मोदी की अमेरिका यात्रा पर कुतर्क गढ़ती सोशलमीडिया ?

                                     प्रभुनाथ शुक्ल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका जैसे विशिष्ट गणराज्य के दौरे पर हैं। वैश्विक संदर्भ के वर्तमान परिपेक्ष में भारत के लिए यह यात्रा बेहद अहम है। मोदी की इस यात्रा की अहमियत तब और बढ़ जाती है जब भारत के पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान में एक बार फिर अतिवादी ताकतें अपना आधिपत्य स्थापित जमा लिया हो। जबकि भारत दुनिया के हर मंच से आतंकवाद की आलोचना करता रहा है। अफगानिस्तान में तालिबानी शासन से भारत की चुनौतियां बढ़ गई हैं, उस हालात में जब चीन और पाकिस्तान जैसे देश अघोषित रूप से तालिबान के साथ खड़े हों। नेपाल और बांग्लादेश भी  हमें आंखें दिखा रहा है। भारत कई ट्रिलियन डॉलर का निवेश अफगान में कर चुका है। उस हालात में देश के सामने सामरिक सुरक्षा की चुनौतियां भी मुंह बाए खड़ी है। ऐसे में यह यात्रा हमारे लिए विशेष हो जाती है। क्योंकि अमेरिका में ट्रंप शासन का अंत हो चुका है और जोबाइडन सत्ता में हैं।

भारत और अमेरिका के बीच तमाम मुद्दों पर मतभेद होने के बावजूद भी दक्षिण एशिया में अमेरिकी उपस्थिति के लिए दोनों राष्ट्रों को कूटनीतिक तौर पर एक दूसरे की आवश्यकता है। यह सिर्फ भारत के लिए ही नहीं अमेरिका के लिए भी बेहद जरूरी है। क्योंकि चीन की बढ़ती चुनौतियां उसे मुश्किल में डाल रही हैं। रूस और चीन की जुगलबंदी अमेरिका के लिए घातक हो सकती है। लेकिन सोशलमीडिया पर प्रधानमंत्री की अमेरिकी यात्रा को जिस संदर्भ में लिया जा रहा है वह बेहद शर्मनाक  है। प्रधानमंत्री की एक वायरल हुई तस्वीर को लेकर सत्ता और विपक्ष में शीतयुद्ध चलने लगा है। देश को इस से क्या मिलेगा यह अलग तथ्य है। लेकिन सोशलमीडिया प्लेटफॉर्म पर यह साबित करने की कोशिश की जा रही है कि ‘तेरे पीएम से अच्छा मेरा पीएम’।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कि अमेरिकी यात्रा के दौरान सोशल मीडिया में जो तस्वीर वायरल हो रही है उसमें प्रधानमंत्री यात्रा के दौरान महत्वपूर्ण फाइलों को निपटाते हुए देखे जा रहे हैं। फिर इस तस्वीर में आखिर बुराई क्या है जो बहस का हिस्सा बनी है। प्रधानमंत्री एक महत्वपूर्ण यात्रा पर हैं उस संबंध में सत्ता और विपक्ष सोशलमीडिया पर चर्चा क्यों नहीं कर रहा कि अमेरिकी यात्रा से भारत को कितनी उम्मीदें हैं। भारत को इस यात्रा से क्या लाभ मिल सकता है। मोदी क्या ट्रंप जैसे बाइडन के करीब आ सकते हैं। अफगानिस्तान में तालिबानी शासन को लेकर अमेरिका क्या भारत की चिंताओं पर ख्याल कर सकता है। चीन और पाकिस्तान की गतिविधियों को लेकर अमेरिका क्या भारत को कोई मजबूत भरोसा दे सकता है।

कोविड महामारी की जंग दोनों देशों के आपसी तालमेल से कितनी और राहत मिल सकती है उस हालात में जब भारत, अमेरिका और दूसरे देशों में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। सामरिक सुरक्षा, आर्थिक विकास बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी, आतंकवाद,  हिंसा सामाजिक असंतुलन जैसी समस्याओं पर हम विचार क्यों नहीं कर सकते। सत्ता और विपक्ष एक साथ मिलकर देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका क्यों नहीं निभा सकता। सत्ता से बाहर आते ही विपक्ष की सारी जिम्मेदारियां क्यों खत्म हो जाती है। उसके लिए क्या देश और लोगों की समस्याएं कोई मायने नहीं रखती हैं। क्या सिर्फ सत्ता ही देश सेवा का अनूठा माध्यम है। बदले राजनीतिक दौर में सत्ता और विपक्ष दोनों में इसका नितांत अभाव दिखता है। सत्तापक्ष, विपक्ष को न भरोसे में लेना चाहती है और विपक्ष न सत्तापक्ष के भरोसे में आना चाहता है। सिर्फ कुतर्क गढ़े जाते हैं और दोनों एक दूसरे की नुक्ताचीनी करने में लगे हैं।

आपको याद होगा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसके पूर्व भी पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की एक तस्वीर अपनी धर्म पत्नी के साथ वायरल है। जिसमें विदेश दौरे के दौरान विमान में शास्त्रीजी महत्वपूर्ण फाइलों को निपटा रहे हैं। निश्चित रूप से एक राष्ट्र अध्यक्ष की है अपनी नैतिक जिम्मेदारी है कि देश ने उसे जो दायित्व सौंपा है वह निभाए। अब उसी तरह की तस्वीर अमेरिकी  यात्रा के दौरान जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वायरल हुई तो सोशलमीडिया पर इसे शास्त्री की नकल बताया गया और उसकी आलोचना की जा रही है। सामान्य आदमी अगर अपनी तस्वीरें वायरल कर सकता है तो क्या प्रधानमंत्री को यह अधिकार नहीं है। उसके पास अपनी कुछ इच्छाएं नहीं हैं। सत्ता और विपक्ष के समर्थक आपस में भिड़े हुए हैं। लालबहादुर शास्त्री की तस्वीर को रीयल और मोदी की तस्वीर को रील बताया जा रहा है।

देश के एक सम्मानित मीडिया हाउस की तरफ से भी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर डाली गई है। जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी,नरसिम्हा राव,भारत रत्न अटल बिहारी, बाजपेयी और मनमोहन सिंह को विदेश यात्रा के दौरान विमान में कार्य करते हुए दिखाया जा रहा है। तस्वीरों के माध्यम से यह बताने की कोशिश की जा रही है कि प्रधानमंत्री मोदी ही नहीं दूसरे प्रधानमंत्रियों ने भी अपनी यात्रा के दौरान इस तरह के कार्य करते रहे हैं। एक दूसरी वायरल तस्वीर में एक तरफ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी के साथ एयर इंडिया का विमान दिख रहा है। दूसरी तरफ आत्मनिर्भरता दिखाते हुए प्रधानमंत्री का विमान दिख रहा है जिस पर एयर इंडिया के बजाय भारत लिखा है। एक तस्वीर में पूर्व प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी को विमान में सोते दिखा गया है जबकि दूसरे में नरेंद्र मोदी की वह तस्वीर है जो हाल में वायरल हो रही है। यह साबित करने की कोशिश है कि मोदी काम करते दिख रहे हैं जबकि राजीव गांधी को सिर्फ विदेश यात्रा का शौक था। सोशलमीडिया प्लेटफॉर्म पर एक तस्वीर यह भी वायरल है जिसमें 2010 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कनाडा यात्रा के दौरान प्लेन से उतर रहे हैं तो उन्हें छाता दिखाया जा रहा है। जबकि अमेरिका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी खुद छाता लेकर निकल रहे हैं।हालांकि छाते वाली तस्वीर पर भी सोशल मीडिया पर आलोचना हुई है कि प्रधानमंत्री की अगवानी के लिए विमान तल पर जो लोग खड़े थे वे छाता नहीं लिए थे, लेकिन मोदी छाता क्यों लिए थे। अब इन तथ्यहींन बहसों का क्या मतलब।

पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ इंदिरा गांधी की एक तस्वीर भी विदेश यात्रा की सोशलमीडिया में सुर्खियां बटोर रही है जिसमें विदेश यात्रा के दौरान काफी भीड़ उनके स्वागत में उमड़ी है। दावा किया गया है कि पंड़ित नेहरू के साथ इसी यात्रा के दौरान इंदिरा गांधी का नाम ‘इंदिरा’ पड़ा था। फिलहाल सोशलमीडिया पर इस  तथ्य और दिशाहीन बहस से कुछ हासिल होने वाला नहीं है। क्योंकि यह मौसमी कुतर्क है और राजनीति का द्वन्द्ववाद है। सोशलमीडिया अच्छी भाषा और विचारों के बजाय सिर्फ कुतर्कों की गंदगी फैला रहा है। देश और समाज को बांटने का काम कर रहा है।  हमें हर हालात में इस स्थिति से बचना होगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,677 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress