विजय सहगल
बिहार राज्य के सफल और शांत चुनाव सम्पन्न होने के पश्चात जब से भारतीय चुनाव आयोग ने नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों मे एस॰आई॰आर॰ का दूसरा चरण शुरू कराने का निर्णय लिया है, तब से पूरे देश मे पक्ष और विपक्ष के बीच घमासान चरम पर है। एसआईआर का कार्य 28 अक्टूबर से 3 नवंबर 2025 तक कर्मचारियों के प्राशिक्षण से शुरू होगा। 4 नवंबर 2025 से इस प्रक्रिया का मुख्य कार्य बीएलओ (ब्लॉक लेबल ऑफिसर) द्वारा घर घर जा कर गणना प्रपत्रों का वितरण 4 दिसम्बर 2025 तक, पूरा करने का लक्ष्य रक्खा गया है। इस पूरे कार्य मे इन बारह राज्यों के, 51 करोड़ मतदाताओं का सत्यापन कर उनको मतदान के लिये आवश्यक योग्यता, पात्रता और अहर्ता की कसौटी पर कसा जाएगा। इस कार्य का समापन 7 फरवरी 2026 तक फाइनल सूची के प्रकाशन के साथ पूर्ण करने का लक्ष्य रक्खा गया है। यह कार्य मतदाता सूची को अद्यतन करने का एक अभियान है।
विदित हो कि बिहार राज्य के विधान सभा के लिये हुए चुनाव के पूर्व किए गए इस एस॰आई॰आर॰ अभियान के पहले चरण मे 68 लाख अयोग्य/स्थानांतरित/मृत मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिये गए थे। विपक्षी दलों के महागठबंधन का मानना है कि इस विशेष गहन पुनरीक्षण-2025 के दौरान हटाये गए, इन लाखों मतदाताओं के कारण ही उन्हे भारी पराजय का मुँह देखना पड़ा। कॉंग्रेस के नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव ने तो जगह जगह अपनी चुनावी रैली मे चुनाव आयोग और सत्तारूढ़ मोदी सरकार की इस मिलीभगत को वोट चोरी के नाम से उद्धृत कर इसे देश के साथ धोखाधड़ी बतलाया। कॉंग्रेस के दिग्गज नेताओं यथा राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खडगे, प्रियंका गांधी सहित अनेक विपक्षी नेताओं ने तो अपनी चुनावी रैलियों मे मोदी सरकार पर वोट चोर, गद्दी छोड़ जैसे संगीन आरोप भी लगाये इसके बावजूद बिहार के चुनावी जनादेश 2025 को अपने पक्ष मे करने पर असफल रहे।
23 नवंबर 2025 को राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा, “भारत दुनियाँ के लिए सॉफ्टवेयर बनाता है मगर भारत का चुनाव आयोग आज भी कागजों का जंगल खड़ा करने पर अड़ा है!! जब राहुल गांधी के उक्त वक्तव्य को चुनावों मे ईवीएम की जगह कागजी मतदान पत्रों के इस्तेमाल के परिपेक्ष्य मे देखते है तो उनकी सॉफ्टवेयर वाली सोच मे विरोधाभास, स्पष्ट नज़र आता है। कॉंग्रेस ने वोट चोरी और एस॰आई॰आर॰ के विरुद्ध 14 दिसम्बर 2025 को दिल्ली के रामलीला मैदान मे एक विशाल रैली का आयोजन भी किया है।
देश के 12 राज्यों मे शुरू हुई इस विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया मे सबसे ज्यादा तीखा विरोध पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी द्वारा राज्य मे जगह जगह विरोध रैलियाँ के रूप देखने को मिला। उन्होने तो 20 नवंबर 2025 को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिख मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य को तत्काल रोकने को कहा है। उन्होने आरोप लगाते हुए इस प्रक्रिया को अनियोजित, खतरनाक बतलाते हुए इस अभियान मे शामिल बीएलओ और अन्य कर्मचारियों के ऊपर भारी चुनावी कार्य के बोझ के दबाव के कारण कुछ ब्लॉक लेवल अधिकारियों द्वारा आत्महत्या जैसे घातक कदम उठाने पर अपनी चिंता प्रकट की और चुनाव की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े किये।
पश्चिमी बंगाल मे सर्वाधिक राजनैतिक विरोध के साथ साथ, इस गहन पुनरीक्षण का अधिकतम प्रभाव भी पश्चिमी बंगाल मे ही देखने को मिला। पश्चिमी बंगाल और बांगलादेश के सीमावर्ती क्षेत्रों मे अवैध बंगलादेशी घुसपैठियों मे एसआईआर के डर और दहशत के कारण भगदड़ देखने को मिली। पश्चिमी बंगाल मे पिछली एस॰आई॰आर॰-2002 से SIR-2025 के बीच 23 सालों मे वोटरों की संख्या मे अप्रत्याशित रूप से 66 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। पश्चिमी बंगाल के बांग्लादेश के सीमावर्ती 9 जिलों मे तो वोटरों की संख्या 70 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी जो अनापेक्षित थी। इन 23 सालों मे राज्य मे मतदाताओं की संख्या 4,58 करोड़ से बढ़ कर 7.63 करोड़ हो गई। 3.05 करोड़ मतदाताओं की ये बृद्धि, पश्चिमी बंगाल मे शंका और षड्यंत्र की ओर इशारा करती है जिसकी जांच पड़ताल गहन पुनरीक्षण-2025 के माध्यम से अवश्य ही देश के सामने आएगी। पश्चिमी बंगाल के उत्तर 24 परगना जिला, हाकिमपुर चौकी, उत्तरी दिनाजपुर, जलपाई गुड़ी, नादिया जिले सहित अन्य जिलों मे ऐसे हजारों बांग्लादेशी घुसपैठिए भारत से बांग्लादेश बापस जाने के इंतज़ार मे सीमा सुरक्षा बलों से अनुनय विनय करते देखे गए। इन अवैध घुसपैठियों के मन मे डर हैं कि कहीं विशेष गहन पुनरीक्षण मे वे पकड़े गए तो उनको गिरफ्तार कर हिरासत केन्द्रों और जेलों मे रक्खा जायेगा। ऐसे अनेक अवैध बांग्ला देशियों के पास भारतीय आधार कार्ड, वोटर कार्ड और पैन कार्ड भी देखने को मिले जो इन्होने स्थानीय जालसाजों की मदद से पैसे देकर बनवाए थे।
ये अवैध बंगला देशी पश्चिमी बंगाल सहित देश के अन्य अनेक हिस्सों मे दशकों से गैर कानूनी तरीके से रह रहे थे, लेकिन अब विशेष चुनावी पुनरीक्षण के डर, भय और हिरासत मे जेलों मे रखे जाने की आशंका और चिंता के कारण बांग्लादेश बापस भागने मे ही अपनी भलाई समझते हैं। केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा घोषित SIR के कारण पश्चिमी बंगाल के इलामबाज़ार थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गाँव लेलेंगढ़, बाधपाड़ा, नीचूपाड़ा और अनेक आसपास के ग्रामीण इलाकों मे भय, असमंजस और अनिश्चितता के चलते लोग अपने बैंक खातों से जल्दीबाजी मे पैसे निकाल रहे है। यही कारण हैं कि पश्चिमी बंगाल की तृणमूल सरकार इस एसआईआर प्रक्रिया को अनियोजित और खतरनाक बतलाने, सरकारी कर्मचारियों पर काम के बोझ का दबाव, किसानों की धान की फसल कटाई मे व्यस्तता जैसे मुद्दों की आड़ लेकर इस विशेष गहन पुनरीक्षण का तीव्र और सख्त विरोध कर रही है।
आखिर इस विशेष गहन पुनरीक्षण 2025 के गणना प्रपत्र मे ऐसा क्या है जिससे पक्ष और विपक्ष के राजनैतिक दलों के बीच घमासान की स्थिति उत्पन्न हो गयी? एक पेज के इस प्रपत्र मे ऐसी कौन सी जानकारियाँ हैं जिनको देने या न देने पर पक्ष और विपक्ष के बीच तलवारें खींची हुई हैं? आइये इस पर थोड़ी चर्चा कर ली जाय क्योंकि मै स्वयं इस गणना प्रपत्र को भरने की इस एसआईआर-2025 के प्रोसैस मे सहभागी रहा हूँ।
2025 तक की मतदाता सूची के आधार पर बने इन एसआईआर फॉर्म के बाएँ तरफ चुनाव आयोग ने पहले से ही मतदाता के नाम, इपिक संख्या, पता और फोटो के साथ मतदाता क्रमांक भाग संख्या और निर्वाचन क्षेत्र का नाम प्रिंट कर दिया है। एक पेज के इस फॉर्म के ऊपरी आधे भाग जिसमे 9 कॉलम हैं. आवश्यक रूप से उन सभी मतदाताओं को अपनी नवीन फोटो को चस्पा कर भरना है जिनका नाम फॉर्म मे प्रिंट है। जन्म तिथि, आधार कार्ड संख्या, मतदाता का मोबाइल नंबर, पिता, माता, पति या पत्नी के नाम और उसके नीचे उनका वोटर पहचान संख्या लिखने के कॉलम ही इस पहले भाग मे लिखना है। रही बात पेज के आधे, नीचे वाले दो भागों की तो इन दोनों मे से किसी एक, बाएँ या दायें भाग का चयन करना हैं। बाएँ वाले भाग का चयन उन मतदाताओं को करना हैं जिन्होने 2002-03 मे मतदान किया है। इसी प्रकार यदि आपने 2003 मे मतदान अवयस्क या अन्य किसी कारणों से नहीं किया तो दायें वाले भाग मे सिर्फ मतदाता के पिता से संबन्धित की सारी सूचनाएँ उपलब्ध करानी हैं। शेष निर्वाचन क्षेत्र का नाम एवं संख्या, भाग संख्या और मतदाता क्रमांक मतदाता सूची 2002-03 के आधार पर संबंधित बीएलओ आपकी सहायता से भरा जा सकता है। मै नहीं समझता कि किसी भी मतदाता को इन सूचनाओं को भरने मे कोई बहुत कठिन और श्रमसाध्य ज्ञान और कौशल की आवश्यकता है। इस सामान्य से फॉर्म को भरने के विरुद्ध विपक्षी दलों का विरोध समझ से परे है।
ये बात स्पष्ट रूप से जान लेनी चाहिए कि विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान-2025 के पश्चात तैयार नयी सूची मे से ऐसे मतदाता जिनकी मृत्यु हो चुकी है या कहीं दूसरी जगह स्थानांतरित हो गए हों, का नाम स्वतः ही सूची मे से हटा कर सूची को अद्यतन कर दिया जाएगा। आशा की जानी चाहिये कि मतदाता सूची मे फर्जी और अवैध तरीके से नाम जुड़वाने वाले घुसपैठिए मतदाता जिन्होने 2002-03 के बाद मतदान किया हो और उनके पिता, माता, पत्नी अथवा पति की वोटर मतदाता पहचान संख्या नहीं होगी, पूरी संभावना है कि वे अब फर्जी, नकली और जाली मतदान नहीं कर सकेंगे।
विजय सहगल