जन्मदिन के साथ ‘भाई-दूज’ मनाएंगी शिवराजसिंह की लाड़ली बहना

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5 मार्च जन्मदिन पर विशेष
मनोज कुमार
कल 5 मार्च को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की उम्र में एक वर्ष का और इजाफा हो जाएगा। इस बार उन्होंने अपना जन्मदिन नहीं मनाने का ऐलान किया है लेकिन यह पहला अवसर होगा जब उनके जन्मदिन के साथ प्रदेश भर में उनकी लाडली बहना ‘भाईदूज’ भी मनाएंगी। ‘भाईदूज’ भारतीय संस्कृति का एक ऐसा पवित्र संस्कार है जिसमें भाई अपनी बहनों की सुरक्षा और समृद्धि का वचन देता है। मातृशक्ति का आंचल शिवराजसिंह के लिए मंगल कामनाओं से भरा-पूरा है। लाडली बहना शिवराजसिंह चौहान के लिए आशीष और उनकी कामयाबी के लिए ईश्वर से प्रार्थना करेंगी। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान वैसे भी स्त्री समाज की बेहतरी के लिए हमेशा से चिंतित और सक्रिय रहे हैं। इस क्रम में उन्होंने हाल ही में ‘लाडली बहना’ योजना का ऐलान किया है और संयोग से इस योजना का आरंभ कल पांच मार्च से हो रहा है। भाई का बहनों को यह तोहफा एक किस्म का अपरोक्ष रूप से ‘भाईदूज’ का नेग माना जा सकता है। कहना ना होगा कि ‘लाडली बहना’ भी उनके जन्मदिन के साथ ‘भाईदूज’ का संस्कार भी पूर्ण करेंगी। ऐसे अवसर अक्सर आंखों को भिगो देते हंै और मन पुलकित हो जाता है। बेशक, यह शिवराजसिंह सरकार की योजना है लेकिन प्रदेश भर की महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा देने का बड़ा उपक्रम है।
उल्लेखनीय है कि साल 2005, माह नवम्बर में जब शिवराजसिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद सम्हाला था तब से उनका संकल्प प्रदेश के बेटियों, बहनों और वृद्ध माता-पिता को बेहतर जिंदगी देने का रहा है। लाडली लक्ष्मी योजना से लेकर, स्कूल जाने के लिए साइकिल योजना हो या अब लाडली बहना, शिवराजसिंह के संकल्प को पूरा करते हुए दिखती हैं। बिटिया के ब्याह हो या निकाह, शिवराजसिंह पूरे सम्मान के साथ योजना का लाभ दिलाते रहे हैं। करीब-करीब 20 वर्ष के कार्यकाल में महिला केन्द्रित योजनाओं में मध्यप्रदेश ने जो मानक गढ़े हैं, वह पूरे देश के लिए मिसाल बन गयी है। अनेक राज्य मध्यप्रदेश के अनुगामी बने हैं और अपने-अपने राज्यों में योजनाओं को लागू कर रहे है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की दूष्टि साफ है और वेे कहते हैं कि मध्यप्रदेश में लागू की गई महिला कल्याण की विभिन्न योजनाओं को देश के अन्य राज्य अपना रहे हैं तो यह प्रसन्नता की बात है क्योंकि बेटी, भांजी, बहन हम सबकी हैं और उनकी सुरक्षा और समृद्धि ही हमारा अंतिम लक्ष्य है।
मध्यप्रदेश में लाड़ली बहना योजना की शुरुआत करने का उद्देश्य है कि समाज की नकारात्मक सोच को बदलना और बालिकाओं के भविष्य को उज्जवल बनाना है। इस योजना की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा नर्मदा जयंती के अवसर पर इसी वर्ष 28 जनवरी 2023 को की गई थी। बालिकाओं के प्रति लोगों में सकारात्मक सोच एवं उनके लिंग अनुपात में सुधार के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना की शुरुआत की है। इस योजना की सहायता से प्रदेश में लोगो को बालिकाओं के प्रति स्नेह बढ़ेगा। प्रदेश के सरकार द्वारा यह भी घोषणा की गई है कि हमारी जो भी गरीब बहने, निम्न-मध्यम वर्ग की बहनें जो किसी भी धर्म या जाति से आती हों, इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकेंगी। लाड़ली बहना योजना में किसी परिवार में यदि दो बहुएं हैं तो उन्हें भी हर महीना 1-1 हजार रुपए दिए जाएंगे। सास यदि बुजुर्ग हैं तो उन्हें वृद्धावस्था पेंशन में 600 के साथ इस योजना के 400 जोडक़र दिए जाएंगे। कोई महिला पहले से किसी भी योजना के तहत लाभ उठा रही है तो उसे भी इस योजना में शामिल किया जायेगा एवं पेंशन पाने वाली महिलाएं भी इस योजना का हिस्सा बन पाएंगी।
प्रदेश की सभी बहनों को इस योजना के तहत एक हजार रुपए हर महीने दिया जाएगा। 5 साल में 60 हजार रुपए दिया जाएगा, ताकि वह आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें। इस योजना पर सरकार द्वारा पांच वर्षों में 60 हजार करोड़़ रुपए खर्च किया जाएगा। हमारे देश में कई लोग आर्थिक रूप से कमज़ोर होने के कारण अपनी बहन को उच्च शिक्षा नहीं दे पाते हैं। प्रदेश में रहने वाले कई लोग ऐसे भी हैं जो अभी भी लडक़े और लड़कियों में भेदभाव करते हैं, इस सोच को बदलने में यह योजना कारगर साबित होगी।
अनुभवों से लबरेज शिवराजसिंह चौहान मध्यप्रदेश के चार बार के मुख्यमंत्री हैं लेकिन उनकी कार्यशैली और जीवनशैली आज भी आम आदमी की है। वे अपनी सादगी से लोगों का मन मोह लेते हैं। सबको अपना सा लगता है। रंच मात्र भी उनमें गरुर दिखाई नहीं देता है और वे आज भी एक किसान पुत्र की भांति रहते हैं। उनकी चिंता में महिला, बेटी हैं तो किसान और वृद्ध माता-पिता भी हैं। वे मुख्यमंत्री के रूप में जब कहते हैं कि प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता मेरी भगवान हैं तो उनका आशय उनके प्रति अपनी जिम्मेदारी का होता है। शिवरासिंह चौहान का मुख्यमंत्री के रूप में सफर कभी आसान नहीं रहा। अनेक चुनौतियों के बीच उन्होंने स्वयं को सम्हाला और चुनौतियों को संभावना में बदल दिया। फिर खेतों में पड़े ओला-पाला हो या कोविड काल में चौपट होती स्वास्थ्य एवं अर्थव्यवस्था, सबको उन्होंने सधे ढंग से सुलझा लिया। कोविड में आम आदमी को हौसला देते हुए खुद कोविड के शिकार हो गए लेकिन इलाज के दरम्यान भी राजकाज जारी रहा। उनके भीतर का यह हौसला, उनका ही नहीं, बल्कि प्रदेश की करोड़ों नागरिकों का है।
शिवराजसिंह चौहान एक संस्कारी राजनेता हैं और यही कारण है कि वे अपने विरोधियों को पूरा सम्मान देते हैं। कभी हल्के शब्दों का उपयोग नहीं करते हैं लेकिन अपने कार्यों से वे विरोधियों को चुप करा देते हैं। अनेक बार उन्हें मिथ्या आरोपों से घेरने की कोशिश की गई लेकिन सब की हवा निकल गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं शिवराजसिंह चौहान के मुरीद हैं और यही कारण है कि वे हर बार मध्यप्रदेश की धरा पर आने के लिए तैयार रहते हैं। महाकाल लोक जैसा अविस्मरणीय धार्मिक स्थल के लोकार्पण का अवसर हो, कूनो अभयारण्य आने का विषय हो या निवेशकों का सम्मेलन हो, प्रधानमंत्री हमेशा पहुंचे हैं। महामहिम राष्ट्रपति भी तीन से अधिक बार मध्यप्रदेश का प्रवास कर चुकी हैं। यह सब संयोग नहीं बल्कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की सदाशयता और उनकी मेहनत को देश-दुनिया देख रही है। सरल, सहज और मिलनसार शिवराजसिंह चौहान भले ही अपना जन्मदिन उत्सवी ना मना रहे हों लेकिन एक-एक पौधा अपना आशीष उन्हें प्रदान करता दिख रहा है। जन्मदिन की कोटिश: बधाई। 

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मनोज कुमार
सन् उन्नीस सौ पैंसठ के अक्टूबर माह की सात तारीख को छत्तीसगढ़ के रायपुर में जन्म। शिक्षा रायपुर में। वर्ष 1981 में पत्रकारिता का आरंभ देशबन्धु से जहां वर्ष 1994 तक बने रहे। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से प्रकाशित हिन्दी दैनिक समवेत शिखर मंे सहायक संपादक 1996 तक। इसके बाद स्वतंत्र पत्रकार के रूप में कार्य। वर्ष 2005-06 में मध्यप्रदेश शासन के वन्या प्रकाशन में बच्चों की मासिक पत्रिका समझ झरोखा में मानसेवी संपादक, यहीं देश के पहले जनजातीय समुदाय पर एकाग्र पाक्षिक आलेख सेवा वन्या संदर्भ का संयोजन। माखनलाल पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी पत्रकारिता विवि वर्धा के साथ ही अनेक स्थानों पर लगातार अतिथि व्याख्यान। पत्रकारिता में साक्षात्कार विधा पर साक्षात्कार शीर्षक से पहली किताब मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी द्वारा वर्ष 1995 में पहला संस्करण एवं 2006 में द्वितीय संस्करण। माखनलाल पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से हिन्दी पत्रकारिता शोध परियोजना के अन्तर्गत फेलोशिप और बाद मे पुस्तकाकार में प्रकाशन। हॉल ही में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संचालित आठ सामुदायिक रेडियो के राज्य समन्यक पद से मुक्त.

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