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और कौशल विकास जैसे कार्यक्रम संकल्प अभियान की व्यापक सोच का ही हिस्सा हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने कौशल विकास मिशन के तहत 2025 की पहली छमाही में 70 हजार युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया। इसी दौरान राज्य में 5 हजार से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत हुए, जिनमें से 2 हजार को प्रत्यक्ष आर्थिक सहयोग मिला। रोजगार मेलों के माध्यम से 45 हजार युवाओं को नौकरी का अवसर मिला। यह प्रयास युवाओं को केवल रोजगार दिलाने तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें स्वावलंबन और उद्यमिता की राह पर अग्रसर करने का माध्यम भी है।
अभियान में कार्यशालाओं की अहम भूमिका है। देशभर में आयोजित होने वाली ये कार्यशालाएँ तीन स्तरों पर होंगी—ग्राम, ज़िला और मंडल। इनके उद्देश्यों में किसानों को नई तकनीक और योजनाओं से जोड़ना, युवाओं को उद्यमिता और डिजिटल कौशल में प्रशिक्षित करना तथा महिलाओं को समूह-आधारित व्यवसाय के लिए प्रोत्साहित करना शामिल है। विशेषज्ञ, उद्योगपति, सरकारी अधिकारी और स्थानीय नेतृत्व इन कार्यशालाओं में संवाद करेंगे, ताकि योजना और ज़मीनी हकीकत के बीच की दूरी घटाई जा सके।
इसी सिलसिले में अभियान के तहत ‘वोकल फॉर लोकल’ पहल को भी राष्ट्रीय स्वर दिया जा रहा है। नागरिकों को स्थानीय उत्पादों के उपयोग और प्रचार के लिए प्रेरित किया जा रहा है, चाहे वह हस्तशिल्प हो, परिधान हो या खाद्य सामग्री। साथ ही, लोगों को विदेशी पर्यटन स्थलों के बजाय भारत के ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थलों की यात्रा करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे घरेलू पर्यटन को बल मिलेगा, स्थानीय समुदायों को रोज़गार मिलेगा और स्वदेशी उत्पादों की खपत बढ़ेगी। यह प्रयास स्वदेशी भावना को केवल उत्पादन तक सीमित नहीं रहने देता, बल्कि उपभोग और जीवनशैली तक विस्तारित करता है।
कानपुर का उदाहरण इस प्रयास का प्रमाण है। एक इंजीनियरिंग स्नातक ने संकल्प अभियान की कार्यशालाओं से प्रेरणा लेकर स्टार्टअप शुरू किया। बैंक से 25 लाख रुपये का ऋण मिला और उसने एक कृषि-तकनीक उपकरण विकसित किया। यह उपकरण सिंचाई में 30% तक पानी बचाता है और आज 6 जिलों में उपयोग हो रहा है। इस नवाचार से 50 से अधिक युवाओं को रोजगार भी मिला।
अभियान की विशेषता यह है कि इसमें सभी हितधारकों को जोड़ा गया है। किसान खेत में वैज्ञानिक से संवाद करता है, युवा उद्योग जगत से प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं और महिलाएँ स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से बाज़ार से जुड़ती हैं। केंद्र और राज्य सरकारें, कृषि वैज्ञानिक, प्रशासनिक अधिकारी, उद्योगपति, शैक्षणिक संस्थान, पंचायतें और आम नागरिक—सभी इस साझा प्रयास के स्तंभ हैं। यही सामूहिकता इसे केवल सरकारी योजना न बनाकर एक साझा राष्ट्रीय यात्रा का रूप देती है।
लखनऊ की एक महिला उद्यमी ने कहा कि पहले उनके उत्पाद गाँव से बाहर नहीं जाते थे, लेकिन अब प्रशिक्षण और विपणन सहयोग मिलने से दिल्ली और मुंबई तक पहुँच रहे हैं। वाराणसी के एक युवा ने साझा किया कि स्टार्टअप योजना से जुड़कर उसने अपने छोटे से मोबाइल एप को व्यवसाय में बदल दिया है। यह आवाज़ें बताती हैं कि संकल्प अभियान केवल कागज़ी घोषणाओं का नाम नहीं, बल्कि धरातल पर बदलाव की कहानी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा था कि “संकल्प अभियान किसानों और युवाओं के लिए नयी राहें खोलेगा और उन्हें अपने सपनों को साकार करने का अवसर देगा।” मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने भी स्पष्ट शब्दों में कहा कि “संकल्प अभियान आत्मनिर्भर भारत का मार्ग प्रशस्त करेगा। संकल्प अभियान केवल योजनाओं का प्रचार नहीं बल्कि समाज के हर वर्ग को जोड़ने वाला आंदोलन है जो स्वदेशी और आत्मनिर्भरता को जीवन का हिस्सा बनाता है।”
इस अभियान का आत्मिक आधार प्राचीन भारतीय विचारधारा से भी मिलता है। ऋग्वेद का मंत्र कहता है—”संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्”—अर्थात हम सब साथ चलें, साथ बोलें और अपने मन को एक करें। यही मंत्र आत्मनिर्भर भारत संकल्प अभियान की आत्मा है, जहाँ एकजुट होकर स्वदेशी और स्वावलंबन के माध्यम से भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया गया है।
और यहीं से भविष्य की राह खुलती है। आत्मनिर्भर भारत संकल्प अभियान केवल योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं, बल्कि स्वदेशी और स्वावलंबन की चेतना को हर क्षेत्र में प्रवाहित करने का आंदोलन है। जब गाँवों के कुटीर उद्योग स्थानीय से वैश्विक बाज़ार तक पहुँचेंगे, जब किसान तकनीक और परंपरा का संगम कर पाएगा, जब महिला अपने श्रम से घर-परिवार ही नहीं, समाज की रीढ़ बनेगी, जब युवा अपने नवाचार से नए अवसर गढ़ेगा, और जब नागरिक भारतीय पर्यटन स्थलों की यात्रा कर स्वदेशी उत्पादों को अपनाएगा—तभी यह अभियान भारत को वास्तविक समृद्धि और स्वाभिमान की ओर ले जाएगा। यह अभियान केवल आँकड़ों का हिसाब नहीं, बल्कि श्रम और स्वदेशी चेतना से गढ़ा वह उज्ज्वल संकल्प है, जो हर घर में आत्मविश्वास, हर गली में अवसर और हर हृदय में स्वाभिमान की धड़कन जगाता है। यही है नवभारत की ओर बढ़ता आत्मनिर्भर भारत संकल्प अभियान।