गीत ; सड़ी डुकरियां ले गये चोर – प्रभुदयाल श्रीवास्तव

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

इसी बात का का होता शोर

सड़ी डुकरियां ले गये चोर|

 

रजत पटल पर रंग सुनहरे

करें आंकड़े बाजी

बजा बजा डुगडुगी मदारी

चिल्लाये आजादी

भरी दुपहरिया जैसे ही वह

रात रात चिल्लाया

सभी जमूरों ने सहमति में

ऊंचा हाथ उठाया

उसी तरफ सबने ली करवट

बैठा ऊंट जहां जिस ओर|

सड़ी डुकरियां ले गये चोर|

 

कोई नहीं गरीब यहां पर

सब अमीर जादे हैं

दो दिन में या चार दिनों में

रोटी पा जाते हैं

तीस रुपट्टी पाने वाला

मजे मजे रहता है

झोपड़ियों में हंसी खुशी से

प्रजातंत्र कहता है

भाषण से भर जाता पेट

आश्वासन से खुशी बटोर|

सड़ी डुकरियां ले गये चोर|

 

सड़ी पुरानी चीजों को हम

कहां रखें टिकवायें

किसी तरह भी कैसे भी

इनसे छुटकारा पायें

जिनके पास नहीं धन दौलत

उनको हटना होगा

निर्धन और गरीबों से तो

शीघ्र निपटना होगा

इसी बात पर राज महल में

होती रहती बहस कठोर|

सड़ी डुकरियां ले गये चोर|

 

 

7 COMMENTS

  1. “सड़ी डुकरियां” का अर्थ जानते ही मालूम हो गया कि अचानक भारत में ७.३ प्रतिशत गरीबी कैसे दूर हो गई! आपके इस ह्रदय छू लेने वाले गीत और अभिव्यक्ति में कीर्तीश की कूची से भारत में सामान्य जीवन की झलक व्यंगात्मक रूप में तो अवश्य देखता हूँ लेकिन सोचता हूँ कि विषय की गंभीरता को हम खो न दें| धन्यवाद|

  2. संपादक जी
    पाठक संख्या १ (एक ) पर ही रुकी हुयी है| कम्पूटर या साईट में गड़बड़ी लग रही है| एलेक्सा की कठिनाई दिखाई दे रही है|

  3. सड़ी डुकरियां का मतलब गरीब भुखमरे ,भिखमंगे और चोर का मतलब सत्ताधीश ,मठाधीश राजाधिराज जो गरीबी न हटाकर गरीबों को ही जड़मूल से मिटाने पर उतारू हैं|
    प्रभुदयाल‌

  4. प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी, “सड़ी डुकरियां” का क्या अर्थ है? तब ही समझ पाऊंगा ऊंट किस करवट बैठता है| धन्यवाद|

  5. कहावतों का मुहावरों का प्रतीकात्मक आयोजन कर, गूढ सन्देश देना कोई आप से सीखें।
    सशक्त उपयोग, और कूटकर भरा हुआ परिणामकारी, संदेश।
    धन्यवाद।

  6. कौड़ी के रे कौड़ी के ,
    पान पसेरी के……..

    या इत्तन इत्तन पानी ,
    घोर -घोर रानी ,
    पर आधारित नई रचना [मौलिक?] कब प्रस्तुत करने जा रहे हो ?

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